खटीमा: नगर पालिका खटीमा आरटीआई कानून का मखौल उड़ाती नजर आ रही है. एक आरटीआई कार्यकर्ता से सूचना के एवज में लाखों के भुगतान करने का पत्र जारी कर दिया है. जिससे आरटीआई कार्यकर्ता भी परेशान हैं. इस मामले में आरटीआई कार्यकर्ता अर्जुन चौहान ने आयोग जाने की बात कही है.
बता दें, आरटीआई कार्यकर्ता ने नगर पालिका खटीमा से सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत साल 2016-17 के गृह कर निर्धारण फाइल की कॉपी नगर पालिका से मांगी थी. इस पर नगर पालिका ने सूचना देने के एवज में आरटीआई अर्जुन चौहान को 2 लाख 71 हजार 8 सौ 24 रुपये के भुगतान का पत्र जारी कर दिया है. वहीं, जब आरटीआई कार्यकर्ता ने सूचना के एवज में इतनी भारी भरकम राशि मांगे जाने के बारे में नगर पालिका को पत्र लिख तो उसे अभी तक जवाब नहीं मिला है.
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आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि उन्होंने नगर पालिका खटीमा से वर्ष 2016-17 के गृहकर की फाइल की कॉपी नगर पालिका से मांगी थी. अर्जुन चौहान ने बताया कि उनको जानकारी मिली थी कि नगर पालिका बड़े भवनों से कम गृहकर वसूल रहा है, जबकि छोटे भवनों से ज्यादा वसूली की जा रही है.
अब नगर पालिका ने सूचना देने के एवज में लाखों के भुगतान किये जाने का पत्र जारी किया है. जिस पर आरटीआई कार्यकर्ता ने पत्र भेजकर पालिका से सूचना पर इतनी ज्यादा राशि मांगने का कारण पूछा है, जिस पर उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है.
आरटीआई कार्यकर्ता के मुताबिक गृहकर के मामले में नगर पालिका में भारी भ्रष्टाचार है, इसलिए नगर पालिका की और से लाखों रुपये मांगे जा रहे हैं, ताकि पालिका को सूचना न देनी पड़े. उन्होंने कहा कि अगर नगर पालिका से सही जवाब नहीं मिला तो वह आयोग का दरवाजा खटखटाएंगे.
वहीं, इस विषय पर नगर पालिका अध्यक्ष का कहना है कि सूचना के लिए दो रुपये कॉपी का प्रावधान है. बाकी इस विषय पर उन्हें अधिक जानकारी नहीं है वह इस विषय पर कार्यालय से जानकारी लेने के बाद ही कुछ कह पाएंगी.