रुद्रपुर: पंतनगर कृषि विश्विद्यालय और कृषि के क्षेत्र में काम कर रही अग्रणीय कंपनी एमएफसी के बीच मधु शक्ति प्रोजेक्ट (Madhu Shakti Project) के तहत एमओयू साइन हुआ है. दोनों ही संस्थान अगले तीन साल तक ग्रामीण क्षेत्रों की महिला किसानों को मधुमक्खी पालन (Bee keeping) के गुर सिखाएंगे. साथ ही मधुमक्खी पलकों से उत्पादित शहद को बाजार भी उपलब्ध कराएंगे. इसके अलावा वैज्ञानिक कीट नाशक दवाओं से मधुमक्खियों की सुरक्षा को लेकर शोध भी करेंगे. इस दौरान विश्विद्यालय के चार छात्रों को एमएससी द्वारा स्कॉलरशिप भी दी गई है.
मधु शक्ति प्रोजेक्ट के तहत पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय और कृषि के क्षेत्र में काम कर रही एफएमसी कंपनियों के बीच करारा हुआ है. अब विश्वविद्यालय और एफएमसी कंपनी मिल कर ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को मधुमक्खी पालन में आत्मनिर्भर बनाने में काम करेंगे. इसके लिए वैज्ञानिकों और एफएमसी की टीम मिल कर उत्तराखंड के सभी पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों से महिलाओं को ट्रेनिंग उपलब्ध कराएगा. यही नहीं, मधुमक्खी से उत्पादित शहद को पंतनगर कृषि विश्विद्यालय अपने नाम से बाजारों में उतरेगा. दोनों संस्थाओं का उद्देश्य उच्च गुणवत्ता का शहद का उत्पादन करना है.
एफएमसी के चेयरमैन रवि अन्नावरापू (Chairman Ravi Annavrapu) ने बताया कि इस परियोजना से ग्रामीण क्षेत्रों की महिला किसान की आमदनी भी बढ़ेगी. पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक शोध अजीत नैन ने बताया कि इस करार के बाद अगले तीन सालों तक पंतनगर कृषि विश्विद्यालय का मधुमक्खी अनुसंधान एवम प्रशिक्षण केंद्र के वैज्ञानिकों की टीम प्रदेश में शहद के उच्च गुणवत्ता उत्पादन और मधुमक्खियों को कीटनाशक से कैसे बचाया जायेगा? इस पर शोध करेंगे.
पढ़ें- टिहरी: रौलाकोट गांव के 113 परिवारों का विस्थापन, लॉटरी के माध्यम से आवासीय और कृषि भूमि आवंटित
पहले चरण में वैज्ञानिक उधम सिंह नगर के सितारगंज, नैनीताल के कोटाबाग और अल्मोड़ा से 25-25 महिलाओं को मधुमक्खी पालने के गुर सिखाएंगे, जिसके बाद उक्त मास्टर ट्रेनर महिलाएं अपने अपने क्षेत्रों में अन्य महिला किसानों को मधुमक्खी पालन के गुर सिखाते हुए शहद का उत्पादन करेंगे. उन्होंने बताया कि उत्पादन शहद को विश्विद्यालय की लैब में टेस्ट किया जाएगा, जिसके बाद विश्विद्यालय अपने नाम से बाजार में उस शहद को उतरेगा, ताकि मधुमक्खी पलकों को आसानी से बाजार भी उपलब्ध हो जाए.