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धनोल्टी: एक अदद सड़क के लिए नौ वर्ष से राह देख रहे ग्रामीण, पलायन को मजबूर नागरिक

जनपद के थौलधार ब्लाक के बरनोली गांव की सड़क स्वीकृत होने के नौ साल बाद भी नहीं बन पाई है,0 जिसके कारण ग्रमीणों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

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Published : Feb 24, 2020, 12:03 PM IST

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सड़क न होने से पलायन को मजबूर ग्रामीण

धनोल्टी: राज्य सरकार भले ही प्रदेश में विकास के लाख दावे करे लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. स्थिति यह है कि आज भी राज्य के अनेक हिस्सों में बुनियादी सुविधाएं भी पहुंच पाई. इसकी एक तस्वीर टिहरी जनपद में देखी दा सकती है.

सड़क न होने से पलायन को मजबूर ग्रामीण

यहां के नागरिक पिछले नौ सालों से सड़क के लिए इंतजार कर रहे हैं. जानकारी के अनुसार जनपद के थौलधार ब्लाक के बरनोली गांव की सड़क स्वीकृत होने के नौ साल बाद भी नहीं बन पाई है, जिससे यह गांव विकास की मुख्य धारा अलग-थलग पड़ा है.

वहीं सुविधाओं के अभाव के कारण ग्रामीणों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. अब धीरे-धीरे गांव के मकान खण्डहरों में तब्दील हो रहे हैं. एक तरफ सरकार 'आवा अपणू गाव' मुहिम चलाकर लोगों से गांव बचाने की अपील कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं के आभाव के चलते पलायन करने को मजबूर है.

बता दें कि थौलधार ब्लाक के बरनोली गांव में जहां सन 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा 4 किमी. सांकरी-बरनोली मोटरमार्ग की घोषणा की गई थी. जिसकी प्रशासकीय वित्तीय स्वीकृति वर्ष 2015 में 27 मई को मिल चुकी थी. सड़क निर्माण के प्रथम चरण हेतु 60 लाख रूपये भी सरकार द्वारा लोनिवि चम्बा को जारी किये गये थे, लेकिन आज नौ साल बीत जाने के बाद भी सड़क निर्माण शुरू नहीं हो पाया है, जिसके बाद सड़क की उम्मीद लगाए लोग सड़क निर्माण शुरू न होने के बाद अब गांव से पलायन करने को मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें: बिना लोन लिए ही किसानों को मिल रहा बकाये का नोटिस, घोटालेबाजों पर कार्रवाई की मांग

वहीं अब गांव में निवास कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि सरकार व प्रशासन द्वारा जल्द इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे आन्दोलन के लिए मजबूर हो जाएगे. साथ ही लोगों का मानना है कि सरकार पलायन को रोकने के लाख दावे करें, लेकिन जब तक बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहेगा, तब तक पलायन रोक पाना बेहद मुश्किल होगा.

धनोल्टी: राज्य सरकार भले ही प्रदेश में विकास के लाख दावे करे लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. स्थिति यह है कि आज भी राज्य के अनेक हिस्सों में बुनियादी सुविधाएं भी पहुंच पाई. इसकी एक तस्वीर टिहरी जनपद में देखी दा सकती है.

सड़क न होने से पलायन को मजबूर ग्रामीण

यहां के नागरिक पिछले नौ सालों से सड़क के लिए इंतजार कर रहे हैं. जानकारी के अनुसार जनपद के थौलधार ब्लाक के बरनोली गांव की सड़क स्वीकृत होने के नौ साल बाद भी नहीं बन पाई है, जिससे यह गांव विकास की मुख्य धारा अलग-थलग पड़ा है.

वहीं सुविधाओं के अभाव के कारण ग्रामीणों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. अब धीरे-धीरे गांव के मकान खण्डहरों में तब्दील हो रहे हैं. एक तरफ सरकार 'आवा अपणू गाव' मुहिम चलाकर लोगों से गांव बचाने की अपील कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं के आभाव के चलते पलायन करने को मजबूर है.

बता दें कि थौलधार ब्लाक के बरनोली गांव में जहां सन 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा 4 किमी. सांकरी-बरनोली मोटरमार्ग की घोषणा की गई थी. जिसकी प्रशासकीय वित्तीय स्वीकृति वर्ष 2015 में 27 मई को मिल चुकी थी. सड़क निर्माण के प्रथम चरण हेतु 60 लाख रूपये भी सरकार द्वारा लोनिवि चम्बा को जारी किये गये थे, लेकिन आज नौ साल बीत जाने के बाद भी सड़क निर्माण शुरू नहीं हो पाया है, जिसके बाद सड़क की उम्मीद लगाए लोग सड़क निर्माण शुरू न होने के बाद अब गांव से पलायन करने को मजबूर हैं.

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वहीं अब गांव में निवास कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि सरकार व प्रशासन द्वारा जल्द इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे आन्दोलन के लिए मजबूर हो जाएगे. साथ ही लोगों का मानना है कि सरकार पलायन को रोकने के लाख दावे करें, लेकिन जब तक बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहेगा, तब तक पलायन रोक पाना बेहद मुश्किल होगा.

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