टिहरीः उत्तरकाशी और टिहरी जिले की सीमा पर बसा भल्ड़गांव के ग्रामीणों ने जल समाधि लेने का फैसला दो दिन के लिए स्थगित कर दिया है. टिहरी डीएम व पुनर्वास निदेशक मयूर दीक्षित के आश्वासन पर ग्रामीणों ने जल समाधि लेने का फैसला फिलहाल दो दिन के लिए स्थगित कर दिया है. ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन को मंगलवार (1 अगस्त) तक का समय दिया है. उसके बाद बुधवार (2 अगस्त) को जल समाधि लेने की चेतावनी दी है.
भल्ड़गांव के ग्रामीण पुनर्वास की मांग को लेकर पिछले 9 दिन से टिहरी झील के किनारे धरने पर बैठे हैं. ग्रामीणों ने मांग पूरी नहीं होने पर 30 अगस्त को जल समाधि लेने का फैसला लिया था. वहीं, आज (30 अगस्त) टिहरी डीएम व पुनर्वास निदेशक मयुर दीक्षित ने ग्रामीणों की समस्याओं का संज्ञान लेते हुए टिहरी जिले की डुंडा तहसील एसडीएम मीनाक्षी पटवाल, पुनर्वास विभाग से अधिशासी अभियंता धीरेंद्र नेगी और शक्ति चमोली को मौके पर भेजा और ग्रामीणों को जल समाधि लेने से रोका. ग्रामीणों ने डीएम के आश्वासन पर जल समाधि लेने का फैसला फिलहाल दो दिन के लिए टाल दिया है.
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एसडीएस से बातचीत के बाद ग्रामीणों ने बताया कि आने वाले मंगलवार को टिहरी जिलाधिकारी और टिहरी बांध परियोजना के अधिकारियों के साथ ग्रामीणों की एक बैठक होगी. जिसमें ग्रामीणो की समस्या के समाधान का सकारात्मक पहल पर चर्चा की जाएगी. वार्ता सफल होने पर जल समाधि का फैसला वापस लेने के साथ ही धरना समाप्त कर दिया जाएगा. जबकि वार्ता विफल होने पर बुधवार को ग्रामीण टिहरी झील में जल समाधि लेंगे.
दरअसल, भल्ड़गांव के ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 20 सालों से वह लगातार विस्थापन की मांग कर रहे हैं. लेकिन अभी तक विस्थापन नहीं किया गया, जबकि भूगर्भ वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा है कि रोलाकोट, नकोट और भल्ड़गांव खतरे की जद में है. दूसरी तरफ पुनर्वास विभाग ने रोलाकोट और नकोट गांव का विस्थापन कर दिया है, जबकि भल्ड़गांव को छोड़ दिया है. इसलिए हमें मजबूर होकर टिहरी झील के किनारे अपनी जान जोखिम में डालकर धरने पर बैठना पड़ रहा है.