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कारगिल युद्ध के दिनों को याद कर भावुक हुए पूर्व हवलदार विनोद नेगी, सुनाई आपबीती

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Published : Jul 26, 2020, 3:26 PM IST

कारगिल युद्ध की दास्तां बयां करते हुए नेगी ने कहा कि जब वह युद्ध में घायल हो गए थे तो उस समय साधन उपलब्ध नहीं होने की वजह से उनके परिवार को चिट्ठी के माध्यम से उनके घायल होने का पता चला.

vinod singh negi
पूर्व हवलदार विनोद नेगी

काशीपुर: कारिगल युद्ध में उत्तराखंड के रणबांकुरों अपनी वीरता का लोहा मनवाया था. ऐसे में कारगिल युद्ध को याद करते हुए हवलदार विनोद नेगी भी भावुक हो उठते हैं. नेगी की रेजीमेंट को उन दिनों द्रास सेक्टर में जाने का आदेश मिला था.

पूर्व हवलदार विनोद नेगी

16 बिहार रेजीमेंट के जवान विनोद सिंह नेगी बताते हैं कि 12 फरवरी 1999 को उनकी शादी हुई थी. जिसे ही वापस लौटे तो उन्हें द्रास सेक्टर में जाने का आदेश मिला था. नेगी कहते हैं कि आज हमारे पास काफी तकनीक आ गई हैं, सूचना का आदान प्रदान काफी आसान है. युद्ध के दौरान नेगी के बाएं पैर में गोली लगी थी. उस समय हम दुश्मन सेना के साथ साथ मौसम से भी लड़ रहे थे, घायल होने के बाद उनको उडेन ब्रिज अस्पताल और फिर दिल्ली अस्पताल भेजा गया.

ये भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर के बड़गाम में सेना ने दो आतंकियों को मार गिराया

उन्होंने कारगिल युद्ध की दास्तां बयां करते हुए नेगी ने कहा कि जब वह युद्ध में घायल हो गए थे तो उस समय साधन उपलब्ध नहीं होने की वजह से उनके परिवार को चिट्ठी के माध्यम से उनके घायल होने का पता चला. उन्होंने कहा कि अगर आज भी सेना को उनकी जरूरत महसूस हुई तो वह युद्ध क्षेत्र में जाने के लिए तैयार हैं. नेगी ने बताया इनदिनों 16 बिहार रजीमेंट गलवान में तैनात है.

काशीपुर: कारिगल युद्ध में उत्तराखंड के रणबांकुरों अपनी वीरता का लोहा मनवाया था. ऐसे में कारगिल युद्ध को याद करते हुए हवलदार विनोद नेगी भी भावुक हो उठते हैं. नेगी की रेजीमेंट को उन दिनों द्रास सेक्टर में जाने का आदेश मिला था.

पूर्व हवलदार विनोद नेगी

16 बिहार रेजीमेंट के जवान विनोद सिंह नेगी बताते हैं कि 12 फरवरी 1999 को उनकी शादी हुई थी. जिसे ही वापस लौटे तो उन्हें द्रास सेक्टर में जाने का आदेश मिला था. नेगी कहते हैं कि आज हमारे पास काफी तकनीक आ गई हैं, सूचना का आदान प्रदान काफी आसान है. युद्ध के दौरान नेगी के बाएं पैर में गोली लगी थी. उस समय हम दुश्मन सेना के साथ साथ मौसम से भी लड़ रहे थे, घायल होने के बाद उनको उडेन ब्रिज अस्पताल और फिर दिल्ली अस्पताल भेजा गया.

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उन्होंने कारगिल युद्ध की दास्तां बयां करते हुए नेगी ने कहा कि जब वह युद्ध में घायल हो गए थे तो उस समय साधन उपलब्ध नहीं होने की वजह से उनके परिवार को चिट्ठी के माध्यम से उनके घायल होने का पता चला. उन्होंने कहा कि अगर आज भी सेना को उनकी जरूरत महसूस हुई तो वह युद्ध क्षेत्र में जाने के लिए तैयार हैं. नेगी ने बताया इनदिनों 16 बिहार रजीमेंट गलवान में तैनात है.

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