काशीपुरः उत्तराखंड के बहुचर्चित एनएच 74 भूमि मुआवजा मामले में करोड़ों रुपए के घोटाले (NH 74 Scam Case) से सभी वाकिफ हैं. इसी बीच का एक और हाईवे निर्माण में धांधली का मामला सामने आया है. मामला संज्ञान में आने के बाद एसडीएम अभय प्रताप सिंह ने तहसीलदार को जांच सौंप दी है. उधर, हाईवे निर्माण में घपला सामने आने के बाद शासन प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है.
दरअसल, चार हजार करोड़ की लागत से मुरादाबाद काशीपुर फोरलेन निर्माण (Moradabad Kashipur Highway) किया जाना है. जहां अधिक मुआवजा लेने के लिए हाईवे की जद में आने वाली जमीनों पर लेखपालों की मिलीभगत से रातोंरात ट्यूबेल और कोठियां बनकर तैयार कर दी गई. हाईवे के लिए भूमि अधिग्रहण का मामला (Land Acquisition Scam) सामने आने के बाद प्रशासन हरकत में आ गया है. मामले की जांच के लिए एसडीएम अभय प्रताप सिंह ने मामले में जांच के आदेश दे दिए गए हैं. तहसीलदार अक्षय भट्ट (Tehsildar Akshay Bhatt) को जांच का जिम्मा सौंपा गया है. इसमें सभी पहलुओं पर जांच की जाएगी. भूमि अधिग्रहण में आने वाले तकरीबन आधा दर्जन गांवों के लिए तहसीलदार अक्षय भट्ट के नेतृत्व में एक जांच कमेटी गठित की गई है.
बता दें कि काशीपुर से मुरादाबाद के बीच बनने वाले एनएच के लिए कुल 195.9735 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होना है. इसके लिए काशीपुर में तकरीबन आधा दुर्जन गांवों बाबरखेड़ा, भगवंतपुर, फिरोजपुर कंचनारगाजी, कुंडा, लालपुर, मानपुर, लक्ष्मीपुर लक्षी में भूमि अधिग्रहरण किया जाना है. इनदिनों भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई चल रही है. इसी बीच गांव में कुछ लोगों को अतिरिक्त मुआवजा दिलाने का प्रलोभन देकर स्थानीय पटवारी की मदद से रातों रात खेतों में ट्यूबेल व भवन बनाने का मामला सामने आया है.
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मामला संज्ञान में आने पर एसडीएम अभय प्रताप सिंह (Kashipur SDM Abhay Pratap Singh) एक्टिव मोड में आ गए हैं. उन्होंने बताया कि मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई गई है. जिम्मेदारों के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी. बाबरखेड़ा गांव में एक मामले में जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी को शिकायत मिली थी कि लेखपाल ने मोटी रकम लेकर एक व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए वर्ग चार के खसरा नंबर को वर्ग 'एक क' में बदल दिया है. वर्ग चार की इस जमीन पर पिछले 30 सालों से ज्यादा समय से आम का बाग खड़ा है.
एसडीएम के जांच के आदेश के बाद काशीपुर क्षेत्र में कुछ नए मामले भी खुल सकते हैं, जिसमें अतिरिक्त मुआवजा लेने के लिए खेतों के खसरों के नंबर बदले गए. माना जा रहा है कि कुछ गांवों में अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने के बाद तेजी से राजस्व कर्मियों की सांठगांठ से ऐसे मामलों को अंजाम दिया गया है. मामले में सरकारी कर्मियों के ऊपर भी आंच आ सकती है. एसडीएम ने मामले में पक्ष जानकारी एनएच में बैठे बरेली के अधिकारियों को दे दी है.