हल्द्वानी: लालकुआं नगर पंचायत वासियों को अब उनकी भूमि का मालिकाना हाल जल्द मिलने जा रहा है. सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में नगर पंचायत क्षेत्र लालकुआं में अवैध कब्जा धारकों को भूमिधरी अधिकार के प्रस्ताव पर सहमति बनी. इससे पहले भी मालिकाना हक के मामले में चार बार कैबिनेट में प्रस्ताव पारित हो चुका है.
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लालकुआं के लोगों को नजूल भूमि पर मालिकाना हक दिलाने के लिए जिला प्रशासन अपनी कार्यवाही शुरू कर दी है. जिलाधिकारी विनोद कुमार सुमन ने बताया कि जल्द लालकुआं वासियों को उनकी भूमि का मालिकाना हक मिल जाएगा. जिसका लाभा हजारों परिवारों को मिलेगा. इसके तहत100 वर्ग मीटर से कम भूमि के स्वामियों को मालिकाना देने के लिए आवेदन भी लिया गया है.
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1972 में डी-फारेस्ट हो गया था लालकुआं
सालों पूर्व खत्ते एवं कस्बे के रूप में बसे नगर को तत्कालीन सरकार ने 1972 में डी-फारेस्ट कर दिया था. देश की आजादी के बाद ग्रामीणों ने इसे राजस्व गांव का दर्जा दिलाने की मांग उठाई. 23 दिसंबर 1975 को लालकुआं को राजस्व ग्राम का दर्जा मिला, लेकिन पर्याप्त राजस्व अभिलेख न होने से 1978 में नगर के सर्वेक्षण एवं अभिलेखन की कार्यवाही पूरी नहीं हो सकी.
1978 में लालकुआं को मिला नगर पंचायत दर्जा
30 दिसंबर 1978 को लालकुआं को नगर पंचायत का दर्जा मिला. लेकिन कस्बे का गजट नोटिफिकेशन न होने से यहां रहने वाले लोगों को भूमि का मालिकाना हक नहीं मिल सका. जमीन का मालिकाना हक के लिए लोगों ने सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष किया, लेकिन 1978 से यहां रह रहे लोगों को जमीन का मालिकाना हक देने की मांग अभी तक पूरी नहीं हो पाई है. हालांकि, इस मामले में कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव पास होने के बाद लोगों में एक बार फिर उम्मीद जगी है कि जल्द उन्हें भूमि के मालिकाना हक मिल जाएगा.