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बदरीनाथ धाम में मौजूद है ये अनोखी झील, शेषनाग के आंसुओं से दूर होते हैं दु:ख दर्द

बर्फबारी के बाद शेषनाग की आंखों से निकले पानी से बनी झील अपने अस्तित्व में लौट आई है. यहां पर स्थित शेष नेत्र शिला पर लेपे गए घी से पीड़ितों का नेत्र विकार और दुख-दर्द दूर होता है.

बदरीनाथ धाम में मौजूद है ये अनोखी झील
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Published : May 11, 2019, 7:51 PM IST

Updated : May 12, 2019, 8:15 PM IST

चमोलीः भू-बैकुंठ बदरीनाथ धाम के कपाट विधि-विधान के साथ खोल दिए हैं. कपाट खुलने के बाद देश-विदेश से काफी संख्या में श्रद्धालु बदरीनाथ धाम पहुंचकर भगवान बदरी विशाल के दर्शन कर रहे हैं. साथ ही धाम में स्थित अन्य दर्शनीय स्थलों के भी दर्शन कर अभिभूत हो रहे हैं. इसी क्रम में श्रद्धालु माणा रोड स्थित शेष नेत्र झील और शेष नेत्र शिला के भी दर्शन कर रहे हैं. जहां श्रद्धालु घी से शेषनेत्र शिला पर लेपन कर शेषनेत्र शिला की पूजा कर रहे हैं. माना जाता है कि नेत्र विकार से पीड़ित लोगों की आंखों पर यहां पर चढ़ाया लेप लगाने से नेत्र संबंधित दु:ख दर्द दूर हो जाते हैं.

बदरीनाथ धाम में स्थित शेष नेत्र झील और शेष नेत्र शिला.


बता दें कि बदरीनाथ धाम में माणा रोड पर नारायण पर्वत की तलहटी में शेष नेत्र झील और शिला स्थित है. बीते सालों शेष नेत्र झील का जलस्तर कम होने के कारण और झील के बड़े हिस्से में दलदल से झील के दर्शन के लिए आये तीर्थ यात्रियों को मायूसी हाथ लगती थी, लेकिन इस बार शीतकाल में कपाट बंद होने के बाद धाम में जमकर हुई बर्फबारी से शेषनेत्र झील पानी से पूरी तरह लबालब है. धाम की यात्रा पर आए श्रद्धालु झील और शेषनेत्र शिला के दर्शन करने उमड़ रहे हैं.


पौराणिक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने जब भू बैकुंठ बदरीनाथ धाम में रहने की इच्छा जताई थी. उनके साथ शेषनाग ने भी बदरीनाथ धाम आने का आग्रह किया था, लेकिन भगवान विष्णु ने शेषनाग से कहा था कि आप नाग के रूप में भू बैकुंठ बदरीनाथ में रहेंगे तो मनुष्य आपके विशाल रूप को देखकर डरेंगे. ऐसे में आपके डर से लोग बदरीनाथ धाम नहीं पहुंचेंगे.

ये भी पढ़ेंः खबर का असरः पेयजल मंत्री की विधानसभा में बूंद-बूंद को तरस रहे लोग, नींद से जागा प्रशासन

भगवान विष्णु ने शेषनाग से कहा कि आप शेष नेत्र शिला के रूप में बदरीनाथ धाम में रह सकते हो, जिससे तुम हमेशा मेरे साथ ही मौजूद रहोगे. जिसके बाद शेषनाग ने भगवान विष्णु का आदेश मानकर शेषनेत्र झील के पास ही आंखनुमा शिला के रूप में अवतार लिया था. जिसके बाद से इसे शेष नेत्र शिला के नाम से जाना जाता है.


वहीं, पुजारी विजय प्रसाद पांडे ने बताया कि शेषनाग की आंखों से निकले पानी से शेषनेत्र झील का निर्माण हुआ है. यहां पर श्रद्धालु घी से शेषनेत्र शिला पर लेपन कर उनकी पूजा करते हैं. साथ ही बताया कि शेषनेत्र शिला पर लेपन किए गए घी को नेत्र विकार से पीड़ित मनुष्य की आंखों पर लगाने से नेत्र संबंधित दु:ख दर्द दूर हो जाते हैं.

चमोलीः भू-बैकुंठ बदरीनाथ धाम के कपाट विधि-विधान के साथ खोल दिए हैं. कपाट खुलने के बाद देश-विदेश से काफी संख्या में श्रद्धालु बदरीनाथ धाम पहुंचकर भगवान बदरी विशाल के दर्शन कर रहे हैं. साथ ही धाम में स्थित अन्य दर्शनीय स्थलों के भी दर्शन कर अभिभूत हो रहे हैं. इसी क्रम में श्रद्धालु माणा रोड स्थित शेष नेत्र झील और शेष नेत्र शिला के भी दर्शन कर रहे हैं. जहां श्रद्धालु घी से शेषनेत्र शिला पर लेपन कर शेषनेत्र शिला की पूजा कर रहे हैं. माना जाता है कि नेत्र विकार से पीड़ित लोगों की आंखों पर यहां पर चढ़ाया लेप लगाने से नेत्र संबंधित दु:ख दर्द दूर हो जाते हैं.

बदरीनाथ धाम में स्थित शेष नेत्र झील और शेष नेत्र शिला.


बता दें कि बदरीनाथ धाम में माणा रोड पर नारायण पर्वत की तलहटी में शेष नेत्र झील और शिला स्थित है. बीते सालों शेष नेत्र झील का जलस्तर कम होने के कारण और झील के बड़े हिस्से में दलदल से झील के दर्शन के लिए आये तीर्थ यात्रियों को मायूसी हाथ लगती थी, लेकिन इस बार शीतकाल में कपाट बंद होने के बाद धाम में जमकर हुई बर्फबारी से शेषनेत्र झील पानी से पूरी तरह लबालब है. धाम की यात्रा पर आए श्रद्धालु झील और शेषनेत्र शिला के दर्शन करने उमड़ रहे हैं.


पौराणिक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने जब भू बैकुंठ बदरीनाथ धाम में रहने की इच्छा जताई थी. उनके साथ शेषनाग ने भी बदरीनाथ धाम आने का आग्रह किया था, लेकिन भगवान विष्णु ने शेषनाग से कहा था कि आप नाग के रूप में भू बैकुंठ बदरीनाथ में रहेंगे तो मनुष्य आपके विशाल रूप को देखकर डरेंगे. ऐसे में आपके डर से लोग बदरीनाथ धाम नहीं पहुंचेंगे.

ये भी पढ़ेंः खबर का असरः पेयजल मंत्री की विधानसभा में बूंद-बूंद को तरस रहे लोग, नींद से जागा प्रशासन

भगवान विष्णु ने शेषनाग से कहा कि आप शेष नेत्र शिला के रूप में बदरीनाथ धाम में रह सकते हो, जिससे तुम हमेशा मेरे साथ ही मौजूद रहोगे. जिसके बाद शेषनाग ने भगवान विष्णु का आदेश मानकर शेषनेत्र झील के पास ही आंखनुमा शिला के रूप में अवतार लिया था. जिसके बाद से इसे शेष नेत्र शिला के नाम से जाना जाता है.


वहीं, पुजारी विजय प्रसाद पांडे ने बताया कि शेषनाग की आंखों से निकले पानी से शेषनेत्र झील का निर्माण हुआ है. यहां पर श्रद्धालु घी से शेषनेत्र शिला पर लेपन कर उनकी पूजा करते हैं. साथ ही बताया कि शेषनेत्र शिला पर लेपन किए गए घी को नेत्र विकार से पीड़ित मनुष्य की आंखों पर लगाने से नेत्र संबंधित दु:ख दर्द दूर हो जाते हैं.

Intro:भू बैकुंड बद्रीनाथ के कपाट खुलने के बाद देश विदेशो से भारी संख्या में श्रदालू बद्रीनाथ धाम पहुंचकर भगवान बद्रीविशाल के दर्शन कर रहे है ।साथ ही बद्रीनाथ धाम में स्थित अन्य दर्शनीय स्थलों के भी दर्शन कर श्रदालू अभिभूत हो रहे है ।इन सब के बीच इस वर्ष बद्रीनाथ धाम में पहुंचकर श्रदालू भगवान बद्रीविशाल के दर्शनों के साथ साथ माणा रोड पर स्थित अपने पूर्ण स्वरूप में शेष नेत्र झील और शेष नेत्र शिला के भी दर्शन कर रहे है।

नॉट-बाईट और विस्वल मेल पर भेजे है ।विस्वल कैमरे से खींचे गए हैं।


Body:बता दे कि बद्रीनाथ धाम में ही माणा जाने वाली सडक़ पर ही नारायण पर्वत की तलहटी में शेष नेत्र झील और शिला स्थित है। बीते वर्षो शेष नेत्र झील का जलस्तर कम होने के कारण और झील के बड़े हिस्से में दलदल को देखकर झील के दर्शन के लिए आये तीर्थ यात्रियों के हाथो मायूसी लगती थी।लेकिन इस वर्ष शीतकाल में कपाट बंद होने के दौरान धाम में जमकर हुई बर्फवारी के बाद शेषनेत्र झील पानी से पूरी तरह लबालब है ।जिसको देखकर धाम की यात्रा पर आए श्रदालू झील और शेषनेत्र शिला के दर्शन करने खूब उमड़ रहे है ।

बीओ -2
पौराणिक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने जब भू बैकुंड बद्रीनाथ धाम में रहने की इच्छा जताई तो शेषनाग ने भी उनके साथ बद्रीनाथ धाम में साथ आने का भगवान से आग्रह किया।लेकिन भगवान विष्णु ने शेषनाग से कहा कि अगर आप नाग के रूप में भू बैकुण्ड बद्रीनाथ में रहोगे तो मनुष्य आपके विशाल रूप को देखकर डरेंगे।और आपकी डर से बद्रीनाथ धाम नही पहुंचगे ,लेकिन आप शेष नेत्र शिला के रूप में बद्रीनाथ धाम में रह सकते हो ताकि तुम हमेशा मेरे साथ ही मौजूद रह सके।जिसके बाद शेषनाग ने भगवान विष्णु का आदेश मानकर शेषनेत्र झील के पास ही आंखनुमा शिला के रूप में अवतार लिया ।जिसको कि शेष नेत्र शिला के नाम से जाना जाता है ।

बाईट-पंडित -विजय पांडे-


Conclusion:शेषनेत्र शिला के पास ही स्थित शिव मंदिर के पुजारी पंडित विजय प्रसाद पांडे ने बताया कि शेषनाग की आंखों से निकले पानी से शेषनेत्र झील का निर्माण हुआ है ।साथ ही श्रदालू घी से शेषनेत्र शिला पर लेपन कर शेषनेत्र शिला की पूजा करते है ।उन्होंने यह भी बताया कि शेषनेत्र शिला पर लेपन किये गये घी को नेत्र विकार से पीड़ित मनुष्य की आंखों पर लगाने से नेत्र सम्बंधित दुख दर्द दूर हो जाते है ।
Last Updated : May 12, 2019, 8:15 PM IST
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