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प्राचीन मोटेश्वर महादेव मंदिर में लगा भक्तों का तांता, पूजा-अर्चना करने पर मिलता है विशेष फल

काशीपुर में स्थित महाभारत कालीन प्राचीन मोटेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग 12वां उप ज्योतिर्लिंग है. सावन के महीने में शिव भक्तों का तांता लगा हुआ है.

moteshwar mahadev temple
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Published : Jul 18, 2019, 4:28 AM IST

काशीपुरः आज से पवित्र सावन का महीना शुरू हो गया है. इसे भगवान शिव का महीना माना जाता है. इसी कड़ी में विभिन्न शिव मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. यहां पर स्थित प्राचीन मोटेश्वर महादेव मंदिर में भी श्रद्धालु भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजा-अर्चना कर रहे हैं.

प्राचीन मोटेश्वर महादेव मंदिर में लगा भक्तों का तांता.

बता दें कि काशीपुर में स्थित महाभारत कालीन प्राचीन मोटेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग 12वां उप ज्योतिर्लिंग है. शिवलिंग की माना जाता है कि मोटाई ज्यादा होने के कारण यह मोटेश्वर महादेव मंदिर के नाम से विख्यात है. स्कंद पुराण के मुताबिक, भगवान शिव ने कहा था कि जो भक्त कांवड़ कंधे पर रखकर हरिद्वार से गंगा जल लाकर यहां चढ़ाएगा, उसे मोक्ष मिलेगा. इसी मान्यता के चलते मन्नत पूरी होने पर यहां लोग कांवड़ चढ़ाने पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ेंः शुरू हुई प्रसिद्ध कांवड़ यात्रा, सुरक्षा को लेकर मुस्तैद पुलिस प्रशासन

सावन का महीने शुरू होते ही इस प्राचीन मोटेश्वर महादेव मंदिर में शिव भक्तों का जनसैलाब उमड़ रहा है. सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई है. श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के साथ बेलपत्र, धतूरा, भांग, मदार के फूल का चढ़ावा चढ़ा रहे हैं. साथ ही दूध और गंगाजल से भी अभिषेक कर रहे हैं. वहीं, श्रद्धालुओं का कहना है कि इन सभी चीजों के चढ़ावा देने भगवान शिव से प्रसन्न होते हैं और सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

काशीपुरः आज से पवित्र सावन का महीना शुरू हो गया है. इसे भगवान शिव का महीना माना जाता है. इसी कड़ी में विभिन्न शिव मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. यहां पर स्थित प्राचीन मोटेश्वर महादेव मंदिर में भी श्रद्धालु भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजा-अर्चना कर रहे हैं.

प्राचीन मोटेश्वर महादेव मंदिर में लगा भक्तों का तांता.

बता दें कि काशीपुर में स्थित महाभारत कालीन प्राचीन मोटेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग 12वां उप ज्योतिर्लिंग है. शिवलिंग की माना जाता है कि मोटाई ज्यादा होने के कारण यह मोटेश्वर महादेव मंदिर के नाम से विख्यात है. स्कंद पुराण के मुताबिक, भगवान शिव ने कहा था कि जो भक्त कांवड़ कंधे पर रखकर हरिद्वार से गंगा जल लाकर यहां चढ़ाएगा, उसे मोक्ष मिलेगा. इसी मान्यता के चलते मन्नत पूरी होने पर यहां लोग कांवड़ चढ़ाने पहुंचते हैं.

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सावन का महीने शुरू होते ही इस प्राचीन मोटेश्वर महादेव मंदिर में शिव भक्तों का जनसैलाब उमड़ रहा है. सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई है. श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के साथ बेलपत्र, धतूरा, भांग, मदार के फूल का चढ़ावा चढ़ा रहे हैं. साथ ही दूध और गंगाजल से भी अभिषेक कर रहे हैं. वहीं, श्रद्धालुओं का कहना है कि इन सभी चीजों के चढ़ावा देने भगवान शिव से प्रसन्न होते हैं और सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

Intro:
एंकर - श्रावण मास शुरू होते ही काशीपुर के प्राचीन मोटेश्वर महादेव मंदिर पर शिव भक्तों का जनसैलाव उमड़ पड़ा। सुबह से ही मन्दिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई है। मन्दिर में घन्टों और हर हर महादेव के जयकारे गुज रहे हैं। श्रद्धालु सावन के पहले दिन भगवान की पुजा अर्चना कर रहे हैं ताकि भगवान भोले नाथ को प्रसन्न कर सके। आज के दिन शिव को मनाने के लिए उनके भक्त बेल पत्र, धतूरा, भाँग, मदार के फूल का चढावा चढाते हैं। शिव भक्तों का कहना है कि भगवान शिव का यह सब पसन्दीदा चढावा है। इसको चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न हो उठते हैं। शिव की आराधना से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। इस पूरे महीने में शिव भक्तों का मन्दिर में पुरा मेला लगा रहता है।

Body:बीओ - महाभारत कालीन महादेव मंदिर का शिवलिंग 12वां उप ज्योतिर्लिंग है। शिवलिंग की मोटाई अधिक होने के कारण यह मोटेश्वर महादेव मंदिर के नाम से विख्यात है। स्कंद पुराण में भगवान शिव ने कहा कि जो भक्त कांवड़ कंधे पर रखकर हरिद्वार से गंगा जल लाकर यहां चढ़ाएगा, उसे मोक्ष मिलेगा। इसी मान्यता के चलते मन्नत पूरी होने पर यहा लोग कांवड़ चढ़ाते हैं।

बाईट - अजय नागर ( पुजारी )

बाईट - शिवअवतार ( शिव भक्त )Conclusion:
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