काशीपुर: कुंडा थाना क्षेत्र में एक व्यक्ति द्वारा फर्जी तरीके से नंदा गौरा योजना के तहत धनराशि हासिल करने का मामला सामने आया है. आरोपी शख्स ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अपनी 12वीं पास बेटी को नंदा गौरा योजना के तहत मिलने वाली धनराशि का लाभ पहुंचाया. पुलिस ने आरोपी व्यक्ति और फर्जी दस्तावेज तैयार करवाने वाले जन सेवा केंद्र के संचालक को गिरफ्तार कर लिया है.
काशीपुर पुलिस अधीक्षक अभय सिंह और सीओ काशीपुर वंदना वर्मा ने संयुक्त रूप से एसपी कार्यालय में स पूरे मामले का खुलासा किया. पुलिस ने बताया कि 12वीं क्लास की परीक्षा पास करने वाली छात्राओं को नंदा गौरा योजना के तहत मिलने वाले ₹50 हजार की धनराशि दी जाती है. इसी का फायदा उठाने के लिए काशीपुर के कुंडा थाना क्षेत्र में सुंदर सिंह (पुत्र रामकुमार, निवासी ग्राम नवलपुर) ने 12वीं पास कर चुकी अपनी बेटी को ये लाभ देने की कोशिश की. इसके लिए सुंदर सिंह ने फर्जी आय प्रमाण पत्र बनवाया.
बीती 1 जून को इस मामले की शिकायत जसपुर ग्रामीण की बाल विकास परियोजना अधिकारी शोभा जनौटी ने कुंडा थाना में की थी. कुंडा थाना पुलिस ने जांच के दौरान सुंदर सिंह का आय प्रमाण पत्र फर्जी पाया. जिसके बाद सुंदर सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई थी.
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बता दें कि, उत्तराखंड में नंदा गौरी योजना का लाभ उस व्यक्ति की 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाली बेटी को दिया जाता है जिसकी वार्षिक आय ₹72 हजार तक होती है. योजना के तहत छात्रा को ₹50 हजार दिए जाते हैं. वहीं, पुलिस जांच में सुंदर सिंह की आय ₹84 हजार आंकी गई.
पुलिस जांच में सामने आया कि सुंदर सिंह ने कुंडा थाना क्षेत्र के ग्राम बाबरखेड़ा में देवभूमि जनसेवा केंद्र के नाम से जनसेवा केंद्र संचालित करने वाले अपने साले राजेश कुमार (पुत्र शीशपाल निवासी बाबरखेड़ा) से संपर्क किया. इसके बाद सुंदर सिंह ने अपने साले के साथ मिलकर अपनी वार्षिक आय का फर्जी आय प्रमाण पत्र बना डाला. जिसमें वार्षिक आय ₹72 हजार दर्शायी गई. योजना का लाभ लेने के लिए उस फर्जी आय प्रमाण पत्र को अन्य दस्तावेजों के साथ शामिल कर दिया गया.
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मामले में जांच के दौरान पुलिस ने बाल विकास परियोजना अधिकारी शोभा जनोटी के साथ तहसीलदार युसूफ अली व राजस्व उपनिरीक्षक शीश कुमार से पूछताछ कर उनके बयान दर्ज किए. जिसके बाद ये पुष्टि हुई कि सुंदर सिंह ने अपने साले राजेश कुमार के साथ मिलकर बेईमानी से योजना का लाभ लेने के लिए षड्यंत्र रचा था.
मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस ने केस में आईपीसी की धारा 467, 468, 471 की बढ़ोतरी की और सुंदर सिंह और उसके साले राजेश कुमार को एक लैपटॉप, प्रिंटर व अन्य दस्तावेजों के साथ गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष पेश किया गया.