कोटद्वार: देवभूमि में भीषण गर्मी के कारण जंगलों में आग लगने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. वहीं, लैंसडौन वन प्रभाग को वनाग्नि से बचाने के लिए 34 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं. साथ ही सभी क्रू स्टेशनों को कंट्रोल रूम से जोड़ा गया है. इस कंट्रोल रूम से हर घंटे वानाग्नि की अपडेट ली जाती है.
लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत 100 फायरवाचकों की नियुक्ति भी की गई है, इन दिनों बढ़ते तापमान के कारण वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज, लैंसडौन रेंज, कोटरी रेंज और दुगड्डा रेंज में आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं, लेकिन वन कर्मियों के पास अग्नि सुरक्षा के संसाधन नहीं होने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ का कहना है कि वन प्रभाग के पास वानाग्नि से निपटने के लिए पूर्ण रूप से संसाधन उपलब्ध हैं.
बता दें कि लैंसडौन वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज की सिद्धबली के पास की पहाड़ियां और दुगड्डा रेंज के अंतर्गत जमरगड्डी चरक डांडा, आरक्षित जंगल से सटे सिविल क्षेत्र आमसोड के जंगलों में आग लगी हुई है. लैंसडौन के अंतर्गत द्वारीखाल क्षेत्र जहरी खाल और लैंसडाउन रोड के किनारे जंगल में आग लगी हुई है. वहीं, कांडाखाल घाड़ क्षेत्र में भी आग लगी हुई है, लेकिन आग बुझाने में लगे वन कर्मियों के पास कोई संसाधन न होने के कारण पेड़ों के पत्तों से झाड़ू बनाकर आग पर काबू पाने का प्रयास कर रहे हैं.
वहीं, इस पूरे मामले में लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ वैभव कुमार ने बताया कि वनाग्नि प्रबंधन के लिए हमारे द्वारा प्लान बनाया गया है. उसके अंतर्गत पूरे वन प्रभाग में 34 क्रू स्टेशन बनाए हैं. साथ ही सभी क्रू स्टेशनों को वायरलेस से जोड़ा गया है, जिसका एक मास्टर कंट्रोल रूम बनाया गया है. लगभग 100 फायर वाचक पूरे वन प्रभाग में रखे गए हैं. वनाग्नि की सूचना मिलते ही रजिस्टर्ड मोबाइल के द्वारा नजदीकी क्रू स्टेशन के इंचार्ज को सूचित किया जाएगा, जिससे वह वानाग्नि पर नियंत्रण कर सकें.