धनौल्टी: वैश्विक महामारी कोरोना का असर धीरे-धीरे लोगों के लिए परेशानी का सबब बनने लगा है. लेकिन, देशभर में चल रहे लॉकडाउन के बीच अब गरीब और मजदूर तबके को रोजी-रोटी को लेकर चिंता सताने लगी है. बसपा जिलाध्यक्ष दिनेश कोहली ने मांग की है कि सरकार द्वारा तीन माह के मुफ्त राशन पर विचार कर इसे एपीएल परिवारों पर भी समान रूप से लागू किया जाना चाहिए.
जिलाध्यक्ष कोहली ने बताया कि अभी तक 2002 के सर्वे के आधार पर लोगों के राशनकार्ड बने है. लेकिन, जब पुन: इनके आधार पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और राज्य खाद्य सुरक्षा के राशनकार्ड बने, तो इसमें कई अपात्र लोगों को इसका लाभ मिलने से पात्र लोग वंचित रह गए. अगर राशनकार्ड को आधार माना जाता है, तो इसमें सबसे ज्यादा समस्या उन गरीब परिवारों को हो रही है, जो बेहद गरीब होने के बावजूद एपीएल (पीला कार्ड राज्य खाद्य सुरक्षा) के अंतर्गत आते हैं.
ऐसे में आशा देवी, शान्तादेवी, पूर्णा देवी ,उर्मिला देवी ने बताया कि उनका राशनकार्ड राज्य खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत आता है. जिसके कारण उन्हें माह का रुटीन राशन में केवल 2.5 किलो चावल और 5 किलो गेहूं मिलता है. जबकि, बताया जा रहा है कि सरकार द्वारा कोरोना महामारी के दौरान फ्री राशन केवल राशनकार्ड के आधार पर पांच किलो प्रति माह मिल सकेगा. उन्होंने मांग की कि उनको भी (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सफेद राशनकार्ड धारकों की तरह) पांच किलो प्रति यूनिट राशन दिया जाए.
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लोगों का कहना है कि लॉकडाउन के चलते वो घरों मे कैद हैं. ऐसे समय में सरकार को सभी लोगों को समान रूप से राशन वितरित करना करना चाहिए. जिससे कोई भूखा न रह सके.