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समस्याओं के मकड़जाल में फंसे अरविंद नगर ग्राम सभा के लोग, यहां विकास के नाम पर हुआ सिर्फ घोटाला - उत्तराखंड न्यूज

ग्रामीणों के मुताबिक 1964 में सरकार ने 40 परिवारों को यहां जगह अलॉट की थी. तब से आजतक विकास के नाम पर लोगों को कुछ नहीं मिला. निवर्तमान ग्राम प्रधान भवतोष आचार्य ने इस बार अपनी पत्नी की मैदान में उतारा है, लेकिन ग्रामीणों ने निवर्तमान ग्राम प्रधान पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.

अरविंद नगर ग्राम सभा
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Published : Sep 18, 2019, 5:34 PM IST

Updated : Sep 18, 2019, 7:17 PM IST

सितारगंज: उत्तराखंड में जब दुर्गम क्षेत्रों की बात की जाती है तो सबसे पहले जहन में पहाड़ की तस्वीर उभर कर आती है. लेकिन आप को जानकर हैरानी होगी कि उधम सिंह नगर जिले की सितारगंज विधानसभा में एक ग्राम सभा ऐसी भी है, जिसे अति दुर्गम भी कहा जाय तो गलत नहीं होगा. हम बात कर रहे हैं शक्तिफार्म के अरविंद नगर ग्राम सभा की.

अरविंद नगर ग्राम सभा की स्थिति पहाड़ में स्थित किसी दुर्गम गांव के जैसी ही है, जहां न तो जाने लिए सड़क, न पीने के लिए और न ही शौचालय की कोई व्यवस्था. शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की तो बात ही छोड़ दीजिए. यहां के लोगों को मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जिंदगी गुजर बसर करनी पड़ रही है.

पढ़ें- ऑस्कर के लिए नामित हुई 'मोती बाग', पहाड़ और पलायन की पीड़ा पर आधारित है फिल्म

गांव से शहर आने के लिए ग्रामीणों को नदी पार करनी पड़ती है. हैरानी कि नदी पार करने के लिए सिर्फ बल्ली लगाई गई है. इसी के सहारे ग्रामीण नदी को पार करते हैं. स्कूल जाने के लिए भी बच्चों को भी इसी बल्ली के सहारे नदी पार करनी पड़ती है. गांव को शहर से जोड़ने वाला मुख्य मार्ग भी कीचड़ के कारण दलदल में तब्दील हो चुका है. ईटीवी भारत की टीम भी इसी रास्ते से जान जोखिम से डालकर अरविंद नगर ग्राम सभा पहुंची.

ग्रामीणों को मुताबिक सन 1964 में सरकार ने 40 परिवारों को यहां जगह अलॉट की थी. तब से आजतक विकास के नाम पर लोगों को कुछ नहीं मिला. निवर्तमान ग्राम प्रधान भवतोष आचार्य ने इस बार अपनी पत्नी की मैदान में उतारा है, लेकिन ग्रामीणों ने निवर्तमान ग्राम प्रधान पर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं.

यहां विकास के नाम पर हुआ सिर्फ घोटाला

ग्रामीणों का आरोप है कि कई घर में अभीतक शौचालय नहीं बनाए गए है और जिन घरों में शौचालय बनाए गए हैं, उनमें भी कई कमियां है. शौचालय बनाने के लिए जिन्हें 12 हजार रुपए मिले थे वो भी ग्राम प्रधान ने वापस ले लिए. घर में शौचालय नहीं होने की वजह से ग्रामीणों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है. गांव के सभी घरों में शौचालय भले ही न हो, लेकिन खुले में शौच मुक्त अरविंद नगर ग्राम सभा बोर्ड यहां जरूर लगा है.

पढ़ें- आज तक दारमा वैली में नहीं बनी सड़क, सीमा पर तैनात जवानों तक सप्लाई पहुंचाने में आ रही मुश्किल

आरटीआई के जरिए एक और खुलासा हुआ है. जिसमें वार्ड नंबर 13 में बनाई गई सड़क का 2016 से 2018 तक 6 बार भुगतान हो चुका है. ग्रामीणों ने बताया कि ये सड़क दो हिस्सों में बनाई गई है. उसी का नाम बदलकर 6 बार भुगतान हो चुका है, जो कि जांच का विषय है. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक नलकूप लगवाने में भी बड़ा घोटाला किया गया है. जिसमे प्रति नलकूप की लागत से दो गुना पैसा स्वीकृत कराया गया. जिसका आधार जमीन में पत्थर होने की वजह से भारी मशीनों द्वारा ड्रिलिंग करवाना दर्शाया गया है.

जब इस बारे में बीडीओ सितारगंज हरीश चंद जोशी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामले की जांच कराई जाएगी. यदि कोई दोषी पाया जाता है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

सितारगंज: उत्तराखंड में जब दुर्गम क्षेत्रों की बात की जाती है तो सबसे पहले जहन में पहाड़ की तस्वीर उभर कर आती है. लेकिन आप को जानकर हैरानी होगी कि उधम सिंह नगर जिले की सितारगंज विधानसभा में एक ग्राम सभा ऐसी भी है, जिसे अति दुर्गम भी कहा जाय तो गलत नहीं होगा. हम बात कर रहे हैं शक्तिफार्म के अरविंद नगर ग्राम सभा की.

अरविंद नगर ग्राम सभा की स्थिति पहाड़ में स्थित किसी दुर्गम गांव के जैसी ही है, जहां न तो जाने लिए सड़क, न पीने के लिए और न ही शौचालय की कोई व्यवस्था. शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की तो बात ही छोड़ दीजिए. यहां के लोगों को मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जिंदगी गुजर बसर करनी पड़ रही है.

पढ़ें- ऑस्कर के लिए नामित हुई 'मोती बाग', पहाड़ और पलायन की पीड़ा पर आधारित है फिल्म

गांव से शहर आने के लिए ग्रामीणों को नदी पार करनी पड़ती है. हैरानी कि नदी पार करने के लिए सिर्फ बल्ली लगाई गई है. इसी के सहारे ग्रामीण नदी को पार करते हैं. स्कूल जाने के लिए भी बच्चों को भी इसी बल्ली के सहारे नदी पार करनी पड़ती है. गांव को शहर से जोड़ने वाला मुख्य मार्ग भी कीचड़ के कारण दलदल में तब्दील हो चुका है. ईटीवी भारत की टीम भी इसी रास्ते से जान जोखिम से डालकर अरविंद नगर ग्राम सभा पहुंची.

ग्रामीणों को मुताबिक सन 1964 में सरकार ने 40 परिवारों को यहां जगह अलॉट की थी. तब से आजतक विकास के नाम पर लोगों को कुछ नहीं मिला. निवर्तमान ग्राम प्रधान भवतोष आचार्य ने इस बार अपनी पत्नी की मैदान में उतारा है, लेकिन ग्रामीणों ने निवर्तमान ग्राम प्रधान पर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं.

यहां विकास के नाम पर हुआ सिर्फ घोटाला

ग्रामीणों का आरोप है कि कई घर में अभीतक शौचालय नहीं बनाए गए है और जिन घरों में शौचालय बनाए गए हैं, उनमें भी कई कमियां है. शौचालय बनाने के लिए जिन्हें 12 हजार रुपए मिले थे वो भी ग्राम प्रधान ने वापस ले लिए. घर में शौचालय नहीं होने की वजह से ग्रामीणों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है. गांव के सभी घरों में शौचालय भले ही न हो, लेकिन खुले में शौच मुक्त अरविंद नगर ग्राम सभा बोर्ड यहां जरूर लगा है.

पढ़ें- आज तक दारमा वैली में नहीं बनी सड़क, सीमा पर तैनात जवानों तक सप्लाई पहुंचाने में आ रही मुश्किल

आरटीआई के जरिए एक और खुलासा हुआ है. जिसमें वार्ड नंबर 13 में बनाई गई सड़क का 2016 से 2018 तक 6 बार भुगतान हो चुका है. ग्रामीणों ने बताया कि ये सड़क दो हिस्सों में बनाई गई है. उसी का नाम बदलकर 6 बार भुगतान हो चुका है, जो कि जांच का विषय है. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक नलकूप लगवाने में भी बड़ा घोटाला किया गया है. जिसमे प्रति नलकूप की लागत से दो गुना पैसा स्वीकृत कराया गया. जिसका आधार जमीन में पत्थर होने की वजह से भारी मशीनों द्वारा ड्रिलिंग करवाना दर्शाया गया है.

जब इस बारे में बीडीओ सितारगंज हरीश चंद जोशी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामले की जांच कराई जाएगी. यदि कोई दोषी पाया जाता है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

Intro:घोटाले की भेंट चढ़ी ग्राम सभा।


Body:एंकर-सितारगंज के शक्तिफार्म अरविंद नगर ग्रामसभा के निवर्तमान प्रधान पर गंभीर आरोप। सड़कों,शौचालयों व नल लगाने में किया गया बडा घोटाला। बिना छत बिना दरवाजे के शौचालय और फिर खुले में शौच मुक्त अरविंद नगर का लगा है बोर्ड।

Conclusion:वीओ1-(सितारगंज) शक्तिफार्म के अरविंद नगर से एक बड़ा मामला निकलकर सामने आया। अगर बात दुर्गम क्षेत्रों की की जाय तो सबके जहन में पहाड़ी क्षेत्र आ जाते है लेकिन यहां बात पहाड़ों की नही बल्कि तराई के मैदानी इलाके में स्थित शक्तिफार्म के अरविंद नगर ग्रामसभा की की जा रही है अगर इस क्षेत्र को अति दुर्गम भी कहा जाय तो गलत नही होगा। देखिये किस स्थिति में बुजुर्गों से लेकर बच्चे तक अपनी जान जोखिम में डालकर पुल पार कर अपने घर पहुंचते है पीड़ितों के अनुसार सन 1964 में सरकार द्वारा 40 परिवारों को यहां जगह अलॉटमेंट की गई थी। बच्चे स्कूल जाने भारी दिक्कतों का सामना करते है यहां तक कि यह रिपोर्ट बनाने के लिए रिपोर्टर को भी जूते उतारकर दलदल पार करनी करनी पड़ी और एक सिंगल बल्लियों से बनाये गए दो पुलों को पार करके हमारी टीम इस गांव तक पहुंच पायी। जहां देखा गया कितनी दयनीय स्थिति में यह ग्रामीण अपना जीवन जी रहे है।

वीओ2-अब बात करते है अरविंद नगर के निवर्तमान ग्राम प्रधान जिन्होंने इस बार अपनी पत्नी को मैदान में उतारा है निवर्तमान ग्राम प्रधान भवतोष आचार्य जिनके ऊपर पीड़ित परिवार आरोप लगा रहे है की कई परिवारों को शौचालय मिले ही नही है और जिनको मिले है उनका कहना है प्रधान ने बिना छत और बिना दरवाजे के अधूरे शौचालय बनवाये और खाते में 12 हजार रुपये आये थे वो भी ले लिए। इस इलाके की स्थिति इतनी खराब होने के बाबजूद भी जनप्रतिनिधि ने इनके जीवन स्तर को नजरअंदाज करते हुए सुविधाओं के नाम पर आया पैसा हजम कर लिया और आज इन परिवारों की महिलाओं तक को खुले में शौच के लिए मजबूर कर दिया।

वीओ3-इस ग्राम सभा के ग्रामीणों ने निवर्तमान प्रधान पर एक और गंभीर आरोप लगाया है जिसके साक्ष्य भी ग्रामीणों द्वारा सूचना के अधिकार के तहत एकत्रित कर लिए गए है जिसमे वार्ड नंबर 13 में बनाई गई सड़क का 2016 से 2018 तक 6 बार भुगतान हो चुका है जिसमे साक्ष्यों और ग्रामवासियों की मानी जाए तो सड़क दो हिस्सों में बनाई गई है और उसी का नाम बदल बदल कर 6 बार भुगतान हो चुका है जो कि जांच का विषय है।

वीओ4-मामला यहीं नही थमा सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार ग्रामीणों का कहना है निवर्तमान प्रधान ने नलकूप लगवाने में भी बड़ा घोटाला किया है जिसमे प्रति नलकूप की लागत से दो गुना पैसा स्वीकृत कराया गया और जिसका आधार जमीन में पत्थर होने की बजह से भारी मशीनों द्वारा ड्रिलिंग करवाना दर्शाया गया है।
मनमानी पर उतारू ऐसे जनप्रतिनिधि का किसी क्षेत्र का विकास कर सकते है जिन्हें आर्थिक तौर पर कमजोर जनता दिखाई नही देती। दिखायी देता है तो सिर्फ जनता का निवाला छीनकर अपनी जेब भरना और इसके बाबजूद ग्रामसभा के बाहर साइन बोर्ड लगा दिया जाता है खुले में शौच मुक्त ग्रामसभा अरविंद नगर और बात की जाय तो इसमें अकेले ग्राम प्रधान ही नही बल्कि बिना विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के ऐसे भुगतान हो ही नही सकता है। आगे देखना होगा कि इस मामले जांच किस प्रकार होती है और जांच के बाद दोषी पाए जाने पर क्या कार्यवाही अमल में लायी जायगी।
Last Updated : Sep 18, 2019, 7:17 PM IST
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