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टीएचडीसी के खिलाफ ग्रामीणों का प्रदर्शन जारी, धरना स्थल तक पहुंचा टिहरी झील का पानी - धरना स्थल तक पहुंचा टिहरी झील का पानी

अपनी मांगों को लेकर पिछले 6 दिनों से टीएचडीसी के खिलाफ धरने पर बैठे ग्रामीणों ने आर-पार की लड़ाई की मन बना लिया है. ग्रामीणों ने प्रशासन और टीएचडीसी को 23 सितंबर तक का समय दिया है. यदि 23 सितंबर उनकी मांगों पर विचार नहीं किया तो टीएसडीसी कार्यालय के बाहर बड़ा आंदोलन करेंगे.

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Published : Sep 10, 2022, 7:36 PM IST

Updated : Sep 17, 2022, 7:28 PM IST

टिहरी: एशिया के सबसे बड़े टिहरी बांध की झील के किनारे तिवाड गांव के ग्रामीण टीएचडीसी से जमीन के बदले जमीन की मांग को लेकर 6 दिनों से धरने पर बैठे हैं. ग्रामीणों ने कहा कि टिहरी बांध परियोजना (टीएचडीसी) के अधिकारियों द्वारा ग्रामीणों की अनदेखी 15 सालों से की जा रही है. आज तक उन्हें झील में डूबी जमीन के बदले जमीन नहीं दी गई. जिस कारण ग्रामीण 15 सालों से परेशान हैं और ग्रामीणों ने इस बार टीएचडीसी के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है.

आज जिला प्रशासन की तरफ से तहसीलदार मौके पर पहुंचे और उन्होंने धरना समाप्त करने की मांग की. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को 23 सितंबर तक का आश्वासन दिया है और कहा कि 23 सितंबर तक टीएचडीसी ग्रामीणों की मांग नहीं मानती है तो टीएचडीसी के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया जाएगा.
पढ़ें- गंगा में नहाने गया 17 साल का किशोर डूबा, सड़क पर परिजनों का हंगामा

उत्तरायनी समिति के अध्यक्ष कुलदीप पवार ने कहा कि वे लगातार जमीन के बदले जमीन लेने की मांग करते आ रहे हैं. लेकिन टीएसडीसी ग्रामीणों को गुमराह कर रही है. उनका कहना है कि झील का पानी टेंट के समीप आ गया है. वही ग्रामीणों ने धरना स्थल पर आए तहसीलदार और पुनर्वास विभाग के अधिकारियों व पुलिस के अधिकारियों को कहां की 23 सिंतबर तक हमारा धरना टिहरी झील के किनारे सुबह से लेकर शाम तक जारी रहेगा. अगर 23 सितंबर तक टीएचडीसी ग्रामीणों की मांग नहीं मानती है तो उसके बाद टीएसडीसी कार्यालय के बाहर बड़ा आंदोलन किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन और टिहरी बांध परियोजना टीएचडीसी की होगी.

तहसीलदार का कहना है कि ग्रामीणों की मांग टिहरी झील में डूबी जमीनों के बदले जमीन लेने की मांग की है. इस संबंध में ग्रामीणों से वार्ता हुई हैं. ग्रामीणों ने 23 सितंबर तक का समय दिया है और कहा कि 23 सितंबर तक ग्रामीण सुबह से लेकर शाम तक धरना करेंगे. इसके साथ ही सुरक्षित जगह पर धरना देंगे और इनकी मांगों को लेकर टीएचडीसी के अधिकारियों के साथ वार्ता करके उसके बाद समाधान निकाला जाएगा.

टिहरी: एशिया के सबसे बड़े टिहरी बांध की झील के किनारे तिवाड गांव के ग्रामीण टीएचडीसी से जमीन के बदले जमीन की मांग को लेकर 6 दिनों से धरने पर बैठे हैं. ग्रामीणों ने कहा कि टिहरी बांध परियोजना (टीएचडीसी) के अधिकारियों द्वारा ग्रामीणों की अनदेखी 15 सालों से की जा रही है. आज तक उन्हें झील में डूबी जमीन के बदले जमीन नहीं दी गई. जिस कारण ग्रामीण 15 सालों से परेशान हैं और ग्रामीणों ने इस बार टीएचडीसी के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है.

आज जिला प्रशासन की तरफ से तहसीलदार मौके पर पहुंचे और उन्होंने धरना समाप्त करने की मांग की. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को 23 सितंबर तक का आश्वासन दिया है और कहा कि 23 सितंबर तक टीएचडीसी ग्रामीणों की मांग नहीं मानती है तो टीएचडीसी के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया जाएगा.
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उत्तरायनी समिति के अध्यक्ष कुलदीप पवार ने कहा कि वे लगातार जमीन के बदले जमीन लेने की मांग करते आ रहे हैं. लेकिन टीएसडीसी ग्रामीणों को गुमराह कर रही है. उनका कहना है कि झील का पानी टेंट के समीप आ गया है. वही ग्रामीणों ने धरना स्थल पर आए तहसीलदार और पुनर्वास विभाग के अधिकारियों व पुलिस के अधिकारियों को कहां की 23 सिंतबर तक हमारा धरना टिहरी झील के किनारे सुबह से लेकर शाम तक जारी रहेगा. अगर 23 सितंबर तक टीएचडीसी ग्रामीणों की मांग नहीं मानती है तो उसके बाद टीएसडीसी कार्यालय के बाहर बड़ा आंदोलन किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन और टिहरी बांध परियोजना टीएचडीसी की होगी.

तहसीलदार का कहना है कि ग्रामीणों की मांग टिहरी झील में डूबी जमीनों के बदले जमीन लेने की मांग की है. इस संबंध में ग्रामीणों से वार्ता हुई हैं. ग्रामीणों ने 23 सितंबर तक का समय दिया है और कहा कि 23 सितंबर तक ग्रामीण सुबह से लेकर शाम तक धरना करेंगे. इसके साथ ही सुरक्षित जगह पर धरना देंगे और इनकी मांगों को लेकर टीएचडीसी के अधिकारियों के साथ वार्ता करके उसके बाद समाधान निकाला जाएगा.

Last Updated : Sep 17, 2022, 7:28 PM IST
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