सितारगंज: त्रिवेंद्र सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति को खाद्य विभाग किस तरह पलीता लगा रहा है. इसकी एक बानगी सितारगंज में देखने को मिली. शनिवार को सितारगंज स्थित एसएमआई कार्यालय जो हुआ उसके देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां कितने बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है.
बता दें कि दूसरा शनिवार होने की वजह से एसएमआई कार्यालय बंद था, लेकिन आप को जानकारी हैरानी होगी कि चतुर्थ श्रेणी कर्मी कार्यालय खोलकर राइस मिलर्स के लिए चावल के 14 चालान काट दिए. इतना ही नहीं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने चालान का रिकार्ड कार्यालय के रजिस्टर में भी दर्ज किया. सबसे बड़ी बात यह है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मी ने यह खेल वरिष्ठ विपणन अधिकारी की कुर्सी पर बैठकर खेला. ताज्बुब तो इस बात का है कि किसी अधिकारी के हस्ताक्षर के बिना चावल के ट्रक आरएफसी के गोदाम में भेज दिए गए और पांच गाड़िया उतार भी दी गई.
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बता दें कि एसएमआई कार्यालय सितारगंज में एक नहीं बल्कि दो वरिष्ठ विपणन अधिकारी तैनात है. इसके बावजूद चालान पर एक भी अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे. जैसे ही इस खपले की जानकारी पत्रकारों को लगी वे भी एसएमआई कार्यालय पहुंचे गए. हालांकि, पत्रकारों से पहुंचने से पहले घपला करने वाले दोनों कर्मचारी कार्यालय में ताला लगाकर वहां से फरार हो गए थे.
पत्रकारों ने जब गोदाम प्रभारी से इस बारे में सवाल किया तो वे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए. इस बारे में जब आरएफसी, डिप्टी आरएमओ को फोन किया तो उनके नंबर स्विच ऑफ आये. बाद में मामला बढ़ता देख उपजिलाधिकारी गौरव कुमार भी गोदाम पहुंचे और मामले की जांच की.
जिसके बाद उपजिलाधिकारी ने बताया कि पूर्व एसएमआई ओम नारायण मिश्रा आरएफसी गोदाम में पहुंचकर चालानों पर हस्ताक्षर कर चुके थे. चावल की गुणवत्ता सही है. उपजिलाधिकारी के मुताबिक चावल भेजना जरूरी था और एसएमआई किसी कारण नहीं आ सके तो बिना साइन के ही चालान भेज दिये गये थे. हालांकि, इसका स्पष्टीकरण लिया जायेगा.
बता दें कि अब से करीब छह महीने पहले मटीहा गांव में भारी मात्रा में सरकारी सस्ते गल्ले का राशन पकड़ा गया था. इस मामले में कोटाधारकों के साथ अधिकारियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हुआ था. अभी यह मामला चल ही रहा था कि बिना हस्ताक्षर और चालान के गोदाम में चावल भेजने का यह मामला सामने आ गया.