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अस्पताल से महिला को नहीं मिली व्हील चेयर, फ्रैक्चर पैर के साथ पैदल नापा रास्ता

महिला का आरोप है कि पैर में प्लास्टर लगाने के बाद जब उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से व्हील चेयर मांगी तो नहीं मिली. ऐसे में उन्हें पैदल ही रोड तक जाना पड़ा.

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पीड़ित महिला
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Published : Jan 21, 2020, 4:37 AM IST

नई टिहरीः जिले के सबसे बड़े अस्पताल बौराड़ी को पीपीपी मोड में किए एक साल का वक्त हो चला है लेकिन अभी भी अस्पताल में व्यवस्थाएं नहीं सुधर पाई है. आए दिन अस्पताल में लापरवाही देखने को मिलती है. एक ऐसा ही मामला फिर सामने आया है. जिले के दूरस्थ गांव खुरेत की कलावती देवी का कहना है कि पैर में फ्रैक्चर पर प्लास्टर लगाने के बाद जब उन्होंने व्हील चेयर मांगी तो नहीं मिली. उन्हें वाहन तक पहुंचने के लिए पैदल ही रोड तक जाना पड़ा.

महिला को नहीं मिली व्हील चेयर


कलावती देवी का कहना है कि पैर में प्लास्टर करवाने के बाद जब उनके पति ने प्लास्टर रूम से अस्पताल के बाहर तक छोड़ने के लिए व्हील चेयर मांगी तो अस्पताल प्रबंधन द्वारा व्हील चेयर देने से इंकार कर दिया गया. जिसके बाद उन्हें पैदल ही फैक्चर पांव के साथ रोड तक जाना पड़ा. कलावती देवी कहती है जब उन्हें फैक्चर पांव लेकर ही बाहर जाना है तो प्लास्टर करवाने का क्या फायदा?

पढ़ेंः गलत इलाज के लिए पीड़ित ने ली कोर्ट की शरण, अस्पताल प्रबंधन को भेजा कानूनी नोटिस

बौराड़ी अस्पताल में इस तरह की लापरवाही का मामला ये पहला नहीं है. आए दिन मरीज इस तरह के व्यवहार से काफी नाराज हैं. स्थानीय लोग कई बार अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ आक्रोश भी जाहिर कर चुके हैं. सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार अगर जल्द ही अस्पताल की व्यवस्थाएं एवं दशा सुधारने में कामयाब नहीं रही तो वे जिला अस्पताल के खिलाफ जन आंदोलन करने को बाध्य होंगे. इसकी पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी.

नई टिहरीः जिले के सबसे बड़े अस्पताल बौराड़ी को पीपीपी मोड में किए एक साल का वक्त हो चला है लेकिन अभी भी अस्पताल में व्यवस्थाएं नहीं सुधर पाई है. आए दिन अस्पताल में लापरवाही देखने को मिलती है. एक ऐसा ही मामला फिर सामने आया है. जिले के दूरस्थ गांव खुरेत की कलावती देवी का कहना है कि पैर में फ्रैक्चर पर प्लास्टर लगाने के बाद जब उन्होंने व्हील चेयर मांगी तो नहीं मिली. उन्हें वाहन तक पहुंचने के लिए पैदल ही रोड तक जाना पड़ा.

महिला को नहीं मिली व्हील चेयर


कलावती देवी का कहना है कि पैर में प्लास्टर करवाने के बाद जब उनके पति ने प्लास्टर रूम से अस्पताल के बाहर तक छोड़ने के लिए व्हील चेयर मांगी तो अस्पताल प्रबंधन द्वारा व्हील चेयर देने से इंकार कर दिया गया. जिसके बाद उन्हें पैदल ही फैक्चर पांव के साथ रोड तक जाना पड़ा. कलावती देवी कहती है जब उन्हें फैक्चर पांव लेकर ही बाहर जाना है तो प्लास्टर करवाने का क्या फायदा?

पढ़ेंः गलत इलाज के लिए पीड़ित ने ली कोर्ट की शरण, अस्पताल प्रबंधन को भेजा कानूनी नोटिस

बौराड़ी अस्पताल में इस तरह की लापरवाही का मामला ये पहला नहीं है. आए दिन मरीज इस तरह के व्यवहार से काफी नाराज हैं. स्थानीय लोग कई बार अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ आक्रोश भी जाहिर कर चुके हैं. सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार अगर जल्द ही अस्पताल की व्यवस्थाएं एवं दशा सुधारने में कामयाब नहीं रही तो वे जिला अस्पताल के खिलाफ जन आंदोलन करने को बाध्य होंगे. इसकी पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी.

Intro:टिहरी

महिला को नही मिली प्लास्टर रूम से अस्पताल के बाहर सड़क तक आने के लिए व्हील चीयर,Body:टिहरी जिले के सबसे बड़े अस्पताल बारावी को जब से पीपीपी मोड के तहत स्वामी राम हिमालयन को दिया गया तब से आज तक 1 साल हो गया है परंतु इस अस्पताल की दशा सुधारने का नाम ही नहीं ले रही है यहां पर आए दिन लापरवाही आए ही देखने को मिल रही है जिसके लिए स्थानीय लोगों में आक्रोश बढ़ने लगा है लोगों का कहना है कि इस अस्पताल को इसलिए पीपी मोड़ पर दिया गया कि यहां पर मरीजों का इलाज सही तरीके से होगा लेकिन यहां पर ठीक उसका उल्टा हो रहा है यहां पर आए दिन इलाज के नाम पर मरीज परेशान हो रहे हैं और उनको सही तरीके से इलाज नहीं मिल पा रहा है साथ ही मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जा रहा है अस्पताल प्रबंधन सिर्फ कागजी आंकड़ों के आधार पर अपने अंक बढ़ाने में लगा है,जबकि हकीकत टिहरी की जनता से पूछा जा सकता है कि जब से बौराड़ी असपताल पीपी मोड़ में दिया गया है तब से टिहरी की जनता कितनी परेशान है
साथ ही एक मामला सामने आया कि टिहरी जिले।से दूरस्थ इलाके के खुरेत गाव निवासी कलावती देवी का कहना है कि मेरा पाव फैक्चर हो गया था, जिसके कारण मुझे जिला अस्पताल बौराड़ी में प्लास्टर करवाने के लिए आना पड़ा।
यहां पर प्लास्टर करवाने के बाद जब प्लास्टर रूम से अस्पताल के बाहर तक छोड़ने के लिए मेरे पति द्वारा अस्पताल से व्हील चेयर मांगी गई तो अस्पताल द्वारा व्हील चेयर देने से मना कर दिया गया, जिस कारण कलावती को पैदल ही फैक्चर पांव लेकर रोड तक जाना पड़ा।
कलावती देवी का कहना है जब मुझे फैक्चर पांऊ लेकर ही बाहर जाना है तो मेरा प्लास्टर करवाने का क्या फायदा हुआ जब पांव बाहर जाकर सही से जुड़ ही नहीं पाएगा।

मरीजों के साथ हो रहे हैं ऐसे व्यवहार के कारण सामाजिक कार्यकर्ताओं में भी रोष है, सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार अगर जल्द ही अस्पताल की व्यवस्थाएं एवं दशा सुधारने में कामयाब नहीं रही तो जल्द ही जिला अस्पताल के खिलाफ एक जन आंदोलन किया जाएगा, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी

साथ ही सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब तक अस्पताल प्रबंधक, इंचार्ज पुनीत गुप्ता को यहां से हटाया नहीं जाता है, तब तक जिला अस्पताल में व्यवस्थाएं सुधरने वाली नहीं है। पुनीत गुप्ता ने यहां पर एक राजनैतिक माहौल बना दिया है, जिस कारण मरीजों को आए दिन परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं जिसका जीता जागता उदाहरण आज कलावती देवी है।

Conclusion:जिला अस्पताल को पीपीपी मोड पर दिए हुए 1 साल होने को है, लेकिन अस्पताल प्रबंधक का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्र में डॉक्टर व कोई भी स्टाफ आने के लिए तैयार नहीं है जिस कारण अभी मार्च 2020 तक अस्पताल के स्टॉप एवं व्यवस्थाओं को सुधारने का प्रयास किया जाएगा।

बाइट कलावती पीड़ित
बाइट पुरषोतम पीड़ित का पति
बाइट ए के सिंह अस्पताल इंचार्ज प्रथम

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