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उत्तराखंड के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होगी 'हमारी विरासत' पुस्तक, पौराणिक और सांस्कृतिक धरोहर की मिलेगी जानकारी

उत्तराखंड के स्कूली पाठ्यक्रम में 'हमारी विरासत' नामक को पुस्तक को शामिल किया जाएगा. पुस्तक में राज्य के पौराणिक, एतिहासिक, सांस्कृतिक धरोहर की जानकारियां होगी. पुस्तक के निर्माण के लिए एसईटीआई निदेशक की अध्यक्षता में 5 सदस्य समिति का गठन किया गया है.

N c E r T
एनसीईआरटी
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 26, 2023, 10:38 PM IST

देहरादूनः राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की ओर से गठित उच्च स्तरीय समिति द्वारा दी गई सिफारिशों को प्रदेश में लागू किया जाएगा. इसके साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में किए गए प्रावधानों के अनुसार प्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रम में 'हमारी विरासत' नामक पुस्तक को शामिल किया जाएगा. जिसके तहत निर्णय लिया गया है कि पहले चरण में कक्षा 6 से 8 तक में लागू किया जाएगा. इसके लिए निदेशक, राज्य शैक्षिक एवं प्रशिक्षण संस्थान (एसईटीआई) की अध्यक्षता में पांच सदस्य समिति का भी गठन कर दिया गया है.

शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि एनसीईआरटी की समिति की सिफारिश को प्रदेश की स्कूली किताबों में लागू किया जाना है. जिस संबंध में निदेशक, राज्य शैक्षिक एवं प्रशिक्षण संस्थान को निर्देश दिए गए हैं. साथ ही कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) समिति ने किताबों में 'इंडिया' शब्द की जगह 'भारत' लिखे जाने की भी सिफारिश की है. साथ ही समिति ने सभी पाठ्यक्रमों में भारती ज्ञान प्रणाली को शुरू करने की सिफारिश की है.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रमों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में किए गए प्रावधान भारतीय ज्ञान परंपरा को शामिल करने का निर्णय पहले ही ले लिया था. ऐसे में प्रदेश में संचालित पाठ्य पुस्तकों के साथ ही 'हमारी विरासत' नामक पुस्तक को शामिल किया जाएगा. साथ ही कहा कि 'हमारी विरासत' किताब के लिए सभी डायटों (जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) के प्रधानाचार्यों को अपने-अपने जिलों से जुड़ी जानकारियां एकत्र कर राज्य शैक्षिक एवं प्रशिक्षण संस्थान को भेजने के निर्देश दिए हैं.
ये भी पढ़ेंः किताबों में इंडिया की जगह 'भारत' लिखने की सिफारिश पर CM धामी ने दी प्रतिक्रिया, कहा- भारत माता की जय...

छात्रों को मिलेगी प्रदेश के गौरवमयी इतिहास की जानकारी: मंत्री ने कहा कि 'हमारी विरासत' पुस्तक में राज्य के पौराणिक, एतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक महत्व की जानकारियों के साथ ही प्रदेश की महान विभूतियों, वीरांगनाओं, सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़े सैनानियों, पर्यावरणविदों, वैज्ञानिकों, साहित्यकारों, विभिन्न आंदोलनों और खेलों से जुड़े व्यक्तियों, तीर्थ स्थलों, पंच प्रयागों सहित ऐतिहासिक धरोहरों एवं घटनाओं की जानकारी भी पुस्तक में शामिल की जाएगी. जिससे छात्र-छात्राओं को प्रदेश के गौरवमयी इतिहास और संस्कृति की सही जानकारी मिल सके.

देहरादूनः राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की ओर से गठित उच्च स्तरीय समिति द्वारा दी गई सिफारिशों को प्रदेश में लागू किया जाएगा. इसके साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में किए गए प्रावधानों के अनुसार प्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रम में 'हमारी विरासत' नामक पुस्तक को शामिल किया जाएगा. जिसके तहत निर्णय लिया गया है कि पहले चरण में कक्षा 6 से 8 तक में लागू किया जाएगा. इसके लिए निदेशक, राज्य शैक्षिक एवं प्रशिक्षण संस्थान (एसईटीआई) की अध्यक्षता में पांच सदस्य समिति का भी गठन कर दिया गया है.

शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि एनसीईआरटी की समिति की सिफारिश को प्रदेश की स्कूली किताबों में लागू किया जाना है. जिस संबंध में निदेशक, राज्य शैक्षिक एवं प्रशिक्षण संस्थान को निर्देश दिए गए हैं. साथ ही कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) समिति ने किताबों में 'इंडिया' शब्द की जगह 'भारत' लिखे जाने की भी सिफारिश की है. साथ ही समिति ने सभी पाठ्यक्रमों में भारती ज्ञान प्रणाली को शुरू करने की सिफारिश की है.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रमों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में किए गए प्रावधान भारतीय ज्ञान परंपरा को शामिल करने का निर्णय पहले ही ले लिया था. ऐसे में प्रदेश में संचालित पाठ्य पुस्तकों के साथ ही 'हमारी विरासत' नामक पुस्तक को शामिल किया जाएगा. साथ ही कहा कि 'हमारी विरासत' किताब के लिए सभी डायटों (जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) के प्रधानाचार्यों को अपने-अपने जिलों से जुड़ी जानकारियां एकत्र कर राज्य शैक्षिक एवं प्रशिक्षण संस्थान को भेजने के निर्देश दिए हैं.
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छात्रों को मिलेगी प्रदेश के गौरवमयी इतिहास की जानकारी: मंत्री ने कहा कि 'हमारी विरासत' पुस्तक में राज्य के पौराणिक, एतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक महत्व की जानकारियों के साथ ही प्रदेश की महान विभूतियों, वीरांगनाओं, सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़े सैनानियों, पर्यावरणविदों, वैज्ञानिकों, साहित्यकारों, विभिन्न आंदोलनों और खेलों से जुड़े व्यक्तियों, तीर्थ स्थलों, पंच प्रयागों सहित ऐतिहासिक धरोहरों एवं घटनाओं की जानकारी भी पुस्तक में शामिल की जाएगी. जिससे छात्र-छात्राओं को प्रदेश के गौरवमयी इतिहास और संस्कृति की सही जानकारी मिल सके.

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