ETV Bharat / state

नानकमत्ता साहिब में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, आस्था से जुड़ी है रोचक कहानी - गुरु नानक देव

पवित्र धर्मस्थल के रूप में पहचान रखने वाले गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब लाखों लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र है. वहीं, गुरुनानक के जन्म दिन के अवसर पर लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए नानकमत्ता पहुंचे.

नानकमत्ता साहिब में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब.
author img

By

Published : Nov 12, 2019, 4:54 PM IST

Updated : Nov 12, 2019, 5:38 PM IST

खटीमा: देवभूमि उत्तराखंड अपने अद्वितीय सौंदर्य के साथ ही प्रमुख धार्मिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है. इसमें सिक्ख धर्म का सुप्रसिद्ध नानकमत्ता गुरुद्वारा साहिब अपना अलग ही स्थान रखता है. श्री गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब की धार्मिक मान्यताओं के चलते हर साल इस धर्मस्थल में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है.

नानकमत्ता साहिब में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब.

उत्तराखंड में सिखों के पवित्र धर्मस्थल के रूप में पहचान रखने वाले गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब लाखों लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र है. उधम सिंह नगर जिले के नानकमत्ता उप तहसील क्षेत्र में स्थित गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब देश से लेकर विदेश तक लाखों लोगों की सैकड़ों सालों से धार्मिक आस्था का केंद्र बना हुआ है.

नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारे के इतिहास के बारे में बात करें तो सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव साहब जी अपनी तीसरी उदासी के समय हिमालय यात्रा पर नानकमत्ता आए थे. उस समय ये स्थान गोरखमत्ता के नाम से जाना जाता था. इस स्थान पर उस दौर में सिद्ध पुरुषों का प्रमुख वास था. उस समय गुरु नानक देव जी ने इस स्थान पर मौजूद पीपल के पेड़ के नीचे अपना आसन जमाया, जिसके बाद उनके चमत्कार से सूखा पीपल का पेड़ हरा-भरा हो गया.

ये भी पढ़ें: कार्तिक पूर्णिमा आज, गंगा स्नान से भगवान विष्णु की होती है विशेष कृपा

गुरु नानक देव जी के चमत्कार को देख वहां मौजूद सिद्ध पुरुषों ने अपनी शक्ति से पेड़ हवा में उड़ाना चाहा, लेकिन गुरु नानक देव जी ने पेड़ को रोकने का आदेश दिया. आज भी उस चमत्कारी पीपल का पेड़ जमीन से ऊपर है. ये पेड़ हरा-भरा लगभग सवा पांच सौ साल से खड़ा गुरु नानक देव जी के चमत्कार को दिखा रहा है. तभी ये स्थान लाखों लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. वहीं, नानकमत्ता गुरुद्वारा में दूधवाला कुआं, बाबली गंगा जी, भंडारा साहिब, नानक सागर सहित कई दर्शनीय ऐतिहासिक स्थल हैं, जिन्हें देखने लाखों श्रद्धालु हर साल नानकमत्ता पहुंचते हैं.

खटीमा: देवभूमि उत्तराखंड अपने अद्वितीय सौंदर्य के साथ ही प्रमुख धार्मिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है. इसमें सिक्ख धर्म का सुप्रसिद्ध नानकमत्ता गुरुद्वारा साहिब अपना अलग ही स्थान रखता है. श्री गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब की धार्मिक मान्यताओं के चलते हर साल इस धर्मस्थल में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है.

नानकमत्ता साहिब में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब.

उत्तराखंड में सिखों के पवित्र धर्मस्थल के रूप में पहचान रखने वाले गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब लाखों लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र है. उधम सिंह नगर जिले के नानकमत्ता उप तहसील क्षेत्र में स्थित गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब देश से लेकर विदेश तक लाखों लोगों की सैकड़ों सालों से धार्मिक आस्था का केंद्र बना हुआ है.

नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारे के इतिहास के बारे में बात करें तो सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव साहब जी अपनी तीसरी उदासी के समय हिमालय यात्रा पर नानकमत्ता आए थे. उस समय ये स्थान गोरखमत्ता के नाम से जाना जाता था. इस स्थान पर उस दौर में सिद्ध पुरुषों का प्रमुख वास था. उस समय गुरु नानक देव जी ने इस स्थान पर मौजूद पीपल के पेड़ के नीचे अपना आसन जमाया, जिसके बाद उनके चमत्कार से सूखा पीपल का पेड़ हरा-भरा हो गया.

ये भी पढ़ें: कार्तिक पूर्णिमा आज, गंगा स्नान से भगवान विष्णु की होती है विशेष कृपा

गुरु नानक देव जी के चमत्कार को देख वहां मौजूद सिद्ध पुरुषों ने अपनी शक्ति से पेड़ हवा में उड़ाना चाहा, लेकिन गुरु नानक देव जी ने पेड़ को रोकने का आदेश दिया. आज भी उस चमत्कारी पीपल का पेड़ जमीन से ऊपर है. ये पेड़ हरा-भरा लगभग सवा पांच सौ साल से खड़ा गुरु नानक देव जी के चमत्कार को दिखा रहा है. तभी ये स्थान लाखों लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. वहीं, नानकमत्ता गुरुद्वारा में दूधवाला कुआं, बाबली गंगा जी, भंडारा साहिब, नानक सागर सहित कई दर्शनीय ऐतिहासिक स्थल हैं, जिन्हें देखने लाखों श्रद्धालु हर साल नानकमत्ता पहुंचते हैं.

Intro:summary- सिक्खों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव साहिब के चमत्कारों का प्रतीक श्री नानकमत्ता गुरुद्वारा साहिब देश-विदेश के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का है प्रतीक।

नोट-खबर एफटीपी में -shree nanakmatta gurudwara sahib- के फोल्डर में है

एंकर- देवभूमि उत्तराखंड अपने अद्वितीय सौंदर्य के अलावा प्रमुख धार्मिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है। जिसमें सिक्खों धर्म का सुप्रसिद्ध नानकमत्ता गुरुद्वारा साहिब अपना अलग ही स्थान रखता है। श्री गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब की धार्मिक मान्यताओं के चलते हर साल इस धर्मस्थल पर देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं का जमावड़ा रहता है।


Body:वीओ- उत्तराखंड में सिखों के पवित्र धर्मस्थल के रूप में गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब लाखों लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र हिअ। उधम सिंह नगर जिले के नानकमत्ता उप तहसील क्षेत्र में स्थित गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब देश से लेकर विदेश तक लाखों लोगों की सैकड़ों सालों से धार्मिक आस्था का केंद्र बना हुआ है। अगर नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारे के इतिहास के बारे में बात करें तो सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव साहब जी अपनी तीसरी उदासी के समय हिमालय यात्रा पर नानकमत्ता पहुंचे थे उस समय यह स्थान गोरखमत्ता के रूप में जाना जाता था। क्योंकि इस स्थान पर उस दौर में सिद्धो का प्रमुख वास था। उस समय गुरु नानक देव जी ने इस स्थान पर मौजूद पीपल के पेड़ के नीचे अपना आसन जमाया था। गुरु नानक देव जी के पेड़ के नीचे अपना आसान जमाते ही चमत्कार से सूखा पीपल का पेड़ हरा-भरा हो गया था। गुरु नानक देव जी के चमत्कार को देख वहां मौजूद सिद्धो ने अपनी शक्ति से हवा में उड़ाना चाहा तो गुरु नानक देव जी ने पेड़ को रोकने का आदेश दिया। आज भी उस चमत्कारी पीपल की पेड़ की जमीन से ऊपर है। यह पेड़ हरा-भरा लगभग सवा पांच सौ साल से खड़ा गुरु नानक देव जी के चमत्कार को दिखा रहा है। तभी यह स्थान लाखों लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। वहीं नानकमत्ता गुरुद्वारा में दूधवाला कुआ, बाबली गंगा जी,भंडारा साहिब , नानक सागर सहित कई दर्शनीय ऐतिहासिक स्थल हैं। जिन्हें देखने लाखों श्रद्धालु हर हर्ष नानकमत्ता पहुंचते हैं।

बाइट 1-जागीर सिंह श्रद्धालु

बाइट 2 व 3- सरदार रंजीत सिंह मैनेजर नानकमत्ता गुरुद्वारा


Conclusion:
Last Updated : Nov 12, 2019, 5:38 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.