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LOCKDOWN: खटीमा श्मशान घाट के लॉकर में रखीं अस्थियां कर रहीं अपनों का इंतजार, लॉकर भी फुुल

उधम सिंह नगर जनपद के खटीमा स्थित श्मशान घाट में लॉकडाउन के दिनों में जलाए गए शवों की अस्थियां अभी भी श्मशान घाट में ही हैं. अस्थियों को रखने का लॉकर भर चुका है. जिसकी वजह से अस्थियां अब खुले में रखी जा रही हैं.

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Published : May 4, 2020, 10:18 PM IST

Khatima
अस्थि कलश

खटीमा: लॉकडाउन में दूसरे राज्यों और विदेशों में फंसे होने के कारण जहां लोग अपने परिवार से मिलने को तरस रहे हैं. वहीं, अंतिम यात्रा पूरी कर चुके लोग ईश्वर से मिलने को तरस रहे हैं. आलम ये है कि लॉकडाउन के दौरान मरे लोगों की अस्थियों को श्मशान घाटों में रखी हैं. साथ ही गंगा में प्रवाहित होने होने का इंतजार कर रही हैं.

प्रदेश में लॉकडाउन के कारण प्रदूषण नहीं फैलने की वजह से जहां गंगा सहित अन्य नदियां साफ व स्वच्छ हो गई हैं. वहीं, इसका एक कारण गंगा व अन्य नदियों में अस्थियों को प्रवाहित ना करना भी है. उधम सिंह नगर जनपद के खटीमा स्थित श्मशान घाट में लॉकडाउन के दिनों में जलाए गए शवों की अस्थियां अभी भी श्मशान घाट में ही है.

श्मशान घाट में खुले में रखीं गईं हैं अस्थियां.

अस्थियों को रखने का लॉकर भर चुका है. जिसकी वजह से अस्थियां अब खुले में रखी जा रही हैं. चूंकि लॉकडाउन की वजह से मृतकों के परिजन उनकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने के लिए हरिद्वार नहीं जा पा रहे हैं. क्योंकि सरकार द्वारा सिर्फ मेडिकल ग्राउंड पर ही पास दिए जाने का आदेश हैं.

पढ़ें: अमनमणि त्रिपाठी से बीजेपी का किनारा, कहा- लॉकडाउन उल्लंघन करने पर होगी उचित कार्रवाई

खटीमा श्मशान घाट की प्रबंधन कमेटी का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से श्मशान घाट में काफी अस्थियां इकट्ठी हो गई हैं. जिसकी वजह से अस्थियों को रखा जाने वाला लॉकर भर गया है और नई अस्थियों को खुले में रखना पड़ रहा है. वहीं, प्रबंधक कमेटी का कहना है कि हमने अस्थियों के स्वामियों को सूचित कर दिया है कि वह अपनी अस्थियों श्मशान घाट से ले जाएं. लॉकडॉउन की वजह से लोग अपनी अस्थियां लेने नहीं आ रहे हैं. हम लॉकडाउन खत्म होने के बाद फिर से सभी को सूचित करेंगे और इस कार्य में जो भी मदद होगी की जाएगी.

गौरतलब है कि हिन्दू परम्पराओं के अनुसार मृत्यु उपरांत मृतक की अस्थियों को गंगा या अन्य पवित्र नदियों में प्रवाहित किया जाता है. जिससे मृतक की आत्मा को शांति मिलती है. लेकिन लॉकडॉउन में सार्वजनिक परिवहन के बंद होने व अन्य वजहों से खटीमा श्मशान में पड़ी कई अस्थियों को अपने भगीरथ का इंतजार है. जो उनकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित कर उन्हें मुक्ति दिला सके.

खटीमा: लॉकडाउन में दूसरे राज्यों और विदेशों में फंसे होने के कारण जहां लोग अपने परिवार से मिलने को तरस रहे हैं. वहीं, अंतिम यात्रा पूरी कर चुके लोग ईश्वर से मिलने को तरस रहे हैं. आलम ये है कि लॉकडाउन के दौरान मरे लोगों की अस्थियों को श्मशान घाटों में रखी हैं. साथ ही गंगा में प्रवाहित होने होने का इंतजार कर रही हैं.

प्रदेश में लॉकडाउन के कारण प्रदूषण नहीं फैलने की वजह से जहां गंगा सहित अन्य नदियां साफ व स्वच्छ हो गई हैं. वहीं, इसका एक कारण गंगा व अन्य नदियों में अस्थियों को प्रवाहित ना करना भी है. उधम सिंह नगर जनपद के खटीमा स्थित श्मशान घाट में लॉकडाउन के दिनों में जलाए गए शवों की अस्थियां अभी भी श्मशान घाट में ही है.

श्मशान घाट में खुले में रखीं गईं हैं अस्थियां.

अस्थियों को रखने का लॉकर भर चुका है. जिसकी वजह से अस्थियां अब खुले में रखी जा रही हैं. चूंकि लॉकडाउन की वजह से मृतकों के परिजन उनकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने के लिए हरिद्वार नहीं जा पा रहे हैं. क्योंकि सरकार द्वारा सिर्फ मेडिकल ग्राउंड पर ही पास दिए जाने का आदेश हैं.

पढ़ें: अमनमणि त्रिपाठी से बीजेपी का किनारा, कहा- लॉकडाउन उल्लंघन करने पर होगी उचित कार्रवाई

खटीमा श्मशान घाट की प्रबंधन कमेटी का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से श्मशान घाट में काफी अस्थियां इकट्ठी हो गई हैं. जिसकी वजह से अस्थियों को रखा जाने वाला लॉकर भर गया है और नई अस्थियों को खुले में रखना पड़ रहा है. वहीं, प्रबंधक कमेटी का कहना है कि हमने अस्थियों के स्वामियों को सूचित कर दिया है कि वह अपनी अस्थियों श्मशान घाट से ले जाएं. लॉकडॉउन की वजह से लोग अपनी अस्थियां लेने नहीं आ रहे हैं. हम लॉकडाउन खत्म होने के बाद फिर से सभी को सूचित करेंगे और इस कार्य में जो भी मदद होगी की जाएगी.

गौरतलब है कि हिन्दू परम्पराओं के अनुसार मृत्यु उपरांत मृतक की अस्थियों को गंगा या अन्य पवित्र नदियों में प्रवाहित किया जाता है. जिससे मृतक की आत्मा को शांति मिलती है. लेकिन लॉकडॉउन में सार्वजनिक परिवहन के बंद होने व अन्य वजहों से खटीमा श्मशान में पड़ी कई अस्थियों को अपने भगीरथ का इंतजार है. जो उनकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित कर उन्हें मुक्ति दिला सके.

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