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बिना सुरक्षा उपकरणों के वनकर्मी जहरीले सांपों को कर रहे रेस्क्यू, हो सकता है बड़ा हादसा

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Published : Nov 14, 2019, 11:24 PM IST

खटीमा क्षेत्र में सांपों के निकलने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में वन विभाग के पास हर रोज कोई न कोई घटना सामने आती है. वहीं, सूचना पर सांप पकड़ने के लिए वन विभाग के कर्मचारियों को भेजा जाता है. बावजूद इसके वन महकमा अपने कर्मियों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं करवा रहा है.

बिना सुरक्षा उपकरणों के वनकर्मी जहरीले सांपों को कर रहे रेस्क्यू

खटीमाः वन विभाग अपने कर्मियों की जान से खिलवाड़ कर रहा है. ऐसे में बिना सुरक्षा उपकरणों के जहरीले सांप पकड़ते वक्त वन कर्मियों को जान का खतरा बना रहता है. बावजूद इसके वन महकमा अपने कर्मियों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं करवा रहा है.

बता दें कि खटीमा क्षेत्र में सांपों के निकलने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में वन विभाग के पास हर रोज कोई न कोई घटना सामने आती है. वहीं, सूचना पर सांप पकड़ने के लिए वन विभाग के कर्मचारियों को भेजा जाता है.

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जानकारी के मुताबिक, इस साल वन विभाग की टीम ने लगभग सौ सांपों को रेस्क्यू किया. वहीं, खटीमा नागरिक चिकित्सालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सांप के काटने पर इलाज के लिए उनके पास एंटी स्नैक डोज उपलब्ध है. हालांकि, नागरिक चिकित्सालय में ना तो आईसीयू की व्यवस्था है और ना ही फिजिशियन तैनात है. बहरहाल, बिना आवश्यक सुरक्षा उपकरणों के सांपों को जहरीले सांपों को रेस्क्यू करने के दौरान वनकर्मियों के साथ कोई हादसा हो जाता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा.

खटीमाः वन विभाग अपने कर्मियों की जान से खिलवाड़ कर रहा है. ऐसे में बिना सुरक्षा उपकरणों के जहरीले सांप पकड़ते वक्त वन कर्मियों को जान का खतरा बना रहता है. बावजूद इसके वन महकमा अपने कर्मियों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं करवा रहा है.

बता दें कि खटीमा क्षेत्र में सांपों के निकलने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में वन विभाग के पास हर रोज कोई न कोई घटना सामने आती है. वहीं, सूचना पर सांप पकड़ने के लिए वन विभाग के कर्मचारियों को भेजा जाता है.

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जानकारी के मुताबिक, इस साल वन विभाग की टीम ने लगभग सौ सांपों को रेस्क्यू किया. वहीं, खटीमा नागरिक चिकित्सालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सांप के काटने पर इलाज के लिए उनके पास एंटी स्नैक डोज उपलब्ध है. हालांकि, नागरिक चिकित्सालय में ना तो आईसीयू की व्यवस्था है और ना ही फिजिशियन तैनात है. बहरहाल, बिना आवश्यक सुरक्षा उपकरणों के सांपों को जहरीले सांपों को रेस्क्यू करने के दौरान वनकर्मियों के साथ कोई हादसा हो जाता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा.

Intro:summary- खटीमा में वन विभाग अपने वन कर्मियों की जान से कर रहा है खिलवाड़। बिना सुरक्षा उपकरणों के सांप पकडते वन कर्मियों के साथ हादसा होने पर एंटी स्नेक दवाई का नहीं है कोई इंतजाम।

नोट-खबर एफटीपी में- jaan se khilvaad- नाम के फोल्डर में है।

एंकर- बिना आवश्यक सुरक्षा उपकरणों के जहरीले सांपों को आबादी क्षेत्रों में रोज पकड़ रहे है वन कर्मी। कभी भी घटित हो सकती है कोई दुर्घटना।


Body:वीओ-वन विभाग अपने वन कर्मियों की जान से कर रहा है खिलवाड़। उधम सिंह नगर जनपद के खटीमा के आबादी क्षेत्र में सांपों के निकलने की घटनाएं लगातार बढ़ती ही जा रही है। प्रत्येक दिन दो से तीन घटनाएं आबादी क्षेत्रों में जहरीले सांपों के निकलने की सामने आ रही है। खटीमा उप वन प्रभाग में सांप पकड़ने के लिए वन विभाग द्वारा अशोक कुमार वन दरोगा व अन्य वन कर्मियों को भेजा जाता है। इस वर्ष अशोक कुमार द्वारा अपनी टीम के साथ सौ के लगभग सांपो को आबादी क्षेत्रों से पकड़ कर वन में छोड़ा गया है। अशोक कुमार वन दरोगा अपनी जान को जोखिम में डाल कर रोज सांप निकलने की सूचना पर सांपों को पकड़ने जाते हैं। वन विभाग द्वारा सांप पकड़ने के लिए अशोक कुमार को मात्र एक सांप पकड़ने की स्टिक दी गई है। वही जहरीले सांप को पकड़ते समय यदि गलती से जहरीला सांप वन कर्मी को काट लेता है तो वन विभाग के पास सांप के जहर से बचाने वाली एंटी ड्रग नहीं है। ऐसी परिस्थिति में वन कर्मी को इलाज के लिए सरकारी अस्पताल जाना पड़ेगा। और यदि सांप काटने की घटना अस्पताल से ज्यादा दूर हुई तो अस्पताल पहुंचते - पहुंचते वन कर्मी के साथ जानलेवा दुर्घटना हो सकती है।

बाइट- महातीम सिंह यादव हल्द्वानी वन प्रभाग

वीओ 2 - वही जहरीले सांप से काटे जाने के बाद समय से वन कर्मी सरकारी अस्पताल पहुंच भी जाता है। तो भी सरकारी अस्पताल में वन कर्मी का इलाज होना संभव प्रतीत नहीं होता है। क्योंकि सांप काटे के इलाज के लिए मरीज का तीन दिन तक आईसीयू में फिजिशियन डॉक्टर की देखरेख में इलाज चलता है। इस दौरान सांप काटे मरीज को एंटी स्नेक दवाई की 20 से 25 डोज लगाई जाती है। जबकि खटीमा नागरिक चिकित्सालय में सांप काटे के इलाज के लिए आवश्यक दवाई की मात्र 5 से 10 डोज ही उपलब्ध है। खटीमा नागरिक चिकित्सालय में ना तो आईसीयू की व्यवस्था है और ना ही फिजिशियन डॉक्टर तैनात है। जिसके चलते खटीमा नागरिक चिकित्सालय से सांप काटे के मरीज को तत्काल रेफर कर दिया जाता है जिस चक्कर में सांप काटे का मरीज रेफर स्टेशन तक पहुंचते - पहुंचते ऊपर पहुंच जाता है।

बाइट- डॉक्टर वी पी सिंह नागरिक चिकित्सालय खटीमा




Conclusion:फाइनल वीओ- वही ऐसी परिस्थितियों में भी वन विभाग द्वारा अपने वन कर्मियों की जान से खिलवाड़ करता हुआ बिना किसी आवश्यक सुरक्षा उपकरणों के सांपों के पकड़वाने का कार्य जारी रखा हुआ है। वन विभाग शायद किसी वन कर्मी के साथ दुर्घटना होने पर ही गहरी नींद से जाग पाएगा।
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