खटीमा: जंगलों से निकलकर आबादी वाले क्षेत्रों में जंगली जानवरों के आने से मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामले बढ़ते जा रहे हैं. इनको रोकने के लिए आईआईटी कानपुर ने एनाइडर डिवाइस तैयार की है. वन विभाग ने एनाइडर डिवाइस का ट्रायल शुरू कर दिया है. ट्रायल सफल होने के बाद जंगलों से सटे आबादी वाले क्षेत्रों में मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए एनाइडर डिवाइस का इस्तेमाल किया जाएगा.
उत्तराखंड का 67 प्रतिशत भू-भाग वनों से आच्छादित है. इन वनों में बड़ी संख्या में वन्यजीव निवास करते हैं. पिछले कुछ समय से उत्तराखंड में मानव और वन्य जीव संघर्ष के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. मानव और वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए वन विभाग लगातार प्रयास कर रहा है. वहीं वन विभाग ने संघर्ष रोकने के लिए आईआईटी कानपुर द्वारा तैयार की गई एनाइडर डिवाइस का ट्रायल शुरू कर दिया है. तराई पूर्वी वन विभाग की दक्षिणी जौलासाल वन रेंज में एनाइडर डिवाइस का ट्रायल चल रहा है.
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दक्षिणी जौलासाल वन रेंज के वन क्षेत्राधिकारी विजय भट्ट ने बताया कि आईआईटी कानपुर द्वारा निर्मित एनाइडर डिवाइस का उनके यहां ट्रायल चल रहा है. इस डिवाइस में दो सेंसर लगे हुए हैं. कोई भी व्यक्ति या जानवर इसके 10 मीटर के दायरे में आता है तो इस डिवाइस में लगा हुआ सायरन अपने आप बजने लगेगा. साथ ही लाइट भी जलने लगेगी. उन्होंने बताया कि इस मशीन में 25 तरह के सायरन हैं.
हर बार इस मशीन से अलग-अलग तरीके की आवाज निकलती हैं. ठीक वैसे ही इसमें अलग-अलग प्रकार की लाइट भी जलती हैं जो एंबुलेंस सहित कई प्रकार की लाइटों की तरह दिखती हैं. क्षेत्राधिकारी ने बताया कि अभी इस डिवाइस का जंगली क्षेत्रों में ट्रायल चल रहा है. ट्रायल सफल होने के बाद जंगलों से सटे आबादी वाले क्षेत्रों में इसको लगाया जाएगा जिससे मानव और वन्य जीव संघर्ष को रोका जा सके.