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उत्तराखंड: जड़ी-बूटी प्रदेश बनने का टूटा सपना, 10 सालों में नहीं हुई एक भी बोर्ड बैठक - वैद्य बालेंदु प्रकाश न्यूज

उत्तराखंड में 2010 में जड़ी बूटी की पैदावार 21 लाख की थी, जो 2019 तक आते-आते पांच हजार तक सीमित रह गई. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार इस ओर कितना ध्यान दे रही है.

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Published : Jan 17, 2020, 6:30 PM IST

गदरपुर: उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों से पलायन को रोकने और युवाओं को रोजगार देने का सबसे कारगर तरीका प्रदेश में जड़ी-बूटियों का उत्पादन करना था. इससे न सिर्फ युवाओं को रोजगार मिलता बल्कि किसानों की आय भी दो गुनी हो सकती थी, लेकिन अब ये सपना टूटता जा रहा है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2010 में करीब औषधीय पौधे की संख्या 21 लाख की जो अब घटकर पांच हजार के आसपास रह गई है. यह खुलासा आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम) में मिली जानकारी से हुआ है.

जड़ी-बूटी प्रदेश बनने का टूटा सपना.

भूतपूर्व राष्ट्रपति के मानद चिकित्सक और पद्मश्री से सम्मानित वैद्य बालेंदु प्रकाश का कहना है कि जड़ी-बूटियों को लेकर प्रदेश सरकार कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री के अध्यक्षता वाले औषधीय पादप बोर्ड की बैठक पिछले 10 सालों से नहीं हुई है. लगभग नौ करोड़ रुपए और 54 कर्मचारी की फौज के बावजूद इस बोर्ड की हालत बद से बदतर हैं.

पढ़ें- सरकार की बेरुखी से बंद हुई फैक्ट्रियां, अधूरा रह गया एनडी तिवारी का सपना

वैद्य बालेंदु ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आयुष को देश और विदेशों में बढ़ाने की पुरजोर वकालत कर रहे हैं. यही कारण है उन्होंने पिछले पांच सालों में इसका बजट 1.260 करोड़ रुपए से बढ़कर 1.746 करोड़ रुपए कर दिया. लेकिन आयुर्वेद का उद्गम स्रोत चरक ऋषि की जम्मस्थली उत्तराखंड में आयुर्वेद की मूलभूत इकाई जड़ी-बूटियों का उत्पादन पर सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है.

वैद्य बालेंदु ने कहा कि उन्होंने 2010 में जड़ी-बूटी शोध शुरू किया था. जिसमें से अधिकांश बेशकीमती जड़ी-बूटी की पैदावार 21 लाख की थी, जो 2019 तक आते-आते पांच हजार तक सीमित रह गई. इसके अलावा कई बेशकीमती जड़ी-बूटियों का उत्पादन भी पिछले सात सालों में बंद कर दिया गया.

पढ़ें- इस एप के जरिए पहाड़ पर रुकेंगे हादसे, तीव्र मोड़ से पहले बजेगा अलार्म

वैद्य बालेंदु ने बताया कि इस प्रदेश में जड़ी-बूटी की सात प्रजातियां चिन्हित थी, लेकिन अब उसमें से मात्र तीन ही रह गई है. केंद्र सरकार ने जड़ी-बूटियों के प्रोत्साहन के लिए राज्य सरकार को करोड़ों रुपए दिए थे, लेकिन उस पैसा का कोई उपयोग नहीं किया गया. वैद्य बालेंदु को ये सभी जानकारी आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम) के तहत मिली है.

गदरपुर: उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों से पलायन को रोकने और युवाओं को रोजगार देने का सबसे कारगर तरीका प्रदेश में जड़ी-बूटियों का उत्पादन करना था. इससे न सिर्फ युवाओं को रोजगार मिलता बल्कि किसानों की आय भी दो गुनी हो सकती थी, लेकिन अब ये सपना टूटता जा रहा है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2010 में करीब औषधीय पौधे की संख्या 21 लाख की जो अब घटकर पांच हजार के आसपास रह गई है. यह खुलासा आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम) में मिली जानकारी से हुआ है.

जड़ी-बूटी प्रदेश बनने का टूटा सपना.

भूतपूर्व राष्ट्रपति के मानद चिकित्सक और पद्मश्री से सम्मानित वैद्य बालेंदु प्रकाश का कहना है कि जड़ी-बूटियों को लेकर प्रदेश सरकार कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री के अध्यक्षता वाले औषधीय पादप बोर्ड की बैठक पिछले 10 सालों से नहीं हुई है. लगभग नौ करोड़ रुपए और 54 कर्मचारी की फौज के बावजूद इस बोर्ड की हालत बद से बदतर हैं.

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वैद्य बालेंदु ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आयुष को देश और विदेशों में बढ़ाने की पुरजोर वकालत कर रहे हैं. यही कारण है उन्होंने पिछले पांच सालों में इसका बजट 1.260 करोड़ रुपए से बढ़कर 1.746 करोड़ रुपए कर दिया. लेकिन आयुर्वेद का उद्गम स्रोत चरक ऋषि की जम्मस्थली उत्तराखंड में आयुर्वेद की मूलभूत इकाई जड़ी-बूटियों का उत्पादन पर सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है.

वैद्य बालेंदु ने कहा कि उन्होंने 2010 में जड़ी-बूटी शोध शुरू किया था. जिसमें से अधिकांश बेशकीमती जड़ी-बूटी की पैदावार 21 लाख की थी, जो 2019 तक आते-आते पांच हजार तक सीमित रह गई. इसके अलावा कई बेशकीमती जड़ी-बूटियों का उत्पादन भी पिछले सात सालों में बंद कर दिया गया.

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वैद्य बालेंदु ने बताया कि इस प्रदेश में जड़ी-बूटी की सात प्रजातियां चिन्हित थी, लेकिन अब उसमें से मात्र तीन ही रह गई है. केंद्र सरकार ने जड़ी-बूटियों के प्रोत्साहन के लिए राज्य सरकार को करोड़ों रुपए दिए थे, लेकिन उस पैसा का कोई उपयोग नहीं किया गया. वैद्य बालेंदु को ये सभी जानकारी आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम) के तहत मिली है.

Intro:Summry - गदरपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वैध बालेंदु प्रकाश ने कहा उत्तराखंड राज्य में टूटा जड़ी-बूटी राज्य बनने का सपना
एंकर - गदरपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वैध बालेंदु प्रकाश ने कहा उत्तराखंड राज्य में टूटा जड़ी-बूटी राज्य बनने का सपना , राज्य में जड़ी-बूटी उत्पादन की सोचनीय दशा , मुख्यमंत्री के अध्यक्षता वाले राज्य औषधीय पादप बोर्ड कि पिछले 10 वर्षों में नहीं हुई कोई बैठक , लगभग 9 करोड़ के सालाना बजट मंत्रालय अधिकारी और 54 कर्मचारी की फौज के बावजूद बद से बदतर हुए हालातBody:जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आयुष को देश और विदेशों में बढ़ाने की पुरजोर वकालत कर रहे हैं और पिछले 5 साल में आयुष मंत्रालय का बजट 1.260 करोड़ से बढ़कर 1.746 करोड़ सालाना कर दिया गया है आयुर्वेद का उद्गम स्रोत चरक ऋषि की जन्म स्थली वाले उत्तराखंड राज्य में आयुर्वेद की मूलभूत इकाई जड़ी बूटियों का उत्पादन वर्तमान राज्य सरकार की उदासीनता के कारण दुर्दशा का शिकार हो चुका है यहां खुलासा आज भूतपूर्व राष्ट्रपति के मानद चिकित्सक रहे पदम श्री सम्मानित वैद्य बालेंदु प्रकाश ने रतनपुरा स्थित विशिष्ट आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र में पत्रकार वार्ता के दौरान किया। प्रेस वार्ता के दौरान वैद्य बालेंदु प्रकाश ने कहा है कि 10 वर्ष पूर्व वर्ष 2010 में जड़ी बूटी शोध के लिए कार्य प्रारंभ किया गया था जिसमें से अधिकांश बेशकीमती जड़ी बूटी की पैदावार के लिए 21 लाख का लक्ष्य रखा गया तो वही 2019 तक आते आते 5000 तक ही सीमित रह गया इसके अलावा कई सारी बेशकीमती जड़ी बूटियों को इन 7 सालों में बंद कर दिया गया उन्होंने कहा है कि करोड़ों रुपए जब केंद्रीय सरकार से जड़ी बूटी लगाए जाने हेतु प्रोत्साहन के लिए दिया जाता है तो वहां पैसा किस मद में किया जा रहा है । इस दौरान में कहां है कि लगभग 9 करोड़ के सालाना बजट मंत्रालय अधिकारी और 54 कर्मचारियों की फौज के बावजूद बद से बदतर हुआ यहां विभाग। इस दौरान उन्होंने कहा है कि कितनी विडंबना की बात है कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाले राज्य औषधीय पादप बोर्ड कि पिछले 10 वर्षों में कोई बैठक नहीं किया गया तो कैसे शासन प्रदेश को जड़ी बूटी बनाने का सपना देख रहे हैं। उन्होंने कहा है कि पूरा मामला सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत 10 दिसंबर 2019 से मांगी गई रिपोर्ट से यहां पता चला है। इस दौरान उन्होंने कहा है कि करोड़ों रुपए का हेरफेर किया जा रहा हैConclusion:बाइट - वैद्य बालेंदु प्रकाश राष्ट्रपति द्वारा पदम श्री से सम्मानित
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