टिहरी: झील के आसपास के बांध प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीणों की परेशानियां इन दिनों काफी बढ़ गयी हैं. यहां आवाजाही के लिए लगाई गई बोट का संचालन बंद होने के कारण लोग घरों में कैद होने को मजूबर हैं. जिससे परेशान होकर सोमवार को आक्रोशित ग्रामीणों ने जिलाधिकारी कार्यालय में टिहरी बांध परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए जमकर नारेबाजी की.
जिला मुख्यालय पहुंचे प्रदर्शनकारियों ने कहा कि बोट का संचालन बंद होने के कारण वे बाजार नहीं जा पा रहे हैं, जिससे उनके सामने खाने-पीने के साथ ही रोज-मर्रा के सामानों का अभाव पैदा हो गया है. ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में पुनर्वास निदेशालय ने ग्रामीणों की परेशानियों को देखते हुए अनुबंध के आधार पर डोबरा, रोलाकोट, चांठी आदि स्थानों पर बोट लगवाई थी, लेकिन नया साल आते ही बोट संचालकों ने संचालन बंद कर दिया.
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2400 परिवार सीधे तौर पर प्रभावित
बता दें कि बोट के संचालन बंद होने से एक दर्जन से अधिक गांवों का मुख्य बाजार से संपर्क कट गया है. यहां एक गांव में करीबन 200 परिवार रहते हैं. जिस हिसाब से कहा जा सकता है कि बोट संचालन से सीधे-सीधे 2400 परिवार प्रभावित हुए हैं. इन सभी परिवारों के सामने दैनिक जरुरतों का संकट खड़ा हो गया है. जिसके कारण ये आंदोलनरत हैं.
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नहीं हुआ बोट संचालकों का भुगतान
जिला मुख्यालय पहुंचे ग्रामीणों ने कहा कि निदेशालय को जल्द से जल्द इस मामले में कोई कदम उठाना चाहिए. आक्रोशित ग्रामीणों ने जिलाधिकारी कार्यालय में आकर बांध परियोजना के खिलाफ नारेबाजी की. जिसके बाद उन्होंने पुनर्वास निदेशक को ज्ञापन देकर जल्द ही बोट संचालित करने की मांग की. जानकारी के मुताबिक टिहरी झील के एक दर्जन से अधिक गांवों को जोड़ने के लिए 9 बोट संचालित की जाती थी. जिन्हें हर महीने 30,000 रुपए का भुगतान किया जाता. मगर पिछले 9 महीने से भुगतान न होने के कारण बोट संचालकों ने संचालन बंद कर दिया.
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वहीं मामले पर बोलते हुए पुनर्वास निदेशक ने कहा कि ग्रामीणों की परेशानियों को देखते हुए जल्द ही बोटों का संचालन शुरू कर दिया जाएगा. जिससे ग्रामीणों को झील के आर-पार जाने में कोई समस्या न हो.