काशीपुर : क्षेत्र में इन दिनों धान की कटाई हो रही है. कटाई के बाद खेतों में शेष बच रही पराली को किसान उच्चतम न्यायालय के आदेशों की अवेहलना कर बेखौफ होकर जला रहे हैं. इससे जहां एक तरफ पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, वहीं खेतों की उर्वरक शक्ति भी घट रही है. बावजूद इसके न तो पीसीबी को इसकी भनक है और न ही प्रशासन को इसकी कोई जानकारी है.
बता दें कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक खेतों में पराली को जलाना गैरकानूनी है. इसके लिए सख्त नियम व जुर्माने का प्रावधान है. बावजूद इसके क्षेत्र के कई किसान नियम-कानून को ठेंगा दिखाकर खेतों में पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं. खेतों में पराली जलाने से केवल खेतों की उर्वरक शक्ति ही कमजोर नहीं होती है, बल्कि हवा में धुआं घुलने से पर्यावरण भी प्रदूषित होता है. लिहाजा जिसके चलते सरकार ने खेतों में फसल के अवशेष जलाने पर रोक लगाई है, लेकिन इसके बावजूद बहुत से किसान पराली को आग के हवाले कर रहे हैं.
ताजा मामला काशीपुर के अलीगंज रोड का है. यहां समर स्टडी गर्ल्स स्कूल से पहले एक खेत में किसान ने पराली में आग लगा दी. आग लगने के बाद सड़क पर इतना अधिक धुआं फैला गया कि वाहन चालकों को वाहन की लाइट का प्रयोग करना पड़ रहा था. बावजूद इसके संबंधित विभाग के किसी अधिकारी को कोई भनक तक नहीं थी, वहीं इससे पहले सोमवार को नगर निगम क्षेत्र के नीझड़ा में दो-तीन खेतों की पराली में किसानों द्वारा आग लगाई गई थी. क्षेत्रवासियों ने अपने वार्ड पार्षद से इस संबंध में कहा लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
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तहसीलदार बिपिन चंद्र पंत ने बताया कि इस संबंध में पटवारियों और पुलिस के माध्यम से समन्वय स्थापित कर पराली के जलाने पर रोक लगाने की कोशिश की जा रही है. साथ ही अलीगंज रोड पर पराली जलने की सूचना के बाद आईटीआई थाना पुलिस को कार्रवाई के लिए सूचना दी है, जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. वहीं, पीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी नरेश गोस्वामी ने फोन पर बताया कि खेतों में पराली जलाने का मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है. इस संबंध में जानकारी जुटाकर जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.