प्रतापनगर: कोरोना जैसी बीमारी को लेकर प्रशासन कितना लापरवाह है, जिसका एक उदाहरण प्रतापनगर में देखने को मिला हैं, जहां प्रशासन की एक गलती के कारण पूरे गांव में डर का माहौल है.
दरअसल, चार जून की रात 21 लोगों को बस के जरिए ऋषिकेश मुनिकीरेती से लमगांव लाया गया. जिसमें से लगभग 14 लोग पदूरा पट्टी और 7 लोग ओन पट्टी के थे. जबकि मंजखेत गांव का एक युवक पॉजिटिव बताया जा रहा था. जिसे पांच जून को पूरी एतियाहत के साथ मंजखेत गांव के बेसिक स्कूल से एम्बुलेंस से टिहरी आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया था.
पढ़ें- उत्तराखंड: अबतक 13 लोगों की मौत, कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा पहुंचा 1308
लेकिन आपको जानकर ताज्जुब होगा कि 6 जून की शाम को उसे वापस गांव भेज दिया गया था. जिसके बाद स्थानीय प्रशासन ने उसी युवक के साथ-साथ उन 15 लोगों को आब गांव में एक होटल में क्वारंटाइन कर दिया जो उसके साथ बस में आये थे. ऐसे में ग्रामीण प्रशासन से सवाल कर रहे है कि आखिर उस युवक को क्यों ले जाया गया और क्यों वापस लाया गया? जब वह युवक पॉजिटिव है तो उसे वही रखा जाना चाहिए था और अगर उसे वापस भी भेजना था तो उसे अलग कमरे में आइसोलेट किया जाना चाहिए था. लेकिन यहां होटल में वह 2 लोग एक कमरे में है. इसके अलावा अन्य लोगों को भी उसी होटल रखा गया है. यहीं कारण है कि ग्रामीण काफी डरे हुए है. उनका कहना है प्रशासन की इस लापरवाही से गांव में संक्रमण फैल सकता है.