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मिट्टी के दियों से ग्राहकों ने बनाई दूरी, मुरझाये कारीगरों के चेहरे, मेहनत पर फिरा 'पानी'

clay artisans on deepapali दीवाली दियों का त्योहार है. दीपापली पर मिट्टी के दियों से कारीगरों के घर रोशन होते हैं, मगर बीतते वक्त के साथ लोग मिट्टी के दियों से दूरी बना रहे हैं. जिसके कारण मिट्टी के कारीगरों के चेहरे मुरझाये हुए हैं.

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मुरझाये कारीगरों के चेहरे
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 11, 2023, 3:49 PM IST

Updated : Nov 11, 2023, 10:01 PM IST

मिट्टी के दियों से ग्राहकों ने बनाई दूरी

काशीपुर: देशभर में आज छोटी दीपावली धूमधाम से मनाई जा रहा है. कल देश में दीवाली मनाई जाएगी. दीपावली को लेकर मिट्टी के दीयों कारीगरों मेहनत से जुटे हैं. आखिरी दिन भी मिट्टी के कारीगर अपनी मेहनत को अंतिम रूप देने में लगे हैं, इसके बावजूद इन कारीगरों को उनकी मेहनत का फल नहीं मिल रहा है. मिट्टी के ये कारीगर संघर्ष करते नजर आ रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण बाजार में बिजली की झालरों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद माने जा रहे हैं.

काशीपुर में आबादी से 2 किलोमीटर दूर स्थित स्टेडियम के पास दक्ष प्रजापति चौक पर मिट्टी के कारीगरों के आशियाना है. यहां कारीगरों जी-तोड़ मेहनत के दम पर मिट्टी के दिए तैयार करते हैं. त्योहारों में इन कारीगरों को लोगों से बहुत उम्मीद होती है. जिसके कारण ये दिन रात मेहनत करते हैं. लोगों के घरों को रोशन करने के लिए जमकर मिट्टी के दीये तैयार करते हैं, मगर आधुनिक लाइटें, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद इन कारीगरों की उम्मीदों पर पानी फेर देते हैं.

पढ़ें- छोटी दीपावली पर प्रकृति ने किया बदरीनाथ केदारनाथ का बर्फ से श्रृंगार, आज -9° रहा न्यूनतम तापमान

बीते पिछले कई सालों से दीपावली के अवसर पर बाजार में बिजली की झालरों, बिजली के दियों तथा चाइनीज झालरों ने इन कुम्हारों की चाक की रफ्तार को धीमी कर दी है. एक साल में एक बार ही दीपावली का त्योहार आता है. इस त्योहार के समय ही मिट्टी के दिए-पुरुए, हठली, करवे आदि की बिक्री से ही इन गरीब मिट्टी के कारीगरों का घर चलता है.

पढ़ें- दीपावली के लिए 15 क्विंटल फूलों से सजा केदारनाथ मंदिर, बदरीनाथ का भी किया गया श्रृंगार

कई सालों से मिट्टी का काम कर रहे कारीगर नारायण सिंह के मुताबिक दीपावली पर दिये मिट्टी के सामान बनाने की तैयारी 3 महीने पहले शुरू कर दी जाती है. दीपावली के अवसर पर छोटे चिराग, बड़े चिराग, हठली, दीए, पुरवे आदि तैयार करते हैं. उन्होंने कहा इस काम में उन्हें सरकार की ओर से कोई कोई सुविधा नहीं मिलती है. उन्होंने कहा कुम्हारों को मिट्टी तक नसीब नहीं होती है. उनके मुताबिक बिजली की झालरों से उनके कारोबार पर काफी फर्क पड़ा है. महिला कारीगर बीना के मुताबिक पहले चीनी बिजली उत्पादों, अब देसी बिजली के उत्पादों ने उनके कारोबार को चौपट कर दिया है.

पढ़ें- चारधाम यात्रा से पहले होते हैं भद्रकाली के दर्शन, अपार है मां की महिमा, पांडवों से जुड़ा है रहस्य

मिट्टी के इन कारीगरों ने कहा वे दीपावली के लिए महीनों से मेहनत करते हैं. हर दिन पसीना बहाते हैं. इसके बाद भी उन्हें उनका मूल्य नहीं मिल पाता. उन्होंने कहा ऐसा नहीं है कि बाजार में इसकी मांग नहीं है. बाजार में आज भी मिट्टी के दियों की डिमांड है, पर ये उतनी नहीं जिससे इनका घर चल सके. कारीगरों ने कहा आज की युवा पीढ़ी भी उनकी मेहनत को नजरअंदाज करती है. वे इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स की खरीदारी पर जोर देते हैं.

मिट्टी के दियों से ग्राहकों ने बनाई दूरी

काशीपुर: देशभर में आज छोटी दीपावली धूमधाम से मनाई जा रहा है. कल देश में दीवाली मनाई जाएगी. दीपावली को लेकर मिट्टी के दीयों कारीगरों मेहनत से जुटे हैं. आखिरी दिन भी मिट्टी के कारीगर अपनी मेहनत को अंतिम रूप देने में लगे हैं, इसके बावजूद इन कारीगरों को उनकी मेहनत का फल नहीं मिल रहा है. मिट्टी के ये कारीगर संघर्ष करते नजर आ रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण बाजार में बिजली की झालरों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद माने जा रहे हैं.

काशीपुर में आबादी से 2 किलोमीटर दूर स्थित स्टेडियम के पास दक्ष प्रजापति चौक पर मिट्टी के कारीगरों के आशियाना है. यहां कारीगरों जी-तोड़ मेहनत के दम पर मिट्टी के दिए तैयार करते हैं. त्योहारों में इन कारीगरों को लोगों से बहुत उम्मीद होती है. जिसके कारण ये दिन रात मेहनत करते हैं. लोगों के घरों को रोशन करने के लिए जमकर मिट्टी के दीये तैयार करते हैं, मगर आधुनिक लाइटें, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद इन कारीगरों की उम्मीदों पर पानी फेर देते हैं.

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बीते पिछले कई सालों से दीपावली के अवसर पर बाजार में बिजली की झालरों, बिजली के दियों तथा चाइनीज झालरों ने इन कुम्हारों की चाक की रफ्तार को धीमी कर दी है. एक साल में एक बार ही दीपावली का त्योहार आता है. इस त्योहार के समय ही मिट्टी के दिए-पुरुए, हठली, करवे आदि की बिक्री से ही इन गरीब मिट्टी के कारीगरों का घर चलता है.

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कई सालों से मिट्टी का काम कर रहे कारीगर नारायण सिंह के मुताबिक दीपावली पर दिये मिट्टी के सामान बनाने की तैयारी 3 महीने पहले शुरू कर दी जाती है. दीपावली के अवसर पर छोटे चिराग, बड़े चिराग, हठली, दीए, पुरवे आदि तैयार करते हैं. उन्होंने कहा इस काम में उन्हें सरकार की ओर से कोई कोई सुविधा नहीं मिलती है. उन्होंने कहा कुम्हारों को मिट्टी तक नसीब नहीं होती है. उनके मुताबिक बिजली की झालरों से उनके कारोबार पर काफी फर्क पड़ा है. महिला कारीगर बीना के मुताबिक पहले चीनी बिजली उत्पादों, अब देसी बिजली के उत्पादों ने उनके कारोबार को चौपट कर दिया है.

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मिट्टी के इन कारीगरों ने कहा वे दीपावली के लिए महीनों से मेहनत करते हैं. हर दिन पसीना बहाते हैं. इसके बाद भी उन्हें उनका मूल्य नहीं मिल पाता. उन्होंने कहा ऐसा नहीं है कि बाजार में इसकी मांग नहीं है. बाजार में आज भी मिट्टी के दियों की डिमांड है, पर ये उतनी नहीं जिससे इनका घर चल सके. कारीगरों ने कहा आज की युवा पीढ़ी भी उनकी मेहनत को नजरअंदाज करती है. वे इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स की खरीदारी पर जोर देते हैं.

Last Updated : Nov 11, 2023, 10:01 PM IST
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