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एसएमआई ऑफिस में गड़बड़झाला, चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी अधिकारी की कुर्सी पर बैठकर कर रहा 'खेल'

अब से करीब छह महीने पहले मटीहा गांव में भारी मात्रा में सरकारी सस्ते गल्ले का राशन पकड़ा गया था. इस मामले में कोटाधारकों के साथ अधिकारियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हुआ था. अभी यह मामला चल ही रहा था कि बिना हस्ताक्षर और चालान के गोदाम में चावल भेजने का यह मामला सामने आ गया.

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एसएमआई कार्यालय में खेल
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Published : Dec 14, 2019, 10:33 PM IST

सितारगंज: त्रिवेंद्र सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति को खाद्य विभाग किस तरह पलीता लगा रहा है. इसकी एक बानगी सितारगंज में देखने को मिली. शनिवार को सितारगंज स्थित एसएमआई कार्यालय जो हुआ उसके देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां कितने बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है.

बता दें कि दूसरा शनिवार होने की वजह से एसएमआई कार्यालय बंद था, लेकिन आप को जानकारी हैरानी होगी कि चतुर्थ श्रेणी कर्मी कार्यालय खोलकर राइस मिलर्स के लिए चावल के 14 चालान काट दिए. इतना ही नहीं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने चालान का रिकार्ड कार्यालय के रजिस्टर में भी दर्ज किया. सबसे बड़ी बात यह है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मी ने यह खेल वरिष्ठ विपणन अधिकारी की कुर्सी पर बैठकर खेला. ताज्बुब तो इस बात का है कि किसी अधिकारी के हस्ताक्षर के बिना चावल के ट्रक आरएफसी के गोदाम में भेज दिए गए और पांच गाड़िया उतार भी दी गई.

एसएमआई ऑफिस में गड़बड़झाला

पढ़ें- ट्रेन की पटरियों के बीच फंसी बाइक, टला बड़ा हादसा

बता दें कि एसएमआई कार्यालय सितारगंज में एक नहीं बल्कि दो वरिष्ठ विपणन अधिकारी तैनात है. इसके बावजूद चालान पर एक भी अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे. जैसे ही इस खपले की जानकारी पत्रकारों को लगी वे भी एसएमआई कार्यालय पहुंचे गए. हालांकि, पत्रकारों से पहुंचने से पहले घपला करने वाले दोनों कर्मचारी कार्यालय में ताला लगाकर वहां से फरार हो गए थे.

पत्रकारों ने जब गोदाम प्रभारी से इस बारे में सवाल किया तो वे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए. इस बारे में जब आरएफसी, डिप्टी आरएमओ को फोन किया तो उनके नंबर स्विच ऑफ आये. बाद में मामला बढ़ता देख उपजिलाधिकारी गौरव कुमार भी गोदाम पहुंचे और मामले की जांच की.

जिसके बाद उपजिलाधिकारी ने बताया कि पूर्व एसएमआई ओम नारायण मिश्रा आरएफसी गोदाम में पहुंचकर चालानों पर हस्ताक्षर कर चुके थे. चावल की गुणवत्ता सही है. उपजिलाधिकारी के मुताबिक चावल भेजना जरूरी था और एसएमआई किसी कारण नहीं आ सके तो बिना साइन के ही चालान भेज दिये गये थे. हालांकि, इसका स्पष्टीकरण लिया जायेगा.

बता दें कि अब से करीब छह महीने पहले मटीहा गांव में भारी मात्रा में सरकारी सस्ते गल्ले का राशन पकड़ा गया था. इस मामले में कोटाधारकों के साथ अधिकारियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हुआ था. अभी यह मामला चल ही रहा था कि बिना हस्ताक्षर और चालान के गोदाम में चावल भेजने का यह मामला सामने आ गया.

सितारगंज: त्रिवेंद्र सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति को खाद्य विभाग किस तरह पलीता लगा रहा है. इसकी एक बानगी सितारगंज में देखने को मिली. शनिवार को सितारगंज स्थित एसएमआई कार्यालय जो हुआ उसके देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां कितने बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है.

बता दें कि दूसरा शनिवार होने की वजह से एसएमआई कार्यालय बंद था, लेकिन आप को जानकारी हैरानी होगी कि चतुर्थ श्रेणी कर्मी कार्यालय खोलकर राइस मिलर्स के लिए चावल के 14 चालान काट दिए. इतना ही नहीं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने चालान का रिकार्ड कार्यालय के रजिस्टर में भी दर्ज किया. सबसे बड़ी बात यह है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मी ने यह खेल वरिष्ठ विपणन अधिकारी की कुर्सी पर बैठकर खेला. ताज्बुब तो इस बात का है कि किसी अधिकारी के हस्ताक्षर के बिना चावल के ट्रक आरएफसी के गोदाम में भेज दिए गए और पांच गाड़िया उतार भी दी गई.

एसएमआई ऑफिस में गड़बड़झाला

पढ़ें- ट्रेन की पटरियों के बीच फंसी बाइक, टला बड़ा हादसा

बता दें कि एसएमआई कार्यालय सितारगंज में एक नहीं बल्कि दो वरिष्ठ विपणन अधिकारी तैनात है. इसके बावजूद चालान पर एक भी अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे. जैसे ही इस खपले की जानकारी पत्रकारों को लगी वे भी एसएमआई कार्यालय पहुंचे गए. हालांकि, पत्रकारों से पहुंचने से पहले घपला करने वाले दोनों कर्मचारी कार्यालय में ताला लगाकर वहां से फरार हो गए थे.

पत्रकारों ने जब गोदाम प्रभारी से इस बारे में सवाल किया तो वे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए. इस बारे में जब आरएफसी, डिप्टी आरएमओ को फोन किया तो उनके नंबर स्विच ऑफ आये. बाद में मामला बढ़ता देख उपजिलाधिकारी गौरव कुमार भी गोदाम पहुंचे और मामले की जांच की.

जिसके बाद उपजिलाधिकारी ने बताया कि पूर्व एसएमआई ओम नारायण मिश्रा आरएफसी गोदाम में पहुंचकर चालानों पर हस्ताक्षर कर चुके थे. चावल की गुणवत्ता सही है. उपजिलाधिकारी के मुताबिक चावल भेजना जरूरी था और एसएमआई किसी कारण नहीं आ सके तो बिना साइन के ही चालान भेज दिये गये थे. हालांकि, इसका स्पष्टीकरण लिया जायेगा.

बता दें कि अब से करीब छह महीने पहले मटीहा गांव में भारी मात्रा में सरकारी सस्ते गल्ले का राशन पकड़ा गया था. इस मामले में कोटाधारकों के साथ अधिकारियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हुआ था. अभी यह मामला चल ही रहा था कि बिना हस्ताक्षर और चालान के गोदाम में चावल भेजने का यह मामला सामने आ गया.

Intro:सितारगंज में बिना हस्ताक्षर के चालान।

Body:एंकर-एसएमआई कार्यालय का कारनामा। बिना एसएमआई के हस्ताक्षर चतुर्थ श्रेणी कर्मी ने काटे चालान। बिना हस्ताक्षर 14 में से पांच ट्रकों से उतर चुका था राइस मिलों का चावल।
एसएमआई ने 1 घंटे बाद गोदाम में आकर किये चालानों पर हस्ताक्षर।
एसडीएम ने की जांच, कहा-चावल की गुणवत्ता सही पाई गई।

Conclusion:वीओ-सितारगंज प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस के लाख दावे करें लेकिन खाद्य विभाग उनकी मंशा पर पलीता लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ता। राशन की कालाबाजारी के लिए पहले से ही चर्चा में रहे एसएमआई कार्यालय का एक नया कारनामा सामने आया है। यहां द्वितीय शनिवार के अवकाश के दिन चतुर्थ श्रेणी कर्मी ने कार्यालय खोलकर राइस मिलर्स के लिए चावल के 14 चालान काट दिये। उनमें किसी अधिकारी के हस्ताक्षर न होने के बावजूद चावल के ट्रक आरएफसी के गोदाम में भेज दिये गये। वहां पांच गाड़ियां उतार भी दी गई। बाद में हो हल्ला मचने पर वाहनों की अनलोडिंग रोक दी गई। बाद में एसडीएम ने मामले की जांच की।
शनिवार को एसएमआई ऑफिस से बिना हस्ताक्षर के 14 चालान बनाकर राइस मिलर्स को दे दिए गए। तब वरिष्ठ विपणन अधिकारी कार्यालय में कोई अधिकारी मौजूद नहीं था। इतना ही नहीं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने चालान का रिकार्ड कार्यालय के रजिस्टर में भी दर्ज किया। चतुर्थ श्रेणी कर्मी ने यह खेल वरिष्ठ विपणन अधिकारी की कुर्सी पर बैठकर खेला। वह भी तब जब यहां एक के बजाय दो वरिष्ठ विपणन अधिकारी तैनात है। इसके बावजूद चालान पर एक भी अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे।
राइस मिलर्स ने चालान लेने के बाद राइस मिलों से चावल लोड की 14 लाट संभागीय खाद्य नियंत्रण के वेयर हाउस स्थित गोदाम पंहुचा दी गई। जैसे ही इस घपले की जानकारी पत्रकारों को मिली तो उनकी टीम एसएमआई कार्यालय पहुंची। इस पर वरिष्ठ विपणन अधिकारी कार्यालय में मौजूद दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी आनन-फानन में कार्यालय को ताला लगाकर फरार हो गए। बाद में पत्रकार आरएफसी गोदाम पहुंचे तो पता चला कि वहां बिना हस्ताक्षर के चालानों की पांच गाड़ियों का चावल उतार लिया गया। हालांकि पत्रकारों के पहुंचने से वहां हड़कंप मच गया और अन्य वाहनों की अनलोडिंग बंद कर दी गई। पत्रकारों ने गोदाम प्रभारी से बिना हस्ताक्षर के चालान से चावल उतारने के बारे में सवाल किया तो वह संतोशजनक जवाब नहीं दे सके। इस बारे में जब आरएफसी, डिप्टी आरएमओ को फोन किया तो उनके नंबर स्विच आफ आये। यह मामला जिलाधिकारी के संज्ञान में भी डाल दिया गया है।
बाद में उपजिलाधिकारी गौरव कुमार गोदाम में पहुंचे व मामले की जांच की। इससे पूर्व एसएमआई ओम नारायण मिश्रा आरएफसी गोदाम में पहुंचकर चालानों पर हस्ताक्षर कर चुके थे। एसडीएम ने वहां चावल की गुणवत्ता जांची। उनका कहना था कि गुणवत्ता सही है। चूंकि आज ही चावल भेजना जरूरी था और एसएमआई किसी कारण नहीं आ सके तो बिना साइन के ही चालान भेज दिये गये। इसका स्पष्टीकरण लिया जायेगा।इस दौरान राइस मिलर्स का जमावड़ा लगा रहा। उल्लेखनीय है कि करीब छह माह पूर्व ग्राम मटीहा में भारी मात्रा में सरकारी सस्ते गल्ले का राशन पकड़ा गया था। इस मामले में कोटाधारकों के साथ ही अधिकारियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज है। अभी यह मामला चल ही रहा था कि यह बिना हस्ताक्षर के चालान के गोदाम में चावल भेजने का यह मामला सामने आ गया।

बाइट-गौरव कुमार एसडीएम
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