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बुलंद हौसलों की मिसाल बनी काशीपुर की बेटी, ई रिक्शा चलाकर बदली तस्वीर - काशीपुर हिंदी न्यूज

काशीपुर में रहने वाली संगीता आज क्षेत्र की महिलाओं के मिसाल बन चुकी हैं. संगीता ई रिक्शा चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करती हैं.

Kashipur daughter
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Published : Dec 13, 2019, 2:23 PM IST

Updated : Dec 13, 2019, 3:16 PM IST

काशीपुर: कहानी काशीपुर की रहने वाली संगीता की है, जो बेहद गरीब परिवार से होने के बावजूद अपने हौसलों के दम पर आज महिलाओं के लिए मिसाल बन गई हैं. भाई की बीमारी व बड़ी बहन पर आये आर्थिक संकट के कारण आज संगीता ई-रिक्शा चलाकर परिवार का पालन पोषण कर रही हैं. अपनी मेहनत और मजबूत इरादों से संगीता ने अपने परिवार की तस्वीर बदल दी है. संगीता के संघर्षों की कहानी सुनते हैं उन्हीं की जुबानी.

बुलंद हौसलों की मिसाल बनी काशीपुर की बेटी

रामनगर के छोई में रहने वाले राम सिंह भंडारी के आठ बच्चों में संगीता चौथे नंबर की बेटी है. साल 2010 में पिता ने बड़ी बहन अनीता का विवाह काशीपुर में कर दिया. शादी के बाद अनीता को दो बेटियां हुईं. कुछ समय बाद अनीता के पति का भी देहांत हो गया. संगीता आर्थिक संकट से गुजर ही रही थी कि उनके भाई की तबीयत खराब हो गई. पिता पर आर्थिक बोझ पहले से ही था. ऐसे में संगीता ने आगे बढ़कर इस आर्थिक संकट से लड़ने का फैसला किया और भाई को साथ लेकर काशीपुर अपनी बहन अनीता के यहां आ गई.

इस दौरान संगीता ने विवाह भी किया लेकिन भाई की बीमारी व बहन की परेशानी, उसकी निजी जिंदगी में आड़े आ गई. संगीता का पति से आए दिन झगड़ा होने लगा. आखिर उसने अपने पति को छोड़ दिया और अपने भाई-बहन और गांव में रह रहे मां-बाप के पालन- पोषण का जिम्मा लिया और काशीपुर आ गई.

पढ़ें- कार से भिड़ंत होते ही कई फीट हवा में उछले बाइक सवार, देखें रोंगटे खड़े करने वाला VIDEO

काशीपुर में उसने पहले संगीता की बहन के साथ चाय की दुकान खोली लेकिन दुकान से संगीता की आर्थिक तंगी दूर नहीं हुई. संगीता बताती है कि इसी दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का एक भाषण सुना जिसमें उन्होंने बेटियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी थी. पीएम के इस भाषण का संगीता पर प्रभाव डाला और उन्होंने हिम्मत कर किश्तों में ई-रिक्शा खरीद लिया. आज सुनीता काशीपुर में ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार की आर्थिक तंगी दूर करने में जुटी है. संगीता कहती है कि ई-रिक्शा चलाने के दौरान लोग उन्हें देखकर हंसते हैं. उन पर कमेंट करते हैं लेकिन वह परवाह किये बिना आगे बढ़ती रहती हैं.

काशीपुर: कहानी काशीपुर की रहने वाली संगीता की है, जो बेहद गरीब परिवार से होने के बावजूद अपने हौसलों के दम पर आज महिलाओं के लिए मिसाल बन गई हैं. भाई की बीमारी व बड़ी बहन पर आये आर्थिक संकट के कारण आज संगीता ई-रिक्शा चलाकर परिवार का पालन पोषण कर रही हैं. अपनी मेहनत और मजबूत इरादों से संगीता ने अपने परिवार की तस्वीर बदल दी है. संगीता के संघर्षों की कहानी सुनते हैं उन्हीं की जुबानी.

बुलंद हौसलों की मिसाल बनी काशीपुर की बेटी

रामनगर के छोई में रहने वाले राम सिंह भंडारी के आठ बच्चों में संगीता चौथे नंबर की बेटी है. साल 2010 में पिता ने बड़ी बहन अनीता का विवाह काशीपुर में कर दिया. शादी के बाद अनीता को दो बेटियां हुईं. कुछ समय बाद अनीता के पति का भी देहांत हो गया. संगीता आर्थिक संकट से गुजर ही रही थी कि उनके भाई की तबीयत खराब हो गई. पिता पर आर्थिक बोझ पहले से ही था. ऐसे में संगीता ने आगे बढ़कर इस आर्थिक संकट से लड़ने का फैसला किया और भाई को साथ लेकर काशीपुर अपनी बहन अनीता के यहां आ गई.

इस दौरान संगीता ने विवाह भी किया लेकिन भाई की बीमारी व बहन की परेशानी, उसकी निजी जिंदगी में आड़े आ गई. संगीता का पति से आए दिन झगड़ा होने लगा. आखिर उसने अपने पति को छोड़ दिया और अपने भाई-बहन और गांव में रह रहे मां-बाप के पालन- पोषण का जिम्मा लिया और काशीपुर आ गई.

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काशीपुर में उसने पहले संगीता की बहन के साथ चाय की दुकान खोली लेकिन दुकान से संगीता की आर्थिक तंगी दूर नहीं हुई. संगीता बताती है कि इसी दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का एक भाषण सुना जिसमें उन्होंने बेटियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी थी. पीएम के इस भाषण का संगीता पर प्रभाव डाला और उन्होंने हिम्मत कर किश्तों में ई-रिक्शा खरीद लिया. आज सुनीता काशीपुर में ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार की आर्थिक तंगी दूर करने में जुटी है. संगीता कहती है कि ई-रिक्शा चलाने के दौरान लोग उन्हें देखकर हंसते हैं. उन पर कमेंट करते हैं लेकिन वह परवाह किये बिना आगे बढ़ती रहती हैं.

Intro:Exclusive story

Summary- कहानी है काशीपुर की रहने वाली संगीता की जो बेहद गरीब परिवार से होने के बावजूद अपने हौसलों के दम पर आज महिलाओं के लिए मिसाल बन गई है। भाई की बीमारी व बड़ी बहिन पर आये आर्थिक संकट के कारण आज संगीता ई-रिक्शा चलाकर परिवार का पालन पोषण कर रही है। अपनी मेहनत और मजबूत इरादों से संगीता ने अपने परिवार की तस्वीर बदल दी है। संगीता के इसी संघर्ष, हिम्मत और कामयाबी की कहानी बता रहे हैं हम।


एंकर- कहानी है काशीपुर की रहने वाली संगीता की जो बेहद गरीब परिवार से होने के बावजूद अपने हौसलों के दम पर आज महिलाओं के लिए मिसाल बन गई है। भाई की बीमारी व बड़ी बहिन पर आये आर्थिक संकट के कारण आज संगीता ई-रिक्शा चलाकर परिवार का पालन पोषण कर रही है। अपनी मेहनत और मजबूत इरादों से संगीता ने अपने परिवार की तस्वीर बदल दी है। संगीता के इसी संघर्ष, हिम्मत और कामयाबी की कहानी बता रहे हैं हम।

Body:वीओ- रामनगर के छोई में रहने वाले राम सिंह भंडारी आठ बच्चों में संगीता चौथे नंबर की बेटी है। वर्ष 2010 में पिता ने बमुश्किल बड़ी बहिन अनीता का विवाह काशीपुर में किया। कुछ दिनों बाद ही दो बेटियों के पैदा होने के उपरान्त अनीता के पति का देहांत हो गया। वह आर्थिक संकट के दौर से गुजर ही रही थी कि एक भाई के ब्रेन में पस पढ़ने से वह भी बीमार पढ़ गया। पिता पर आर्थिक बोझ पहले से ही था। ऐसे में सगीता ने आगे बढ़कर इस आर्थिक संकट से लड़ने का निश्चय किया और भाई को साथ लेकर काशीपुर अपनी बहिन अनीता के यहां आ गई। इस दौरान संगीता ने विवाह भी किया। परन्तु भाई की बीमारी व बहिन की परेशानी उसकी निजी जिंदगी में आड़े आ गई। उसका पति से आये दिन विवाद रहने लगा। आखिर उसने अपने पति को छोड़ काशीपुर में अपने भाई बहिन व गांव में रह रहे माँ बाप व अन्य भाई बहिन के पालन पोषण का जिम्मा लिया और काशीपुर आ गई।
वीओ- काशीपुर में उसने पहले बहिन के साथ चाय की दूकान खोली परन्तु दूकान से भी आर्थिक तंगी दूर नहीं हुई। संगीता बताती है कि इसी दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का एक भाषण सुना जिसमे उन्होंने बेटियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी थी। इसी भाषण ने उनके ऊपर प्रभाव डाला और उन्होंने हिम्मत कर किश्तों में ई-रिक्शा खरीद ली। आज सुनीता काशीपुर में ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार की आर्थिक तंगी दूर करने में जुटी है। संगीता कहती है कि ई-रिक्शा चलाने के दौरान लोग उन्हें देखकर हॅसते है। उन पर कमेंट करते है परन्तु वह परवाह किये बिना आगे बढ़ जाती है।


बाइट- संगीता, ई-रिक्शा चालकConclusion:
Last Updated : Dec 13, 2019, 3:16 PM IST
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