देहरादून/हरिद्वारः पुलवामा आतंकी हमले में शहीद उत्तरकाशी के मोहन लाल रतूड़ी का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह देहरादून पहुंचा. इस दौरान लोगों का जनसैलाब उनके दर्शन के लिए उमड़ा. उसके बाद उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए हरिद्वार लाया गया. जहां पर शहीद की सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान मौजूद जनसैलाब की आखें नम हो गई.
देहरादून में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, डीजीपी अनिल रतूड़ी, डीजी अशोक कुमार, विधायक विनोद चमोली, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने शहीद के घर पहुंच कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस दौरान सीएम ने कहा कि पाकिस्तान के कायराना हरकत के कारण उत्तराखंड के दो जवान शहीद हुये हैं. पुलवामा हमले के बाद प्रधानमंत्री ने सेना को खुली कार्रवाई की छूट दी है. इससे पहले भी भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जबाव देने का काम किया है. इस बार की कार्रवाई उरी से बड़ी होगी. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड पहला राज्य है जहां पर सेना और अर्द्धसैनिक बल के शहीद जवानों के आश्रितों के एक सदस्य को योग्यता के अनुसार नौकरी दी जाएगी. साथ ही कहा कि राज्य सरकार पुलवामा में शहीद हुए उत्तराखंड के जवानों के परिवारों को 25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देगी.
शहीद मोहन लाल रतूड़ी पंचतत्व में विलीन हो गए हैं. उनका अंतिम संस्कार हरिद्वार के खड़खड़ी श्मशान घाट पर किया गया. जहां शहीद को उनके बड़े बेटे शंकर ने मुखाग्नि दी. इस दौरान शहीद के अंतिम दर्शन के लिये जनसैलाब उमड़ा रहा. अंतिम संस्कार के दौरान जहां लोगों की आंखों में आंसू देखे गए तो उनका गुस्सा भी देखने को मिला.
वहीं, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, मेयर अनिता शर्मा, डीएम दीपक रावत, एसएसपी जन्मेजय खंडूरी, सीआईएसएफ के डीआईजी दिनेश उनियाल, डीआईजी विमल बेस्ट, एसपी ट्रैफिक मंजूनाथ टीसी, एएसपी एसपी आयुष अग्रवाल, सिटी मजिस्ट्रेट जगदीश लाल, यमुनोत्री के विधायक केदार सिंह रावत, कांग्रेसी नेता अशोक शर्मा, संजय पालीवाल समेत कई लोगों ने शहीद के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि दी.
शहीद मोहन लाल रतूड़ी मूल रूप से उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ तहसील के बनकोट गांव के रहने वाले थे. वो रामपुर ग्रुप सेंटर की 110 बटालियन में तैनात थे.
बता दें कि गुरुवार को श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर स्थित अवंतिपोरा इलाके में आतंकियों ने सीआरपीएफ के एक काफिले को निशाना बनाया था. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये. कई जवान घायल हो गये थे. उरी में सितंबर 2016 में हुए आतंकी हमले के बाद कश्मीर में यह सुरक्षाबलों पर अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला है.