काशीपुर: आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी दीपक बाली ने काशीपुर नगर निगम के मेयर और स्थानीय विधायक पर करोड़ों रुपए के घोटाले के आरोप लगाये हैं. करोड़ों के इस घोटाले के संबंध में उन्होंने राज्यपाल को पत्र लिखकर पूरे प्रकरण की एसआईटी जांच कराने और दोषी पाए जाने पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है.
काशीपुर में आम आदमी पार्टी के विधायक प्रत्याशी एवं चुनाव कैंपेन कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बाली ने भाजपा की नगर निगम की मेयर ऊषा चौधरी और 20 वर्षों से भाजपा के विधायक हरभजन सिंह चीमा पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने आरोप लगाया कि विधायक और मेयर की साठगांठ के चलते काशीपुर नगर निगम में कूड़ा निस्तारण को लेकर जो अनुबंध किए गए उनमें करोड़ों रुपए की बंदरबांट की गई. उन्होंने कहा कि आरटीआई खुलासे में जिस धर्मकांटे पर कूड़ा तोलना दर्शाया गया है, वह धर्मकांटा काशीपुर क्षेत्र में है ही नहीं. न ही शुभदर्शन नाम के इस धर्म कांटे का माप तोल कार्यालय में कोई पंजीकरण है.
पढ़ें- पौड़ी जनपद के पहाड़ी क्षेत्र थलीसैंण में बर्फबारी, घरों में दुबके लोग
इससे भी बड़े आश्चर्य की बात है कि जिस शुभदर्शन धर्मकांटे के नाम की जो पर्ची लगाई गई है, उस पर उस धर्मकांटे का कोई पता भी नहीं लिखा है. 1 अप्रैल 2019 से दिए गए कूड़ा निस्तारण के ठेके की अवधि 3 वर्ष थी, मगर संदिग्ध कारणों के चलते यह ठेका मात्र 17 महीने में खत्म कर दिया गया. पहले 1 महीने में कूड़े की जो तुलाई की गई वह आरके फ्लोर मिल नाम के धर्मकांटे से कराई गई, जबकि तोल की पर्चियां शुभदर्शन धर्मकांटे के नाम से लगाई गईं. तुलाई के खर्चे के मांग पत्र में भी आरके फ्लोर मिल दर्शाया गया है, जबकि पर्चियां शुभदर्शन धर्म कांटे की ही हैं.
उन्होंने कहा जब उक्त काटा धर्मकांटा काशीपुर क्षेत्र में है ही नहीं तो भुगतान की भी जांच होनी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि विधायक हरभजन सिंह चीमा भी नगर निगम के पदेन सदस्य हैं. उन्हें निगम की बैठकों में जाने का पूरा अधिकार है. क्या उनके संज्ञान में यह मामला नहीं आया होगा. यदि आया तो उन्होंने उसे क्यों दबाए रखा? उनकी खामोशी के पीछे क्या कारण रहा?
पढ़ें- ...तो क्या अवैध है CPU? आरटीआई के तहत मिली चौंकाने वाली जानकारी
1 अप्रैल 2019 से शुरू हुए कूड़ा निस्तारण के ठेके में 17 महीने तक औसतन जो खर्च आया वह 42 से 69 लाख रुपए प्रतिमाह तक पहुंच गया. आप प्रत्याशी दीपक बाली ने कहा कि जब वह राजनीति में आ गए तो कूड़ा निस्तारण का वही खर्च अगले अनुबंध में मात्र 26.50 लाख रुपए रह गया. इसका मतलब या तो पेट्रोल डीजल सस्ता हुआ ना फिर मजदूरी सस्ती हुई. काशीपुर की जनता ने कूड़ा ही डालना बंद कर दिया. अगर ऐसा नहीं है तो मेयर साहिबा बताएं कि जो कूड़ा पूर्व में 42 से 69 लाख रुपए प्रतिमाह तक उठाया जा रहा था, वह मेरे राजनीति में आने के बाद मात्र साढ़े 26 लाख रुपये प्रति माह क्यों हो गया? इसका मतलब 17 माह तक जनता के खून-पसीने की कमाई को दोनों हाथों से लूटा गया.
पढ़ें- NEET PG 2022 Postponed: स्वास्थ्य मंत्रालय का फैसला: नीट पीजी परीक्षा 2022 स्थगित
उन्होंने ठेके के टेंडर पर सवाल उठाते हुए कहा कि ठेके का टेंडर करते समय जो टेंडर किया गया उसकी प्रक्रिया में शासन से नियुक्त नगर स्वास्थ्य अधिकारी को क्यों नहीं शामिल किया गया ? उनकी जगह एक स्थानीय कर्मचारी को चार्ज देकर नगर स्वास्थ्य अधिकारी की भूमिका अदा कराई गई. कूड़ा निस्तारण की टोल की पर्चियों पर वाहनों के नाम तो लिखे गए हैं, मगर उनके नंबर नहीं लिखे गए. उन्होंने कहा मैं साक्ष्यों के आधार पर आरोप लगा रहा हूं और देखना अब यह है कि मेरे ऊपर विधायक या मेयर मुकदमा कराते हैं या फिर काशीपुर की जनता के हित में मुकदमा मेरे द्वारा कराया जाता है. बाली ने इस घोटाले के लिए भारतीय जनता पार्टी को भी दोषी ठहराया. उन्होंने कहा उसने भ्रष्ट लोगों को टिकट देकर जनता को लूटने के लिए छोड़ दिया है. काशीपुर का दुर्भाग्य है कि यहां की जनता ने जिन्हें कुर्सी पर बैठाया था वह कूड़े में पैसा तलाश रहे हैं.