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लैंसडौन में वन विभाग ने किया ये विशेष प्लान तैयार, वनाग्नि पर करेंगे नियंत्रण

लैंसडौन वन विभाग ने जंगलों में आग पर काबू पाने के लिए एक नया प्लान तैयार किया है. इस प्लान के तहत 34 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं. जो वनों में लगी आग पर नियंत्रण करने का काम करेंगे.

वन विभाग वनाग्नि पर करेंगा नियंत्रण.
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Published : May 11, 2019, 9:09 PM IST

कोटद्वार: देवभूमि में भीषण गर्मी के कारण जंगलों में आग लगने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. वहीं, लैंसडौन वन प्रभाग को वनाग्नि से बचाने के लिए 34 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं. साथ ही सभी क्रू स्टेशनों को कंट्रोल रूम से जोड़ा गया है. इस कंट्रोल रूम से हर घंटे वानाग्नि की अपडेट ली जाती है.

लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत 100 फायरवाचकों की नियुक्ति भी की गई है, इन दिनों बढ़ते तापमान के कारण वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज, लैंसडौन रेंज, कोटरी रेंज और दुगड्डा रेंज में आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं, लेकिन वन कर्मियों के पास अग्नि सुरक्षा के संसाधन नहीं होने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ का कहना है कि वन प्रभाग के पास वानाग्नि से निपटने के लिए पूर्ण रूप से संसाधन उपलब्ध हैं.

वन विभाग वनाग्नि पर करेगा नियंत्रण.

बता दें कि लैंसडौन वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज की सिद्धबली के पास की पहाड़ियां और दुगड्डा रेंज के अंतर्गत जमरगड्डी चरक डांडा, आरक्षित जंगल से सटे सिविल क्षेत्र आमसोड के जंगलों में आग लगी हुई है. लैंसडौन के अंतर्गत द्वारीखाल क्षेत्र जहरी खाल और लैंसडाउन रोड के किनारे जंगल में आग लगी हुई है. वहीं, कांडाखाल घाड़ क्षेत्र में भी आग लगी हुई है, लेकिन आग बुझाने में लगे वन कर्मियों के पास कोई संसाधन न होने के कारण पेड़ों के पत्तों से झाड़ू बनाकर आग पर काबू पाने का प्रयास कर रहे हैं.

वहीं, इस पूरे मामले में लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ वैभव कुमार ने बताया कि वनाग्नि प्रबंधन के लिए हमारे द्वारा प्लान बनाया गया है. उसके अंतर्गत पूरे वन प्रभाग में 34 क्रू स्टेशन बनाए हैं. साथ ही सभी क्रू स्टेशनों को वायरलेस से जोड़ा गया है, जिसका एक मास्टर कंट्रोल रूम बनाया गया है. लगभग 100 फायर वाचक पूरे वन प्रभाग में रखे गए हैं. वनाग्नि की सूचना मिलते ही रजिस्टर्ड मोबाइल के द्वारा नजदीकी क्रू स्टेशन के इंचार्ज को सूचित किया जाएगा, जिससे वह वानाग्नि पर नियंत्रण कर सकें.

कोटद्वार: देवभूमि में भीषण गर्मी के कारण जंगलों में आग लगने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. वहीं, लैंसडौन वन प्रभाग को वनाग्नि से बचाने के लिए 34 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं. साथ ही सभी क्रू स्टेशनों को कंट्रोल रूम से जोड़ा गया है. इस कंट्रोल रूम से हर घंटे वानाग्नि की अपडेट ली जाती है.

लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत 100 फायरवाचकों की नियुक्ति भी की गई है, इन दिनों बढ़ते तापमान के कारण वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज, लैंसडौन रेंज, कोटरी रेंज और दुगड्डा रेंज में आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं, लेकिन वन कर्मियों के पास अग्नि सुरक्षा के संसाधन नहीं होने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ का कहना है कि वन प्रभाग के पास वानाग्नि से निपटने के लिए पूर्ण रूप से संसाधन उपलब्ध हैं.

वन विभाग वनाग्नि पर करेगा नियंत्रण.

बता दें कि लैंसडौन वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज की सिद्धबली के पास की पहाड़ियां और दुगड्डा रेंज के अंतर्गत जमरगड्डी चरक डांडा, आरक्षित जंगल से सटे सिविल क्षेत्र आमसोड के जंगलों में आग लगी हुई है. लैंसडौन के अंतर्गत द्वारीखाल क्षेत्र जहरी खाल और लैंसडाउन रोड के किनारे जंगल में आग लगी हुई है. वहीं, कांडाखाल घाड़ क्षेत्र में भी आग लगी हुई है, लेकिन आग बुझाने में लगे वन कर्मियों के पास कोई संसाधन न होने के कारण पेड़ों के पत्तों से झाड़ू बनाकर आग पर काबू पाने का प्रयास कर रहे हैं.

वहीं, इस पूरे मामले में लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ वैभव कुमार ने बताया कि वनाग्नि प्रबंधन के लिए हमारे द्वारा प्लान बनाया गया है. उसके अंतर्गत पूरे वन प्रभाग में 34 क्रू स्टेशन बनाए हैं. साथ ही सभी क्रू स्टेशनों को वायरलेस से जोड़ा गया है, जिसका एक मास्टर कंट्रोल रूम बनाया गया है. लगभग 100 फायर वाचक पूरे वन प्रभाग में रखे गए हैं. वनाग्नि की सूचना मिलते ही रजिस्टर्ड मोबाइल के द्वारा नजदीकी क्रू स्टेशन के इंचार्ज को सूचित किया जाएगा, जिससे वह वानाग्नि पर नियंत्रण कर सकें.

Intro:एंकर- लैंसडौन वन प्रभाग को वनाग्नि से बचाने के लिए 34 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं सभी क्रु स्टेशनों को वायरस से जोड़ा गया है और एक कंट्रोल रूम बनाया गया है जहां से कि हर घंटे वानाग्नि की अपडेट ली जाती है तो वहीं लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत 100 फ़ायरवाचको की नियुक्ति भी की गई है, इन दिनों बढ़ते तापमान के कारण वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज लैंसडौन रेंज कोटरी रेंज और दुगड्डा रेंज में आग लगनी शुरू हो गई है लेकिन वन कर्मियों के पास अग्नि सुरक्षा के संसाधन नहीं होने के कारण भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ का कहना है कि वन प्रभाग के पास वानाग्नि से निपटने के लिए पूर्ण रूप से संसाधन है।


Body:वीओ1- बता दें कि लैंसडौन वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज की सिद्धबली के पास की पहाड़ियां, और दुगड्डा रेंज के अंतर्गत जमरगड्डी चरक डांडा, आरक्षित जंगल से सटे सिविल क्षेत्र आमसोड के जंगलों में आग भड़की हुई है, लैंसडौन के अंतर्गत द्वारीखाल क्षेत्र जहरी खाल और लैंसडाउन रोड के किनारे जंगल में आग लगी है वही कांडाखाल घाड़ क्षेत्र में भी आग लगी हुई है, वही आग बुझाने में लगे वन कर्मियों के पास आग बुझाने के हथियार नहीं होने के कारण ने पेड़ों के पत्तों का झाड़ू बनाकर आग पर काबू पाने के लिए पसीना बहाना पड़ रहा है।


Conclusion:वीओ2- वही पूरे मामले पर लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ वैभव कुमार का कहना है कि वानाग्नि प्रबंधन के लिए जो हमारे द्वारा प्लान बनाया गया है हमने उसके अंतर्गत पूरे वन प्रभाग में 34 क्रू स्टेशन बनाए हैं सभी क्रु स्टेशनों को वायरलेस से जोड़ा गया है एक मास्टर कंट्रोल रूम बनाया गया है लगभग 100 फायर वाचक हमारे द्वारा पूरे वन प्रभाग में रखे गए हैं हर घंटे में हमारे द्वारा मास्टर कंट्रोल रूम से वानाग्नि की सूचना ली जाती है साथ साथ जो फॉरेस्ट कर्मी है उनके द्वारा भी सेट पर सूचना दी जाती है, सूचना मिलते ही हमारे रजिस्टर्ड मोबाइल के द्वारा वानाग्नि की सूचना नजदीकी क्रू स्टेशन के इंचार्ज को भेजी जाती है जिससे कि वह वानाग्नि पर नियंत्रण कर सके

बाइट वैभव कुमार डीएफओ लैंसडौन
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