काशीपुर: प्रदेश सरकार के द्वारा अधिग्रहण की गई भूमि का आधा मुआवजा न मिलने पर एक किसान ने परिवार सहित आत्मदाह कर लेने की चेतावनी दी है. किसान की भूमि साल 2013 में एनएच 74 के लिए अधिग्रहित की गई थी. परेशान किसान परिवार ने पत्रकारों को एक पत्र भेजकर कहा है कि प्रशासन व एनएचएआई के अधिकारी आदेश के बाद भी उसका पूरा मुआवजा नहीं दे रहे हैं, जिसके चलते उनके सामने आर्थिक संकट गहरा गया है.
पीड़ित किसान का कहना है कि उच्चाधिकारियों से गुहार लगाने के बाद भी उनकी कोई भी मदद नहीं कर रहा है. उसने कहा है कि अगर समय रहते मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया, तो वह परिवार सहित आत्मदाह करने को बाध्य होगा. इसकी पूरी जिम्मेदारी राजस्व विभाग और एनएचएआई के अधिकारियों की होगी.
दरअसल, काशीपुर के ग्राम बांसखेड़ा निवासी महिपाल सिंह पुत्र दिग्विजय सिंह की गिन्नी खेड़ा में लगभग साढ़े 3 एकड़ जमीन है. फोरलेन निर्माण के चलते साल 2013 में लगभग ढाई एकड़ जमीन राजस्व विभाग ने अधिग्रहण कर ली थी. अधिग्रहित भूमि के मुआवजे के रूप में आधा भुगतान चार साल बाद 2017 में मिला. इस दौरान किसान के छोटे भाई हरगोविंद सिंह की 2016 में हार्ट अटैक के चलते मौत भी हो गई.
महिपाल सिंह ने बताया कि न्यायालय आर्बिट्रेटर उधम सिंह नगर ने 5 फरवरी 2021 को सक्षम प्राधिकारी उधम सिंह नगर को उनका समुचित मुआवजा 9% वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करने को आदेश दिया था. लेकिन 6 माह बीतने के बाद भी राजस्व विभाग और एनएचएआई के अधिकारी न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं. उन्होंने 21 जून को एसडीएम काशीपुर को भी एक पत्र सौंपा था, जिसमें उन्होंने आदेशों का हवाला देते हुए जल्द भुगतान करवाने की अपील की थी.
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एसडीएम काशीपुर ने एक नोटिस एनएचएआई के अधिकारियों को भेजा था, जिसमें उनको 23 जून को कार्यालय में उपस्थित होने को बोला था. लेकिन 23 तारीख को एनएचएआई का कोई भी अधिकारी नहीं पहुंचा. चूंकि इस मामले में लगभग 4 साल का समय बीत गया है और अधिकारियों की मान मनौव्वल और गुहार लगाने के बाद भी उनका भुगतान नहीं हो सका. साथ ही ढाई एकड़ जमीन के अधिग्रहण व बची हुई जमीन भी खेती योग्य नहीं बची. जिसके चलते परिवार के आगे आर्थिक संकट गहराया हुआ है. जल्द से जल्द भुगतान न होने की दशा में उन्होंने परिवार सहित आत्मदाह करने की बात पत्र में कही है.
बीते वर्षों में मुआवजा न मिलने से उसके दो भाई सदमे से मर चुके हैं. अशोक कुमार की दिल का दौरा पड़ने पर मौत हो गई, जबकि सबसे छोटे भाई हरगोविंद सिंह की भी भूमि का अधिग्रहण कर लेने व मुआवजा न मिलने के सदमे में 20 नवंबर 2016 को दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी. महिपाल पुत्र दिग्विजय सिंह के संयुक्त परिवार में बड़े भाई स्व. अशोक कुमार की पत्नी सुशीला देवी, बेटा विपिन, राहुल व विपिन की पत्नी मनीता और महीपाल व उनकी पत्नी अनीता देवी, बेटा भुवनेश, बेटी चारु तथा स्व. छोटे भाई की 15 वर्षीय बेटी अक्षिता, 13 वर्षीय बेटा आयुष, बीमारी से ग्रसित होने के साथ ही 80 वर्षीय मां राममूर्ति समेत 12 सदस्यों का परिवार आत्मदाह करने की चेतावनी दे रहा है.