काशीपुर: आईटीआई थाना पुलिस ने किशोर को उप कारागार भेजने की अपनी भूल में सुधार करते हुए किशोर को राजकीय संप्रेक्षण गृह भेज दिया है. पुलिस कार्रवाई का यह है एक ऐसा अनोखा मामला है जिसमें पुलिस से दस्तावेजी चूक हुई थी. जिसमें किशोर को पुलिस ने 1 साल पहले 14 साल का दिखाकर जेल भेजा था. 1 साल के भीतर उसे 18 साल का दिखाकर दोबारा से जेल भेज दिया. मामले की शिकायत राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग सहित तमाम अधिकारियों से की गई थी.
अधिवक्ता संजीव कुमार आकाश की ओर से अध्यक्ष राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, अध्यक्ष राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, डीजीपी उत्तराखंड और डीएम ऊधमसिंह नगर को बीते दिनों एक शिकायती पत्र भेजा गया. जिसमें कहा गया कि आइटीआई थाना पुलिस ने नगर के पशुपति बिहार कॉलोनी निवासी एक किशोर के खिलाफ साल 2020 में 207/2020 अपराध संख्या पर एक मुकदमा दर्ज किया. उस दौरान पुलिस ने किशोर की उम्र 14 साल दिखाई थी. उस दौरान पुलिस ने उसे 14 वर्ष का मानते हुए वारंट लिया और बाल सम्प्रेक्षण गृह भेज दिया.
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इसके बाद किशोर जमानत पर छूट कर वापस आया. 2021 में 24 अप्रैल को थाना आईटीआई में ही उसके खिलाफ अपराध संख्या 95/2021 पर दूसरा मुकदमा दर्ज हुआ. इस बार उसकी उम्र 18 साल से ज्यादा मानते हुए उसे बालिग घोषित कर दिया गया. उसे वयस्क पुरुष की भांति वारंट लेकर हल्द्वानी उप कारागार भेज दिया गया, जबकि उसके परिजनों ने आईटीआई थाना पुलिस को कई बार बताया कि वह अभी बच्चा है, मगर तब पुलिस ने उनकी बात नहीं सुनी.
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अधिवक्ता ने कहा किशोर को उप कारागार भेजना उसके बाल अधिकारों का हनन है. ऐसा करना किशोर का उत्पीड़न करना है. इससे किशोर न्याय अधिनियम 2016 का उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है. एक किशोर को इस तरह सामान्य पुरुष की भांति उप कारागार के सुपुर्द कर देना एक जघन्य कृत्य है. उन्होंने बाल अधिकार संरक्षण आयोग और अधिकारियों को पत्र भेजकर न्याय की मांग की थी. विवेचक थाना आईटीआई के एसआई मनोज सिंह देव ने बताया कि बीते दिनों विवेचना के दौरान आरोपी के नाबालिग होने की पुष्टि हुई. जिसके बाद उसे बाद संप्रेक्षण गृह भेजने का फैसला लिया गया.