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24 सितंबर को टिहरी झील का जलस्तर 830 मीटर तक भरा जाएगा! बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी - टिहरी डैम से बिजली उत्पादन

टिहरी झील में 830 आरएल मीटर पानी भरने की अनुमति मिल गई है. झील में 829.50 आरएल मीटर पानी भरने के बाद चारों टरबाइन चलाई जा रही है. जिससे बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है. जिसे लेकर टीएचडीसी के अधिकारी गदगद हैं.

टिहरी झील
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Published : Sep 23, 2021, 5:08 PM IST

Updated : Sep 23, 2021, 5:48 PM IST

टिहरीः उत्तराखंड सरकार ने टीएचडीसी को टिहरी झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर भरने की अनुमति दे दी है. आज झील का जलस्तर 829.50 आरएल मीटर तक पहुंच गया है. जिससे टिहरी बांध परियोजना के अधिकारी उत्साहित नजर आ रहे हैं. टीएचडीसी सूत्रों का कहना है कि डैम प्रशासन 24 सितंबर को झील का जलस्तर 830 मीटर तक भरा जाएगा. टीएचडीसी अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने 830 आरएल मीटर पानी भरने की अनुमति दी है. जिससे टिहरी डैम को फायदा हुआ है और बिजली के उत्पादन में भी बढ़ोतरी हुई है.

बता दें इससे पहले उत्तराखंड सरकार ने टिहरी झील का जलस्तर 825 आरएल मीटर भरने की अनुमति दी थी. उसके बाद टीएचडीसी को 828 आरएल मीटर जलस्तर भरने की अनुमति दी गई. वहीं, टीएचडीसी ने सरकार से 830 आरएल मीटर जलस्तर भरने की अनुमति मांगी. जिस पर सरकार ने इस शर्त पर 830 जलस्तर भरने की अनुमति दी कि टीएचडीसी झील के आसपास बसे गांव के 415 प्रभावित को विस्थापित करेगा. साथ ही भविष्य में जो नुकसान झील से होगा, उसकी भरपाई करेगा. इसके अलावा उनकी सुरक्षा का ध्यान भी रखेगा.

टिहरी झील का जलस्तर में बढ़ोतरी से बिजली उत्पादन बढ़ा.

ये भी पढ़ेंः कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष की अनोखी मांग, टिहरी झील में तैनात हो पनडुब्बी

वहीं, झील का जलस्तर 830 मीटर भरने की अनुमति के बाद जैसे-जैसे पानी बढ़ रहा है, वैसे-वैसे टीएचडीसी के अधिकारियों में खुशी झलक रही है. अब चारों टरबाइन चलने से बिजली के उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है. जिसका फायदा टीएचडीसी को मिल रहा है. उधर, टिहरी झील से प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने 830 आरएल मीटर जलस्तर भरने की अनुमति देने में जल्दबाजी कर दी. क्योंकि अभी तक कई सालों से ग्रामीणों को जमीन नहीं मिली है. आज भी ग्रामीण खतरे के साए में गांव में रह रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से व्यू प्वाइंट और हेलीपैड डूबे, विभागों की भयंकर लापरवाही

टीएचडीसी के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने ग्रामीणों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सभी मांगें मान ली है. जल्द ही विस्थापन की कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल, इसकी कार्रवाई पुनर्वास विभाग से चल रही है. वर्तमान समय में टीएचडीसी की ओर से 829.50 आरएल मीटर पानी भरने पर टिहरी डैम की चारों टरबाइन चलाई जा रही है. जिससे बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है. अनुमानित एक्स्ट्रा 50 लाख प्रतिदिन की बिजली का उत्पादन किया जा रहा है.

ये भी पढ़ेंः गांवों पर खतरे से बेफिक्र THDC ED, बोले- ज्यादा पानी से ज्यादा बिजली

जलस्तर बढ़ने से डूबे व्यू प्वाइंटः टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने और पर्यटन विभाग की लापरवाही के चलते ये दोनों व्यू प्वाइंट डूब चुके हैं. स्थानीय लोगों का आरोप है कि मानकों को ताक पर रखकर इस व्यू प्वाइंट को 835 आरएल मीटर के नीचे बनाया गया था. इस कारण करोड़ों की लागत से बनी सरकारी संपत्ति डूब गई. स्वदेश दर्शन योजना के तहत पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग ने उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम से लगभग 80 करोड़ की लागत से कई योजनाएं बनाई थीं. जिनमें यह व्यू प्वॉइंट भी था. टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने और पर्यटन विभाग की लापरवाही से व्यू प्वॉइंट, रेलिंग और हेलीपैड भी डूब गए.

ये भी पढ़ेंः टिहरी झील का बढ़ा जलस्तर, पर्यटन विभाग की करोड़ों की संपत्ति जलमग्न

बारिश के बाद बढ़ा था जलस्तरः बीते दिनों हुई बारिश के बाद टिहरी झील का जलस्तर बढ़ गया था. बीते दिनों टिहरी झील का जलस्तर 827 आरएल मीटर था और करीब 15 घंटे में झील का जलस्तर एक बढ़कर 828 आरएल मीटर पहुंच गया था. झील का जलस्तर बढ़ने से आसपास बसे रौलाकोट, गडोली और कंगसाली आदि गांवों के नीचे अब जमीन खिसकने लग गई थी. साथ ही मकानों में दरार भी पड़ने लगी थी, जिससे ग्रामीण दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं. झील का जलस्तर बढ़ने से आसपास बसे गांवों की जमीनों पर कटाव होने का खतरा बढ़ गया. रौलाकोट, गडोली और कंगसाली आदि गांवों के नीचे अब जमीन खिसकने लग गई है. साथ ही मकानों में दरार भी पड़ने लगी हैं.

टिहरीः उत्तराखंड सरकार ने टीएचडीसी को टिहरी झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर भरने की अनुमति दे दी है. आज झील का जलस्तर 829.50 आरएल मीटर तक पहुंच गया है. जिससे टिहरी बांध परियोजना के अधिकारी उत्साहित नजर आ रहे हैं. टीएचडीसी सूत्रों का कहना है कि डैम प्रशासन 24 सितंबर को झील का जलस्तर 830 मीटर तक भरा जाएगा. टीएचडीसी अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने 830 आरएल मीटर पानी भरने की अनुमति दी है. जिससे टिहरी डैम को फायदा हुआ है और बिजली के उत्पादन में भी बढ़ोतरी हुई है.

बता दें इससे पहले उत्तराखंड सरकार ने टिहरी झील का जलस्तर 825 आरएल मीटर भरने की अनुमति दी थी. उसके बाद टीएचडीसी को 828 आरएल मीटर जलस्तर भरने की अनुमति दी गई. वहीं, टीएचडीसी ने सरकार से 830 आरएल मीटर जलस्तर भरने की अनुमति मांगी. जिस पर सरकार ने इस शर्त पर 830 जलस्तर भरने की अनुमति दी कि टीएचडीसी झील के आसपास बसे गांव के 415 प्रभावित को विस्थापित करेगा. साथ ही भविष्य में जो नुकसान झील से होगा, उसकी भरपाई करेगा. इसके अलावा उनकी सुरक्षा का ध्यान भी रखेगा.

टिहरी झील का जलस्तर में बढ़ोतरी से बिजली उत्पादन बढ़ा.

ये भी पढ़ेंः कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष की अनोखी मांग, टिहरी झील में तैनात हो पनडुब्बी

वहीं, झील का जलस्तर 830 मीटर भरने की अनुमति के बाद जैसे-जैसे पानी बढ़ रहा है, वैसे-वैसे टीएचडीसी के अधिकारियों में खुशी झलक रही है. अब चारों टरबाइन चलने से बिजली के उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है. जिसका फायदा टीएचडीसी को मिल रहा है. उधर, टिहरी झील से प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने 830 आरएल मीटर जलस्तर भरने की अनुमति देने में जल्दबाजी कर दी. क्योंकि अभी तक कई सालों से ग्रामीणों को जमीन नहीं मिली है. आज भी ग्रामीण खतरे के साए में गांव में रह रहे हैं.

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टीएचडीसी के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने ग्रामीणों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सभी मांगें मान ली है. जल्द ही विस्थापन की कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल, इसकी कार्रवाई पुनर्वास विभाग से चल रही है. वर्तमान समय में टीएचडीसी की ओर से 829.50 आरएल मीटर पानी भरने पर टिहरी डैम की चारों टरबाइन चलाई जा रही है. जिससे बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है. अनुमानित एक्स्ट्रा 50 लाख प्रतिदिन की बिजली का उत्पादन किया जा रहा है.

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जलस्तर बढ़ने से डूबे व्यू प्वाइंटः टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने और पर्यटन विभाग की लापरवाही के चलते ये दोनों व्यू प्वाइंट डूब चुके हैं. स्थानीय लोगों का आरोप है कि मानकों को ताक पर रखकर इस व्यू प्वाइंट को 835 आरएल मीटर के नीचे बनाया गया था. इस कारण करोड़ों की लागत से बनी सरकारी संपत्ति डूब गई. स्वदेश दर्शन योजना के तहत पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग ने उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम से लगभग 80 करोड़ की लागत से कई योजनाएं बनाई थीं. जिनमें यह व्यू प्वॉइंट भी था. टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने और पर्यटन विभाग की लापरवाही से व्यू प्वॉइंट, रेलिंग और हेलीपैड भी डूब गए.

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बारिश के बाद बढ़ा था जलस्तरः बीते दिनों हुई बारिश के बाद टिहरी झील का जलस्तर बढ़ गया था. बीते दिनों टिहरी झील का जलस्तर 827 आरएल मीटर था और करीब 15 घंटे में झील का जलस्तर एक बढ़कर 828 आरएल मीटर पहुंच गया था. झील का जलस्तर बढ़ने से आसपास बसे रौलाकोट, गडोली और कंगसाली आदि गांवों के नीचे अब जमीन खिसकने लग गई थी. साथ ही मकानों में दरार भी पड़ने लगी थी, जिससे ग्रामीण दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं. झील का जलस्तर बढ़ने से आसपास बसे गांवों की जमीनों पर कटाव होने का खतरा बढ़ गया. रौलाकोट, गडोली और कंगसाली आदि गांवों के नीचे अब जमीन खिसकने लग गई है. साथ ही मकानों में दरार भी पड़ने लगी हैं.

Last Updated : Sep 23, 2021, 5:48 PM IST
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