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खटीमा में थारू जनजाति महोत्सव में पहुंचे राज्यपाल गुरमीत सिंह, आदिवासियों को बताया देश का असली हीरो

उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह ने खटीमा में थारू जनजाति महोत्सव में शिरकत की. राज्यपाल ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में जनजातियों का योगदान अतुलनीय है. राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी और ग्रामीण समाज में काम करने वाली जनजातियां देश की असली हीरो हैं. इसीलिए 15 नवंबर को भारत सरकार जनजातीय गौरव दिवस मनाएगी.

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Published : Jun 6, 2023, 1:52 PM IST

Updated : Jun 6, 2023, 3:24 PM IST

थारू जनजाति महोत्सव में पहुंचे राज्यपाल गुरमीत सिंह

खटीमा: प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) आज उधम सिंह नगर जनपद के अपने एक दिवसीय दौरे के दौरान खटीमा पहुंचे. यहां उन्होंने खटीमा थारू विकास भवन में सेवा प्रकल्प संस्थान, उत्तराखंड द्वारा आयोजित "स्वतंत्रता आंदोलन में जनजाति नायकों का योगदान" थारू जनजाति के महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया. इस दौरान उन्होंने परिसर में लगी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के चित्रों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया.

जनजाति महोत्सव में पहुंचे राज्यपाल गुरमीत सिंह: खटीमा के थारू विकास भवन में आयोजित "स्वतंत्रता आंदोलन में जनजाति नायकों का योगदान" कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदाय ने महत्वपूर्ण और महान योगदान दिया है. जनजातीय समाजों ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शक्तिशाली और प्रभावशाली रूप से संघर्ष किया है. जनजातियों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक संगठन को सशक्त किया.

आजादी की लड़ाई में जनजातियों के योगदान को किया याद: जनजातीय समाजों ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सशक्त आंदोलन चलाए. गुड़िया सत्याग्रह, असहिष्णुता के खिलाफ संगठन किया और आर्य समाज, सनातन धर्म सभा जैसे आंदोलनों में भी अपना योगदान दिया. वीर बिरसा मुंडा, सिद्धो और कान्हु मुरमु, झसिया भगत, रानी गैडी जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी जनजातियों ने अपने लोगों को विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ उठने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी जान को न्यौछावर किया और लोक विद्रोह के माध्यम से अपनी स्वतंत्रता को प्राप्त किया. उत्तराखंड में जब जनजातीय समाज की चर्चा होती है तो 5 मुख्य जनजातियां थारू, बुक्सा, जौनसारी, भोटिया एवं राजी समाज का जिक्र आता है. इन सभी जनजातियों द्वारा प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा रहा है.
ये भी पढ़ें: 100 साल से पुराना है बिस्सू गनियात मेले का इतिहास, जौनसारी संस्कृति को है सहेजा

15 नवंबर को मनाया जाएगा जनजातीय गौरव दिवस: वहीं मीडिया से वार्ता में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा कि जनजातीय समाज का प्रयास, सबका प्रयास ही आजादी के अमृतकाल में बुलंद भारत के निर्माण की ऊर्जा है. भारत सरकार ने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस मनाने का निर्णय लिया है. आदिवासी और ग्रामीण समाज में काम करने वाले ये देश के असली हीरो हैं. यही हमारे डायमंड हैं. यही तो हमारे हीरे हैं. प्राचीन काल से भारत के विभिन्न जनजाति समुदाय अपनी विशिष्ट जीवन शैली एवं संस्कृति का पालन करते आए हैं. इसी कारण उन्होंने अपना स्वाभिमान जीवित रखा है.

थारू जनजाति महोत्सव में पहुंचे राज्यपाल गुरमीत सिंह

खटीमा: प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) आज उधम सिंह नगर जनपद के अपने एक दिवसीय दौरे के दौरान खटीमा पहुंचे. यहां उन्होंने खटीमा थारू विकास भवन में सेवा प्रकल्प संस्थान, उत्तराखंड द्वारा आयोजित "स्वतंत्रता आंदोलन में जनजाति नायकों का योगदान" थारू जनजाति के महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया. इस दौरान उन्होंने परिसर में लगी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के चित्रों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया.

जनजाति महोत्सव में पहुंचे राज्यपाल गुरमीत सिंह: खटीमा के थारू विकास भवन में आयोजित "स्वतंत्रता आंदोलन में जनजाति नायकों का योगदान" कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदाय ने महत्वपूर्ण और महान योगदान दिया है. जनजातीय समाजों ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शक्तिशाली और प्रभावशाली रूप से संघर्ष किया है. जनजातियों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक संगठन को सशक्त किया.

आजादी की लड़ाई में जनजातियों के योगदान को किया याद: जनजातीय समाजों ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सशक्त आंदोलन चलाए. गुड़िया सत्याग्रह, असहिष्णुता के खिलाफ संगठन किया और आर्य समाज, सनातन धर्म सभा जैसे आंदोलनों में भी अपना योगदान दिया. वीर बिरसा मुंडा, सिद्धो और कान्हु मुरमु, झसिया भगत, रानी गैडी जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी जनजातियों ने अपने लोगों को विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ उठने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी जान को न्यौछावर किया और लोक विद्रोह के माध्यम से अपनी स्वतंत्रता को प्राप्त किया. उत्तराखंड में जब जनजातीय समाज की चर्चा होती है तो 5 मुख्य जनजातियां थारू, बुक्सा, जौनसारी, भोटिया एवं राजी समाज का जिक्र आता है. इन सभी जनजातियों द्वारा प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा रहा है.
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15 नवंबर को मनाया जाएगा जनजातीय गौरव दिवस: वहीं मीडिया से वार्ता में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा कि जनजातीय समाज का प्रयास, सबका प्रयास ही आजादी के अमृतकाल में बुलंद भारत के निर्माण की ऊर्जा है. भारत सरकार ने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस मनाने का निर्णय लिया है. आदिवासी और ग्रामीण समाज में काम करने वाले ये देश के असली हीरो हैं. यही हमारे डायमंड हैं. यही तो हमारे हीरे हैं. प्राचीन काल से भारत के विभिन्न जनजाति समुदाय अपनी विशिष्ट जीवन शैली एवं संस्कृति का पालन करते आए हैं. इसी कारण उन्होंने अपना स्वाभिमान जीवित रखा है.

Last Updated : Jun 6, 2023, 3:24 PM IST
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