काशीपुर: जमीन का पट्टा दिलाने के नाम पर लाखों की धोखाधड़ी करने के आरोप में पुलिस ने चकबंदी कार्यालय में कार्यरत पेशकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. मामले की पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. दरअसल, काशीपुर के आवास विकास कॉलोनी निवासी हरि सिंह पुत्र रघुवीर सिंह ने अदालत में प्रार्थना-पत्र देकर बताया कि सितंबर 2019 में चकबंदी कार्यालय में तैनात पेशकार रूपेंद्र सिंह ने उन्हें बताया कि उच्च न्यायालय नैनीताल में एक याचिका स्वीकृत की गई, जिसमें ओबीसी, एससी जाति के लोगों को उत्तराखंड में पांच एकड़ जमीन पट्टे पर आवंटित की जाएगी.
इतना ही नहीं रूपेंद्र ने हरि को रिट के बारे में अपने मोबाइल पर उसे नजीर दिखाई और विश्वास में लेकर यह भी कहा कि मैं तुम्हे पांच एकड़ जमीन का पट्टा दिला दूंगा, लेकिन उसके एवज में आपको 30,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से 1,50,000 रुपये देने होंगे.
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हरि सिंह ने रूपेंद्र की बात पर विश्वास करके उसे 1,50,000 रुपये दे दिए. इस बात का प्रमाण उसके मोबाइल नंबर पर भी है. जो सारे पैसे का लेन-देन उसके निवास स्थान काशीपुर में हुआ. हरि सिंह ने बताया रूपेंद्र उसे कई बार अपने स्टाफ जसविंदर राणा, शादाब पटवारी व अरविंद रौतेला सर्वेयर को अपने साथ ग्राम किलावली जमीन की पैमाइश के लिए लेकर गए, लेकिन रूपेंद्र ने तयशुदा रकम लेकर भी उसको पांच एकड़ जमीन का पट्टा नहीं दिलाया.
जब हरि ने पैसे वापस मांगें तो रूपेंद्र ने उसको 1.50 लाख रुपये देने से साफ इनकार कर दिया. जिसके बाद हरि ने मामले में 3 मार्च 2022 को कोतवाली काशीपुर में तहरीर दी थी, लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की और ना ही कोई कार्रवाई की. इसके बाद पीड़ित ने 23 मार्च 2022 को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उधम सिंह नगर को रजिस्टर्ड डाक से प्रार्थना पत्र प्रेषित किया, लेकिन एसएसपी ने भी प्रार्थना पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं की.
जिसके बाद मजबूर होकर हरि सिंह ने धारा 156 (3) सीआरपीसी के तहत प्रार्थना पत्र न्यायालय में देते हुए न्याय की गुहार लगाई. न्यायालय ने प्रार्थना पत्र का संज्ञान लेते हुए कोतवाली पुलिस को इस मामले में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया. न्यायालय के आदेश पर कोतवाली पुलिस ने आरोपी चकबंदी कर्मचारी रूपेंद्र सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.