टिहरीः देवभूमि उत्तराखंड वीर सपूतों की भूमि मानी जाती है. यहां पर वीरों और शहीदों की याद में कई मेलों का आयोजन किया जाता है. ऐसा ही एक मेला है, चंबा का विक्टोरिया क्रॉस गब्बर सिंह मेला. ये मेला 20 अप्रैल को धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते यह मेला स्थगित कर दिया गया. वीर सैनिक गब्बर सिंह नेगी की 125वीं जयंती पर सादगी से श्रद्धांजलि दी गई. आइए आपको गब्बर सिंह नेगी की वीरता के बारे में बताते हैं.
विक्टोरिया क्रॉस विजेता गब्बर सिंह नेगी की शहादत को 105 साल पूरे हो गए हैं. उनकी 125वीं जयंती पर पूर्व सैनिकों ने चंबा के मुख्य चौराहे पर स्थित स्मारक पर उन्हें श्रद्धांजलि दी. उनकी याद में हर साल चंबा में मेले का आयोजन किया जाता है, लेकिन कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के चलते तीन दिवसीय मेला रद्द करना पड़ा है. मेले के दौरान चंबा शहर पूरी तरह से खचाखच भरा रहता था. जो सोमवार को पूरी तरह सुनसान नजर आया.
कौन थे गब्बर सिंह नेगी
शहीद सेनानायक वीर गब्बर सिंह नेगी का जन्म 20 अप्रैल 1895 को टिहरी जिले के चंबा के मज्यूड़ गांव में हुआ था. वे बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे. गब्बर सिंह 19 अक्टूबर साल 1912 में द्वितीय गढ़वाल राइफल में भर्ती हुए थे. भर्ती होने के कुछ ही समय बाद गढ़वाल राइफल के सैनिकों को प्रथम विश्व युद्ध के लिए फ्रांस भेजा गया. वहां ब्रिटिश सेना की ओर से गब्बर सिह के नेतृत्व में गढ़वाल राइफल के जवानों ने जर्मन सेना के दांत खट्टे कर दिए थे.
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इस दौरान गब्बर सिह ने जर्मन सेना के कई एरिया को अपने कब्जे में ले लिया था. साथ ही कई इलाकों को ध्वस्त कर दिया था. कई जर्मन सैनिक मारे गए और 350 से ज्यादा जर्मन सैनिकों ने गब्बर सिंह के आगे आत्म सर्मपण किया था. 10 मार्च 1915 को गढ़वाल राइफल ने जर्मनी के प्रसिद्ध न्यू चैपल लैंड पर कब्जा किया. इस युद्ध में गब्बर सिह नेगी शहीद हो गए.
सबसे कम उम्र में विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित हुए शहीद गब्बर सिंह नेगी
प्रथम विश्व युद्ध के वीर सैनिक गब्बर सिंह नेगी की बहादुरी का अंग्रेजी हुकूमत ने पूरा सम्मान किया. ब्रिटिश सरकार ने मरणोपरांत गब्बर सिंह को सबसे बड़े विक्टोरिया क्रॉस सम्मान से नवाजा. विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित होने वाले सबसे कम उम्र में शहीद होने वाले गब्बर सिंह नेगी थे.
तब से ही हर साल 20 अप्रैल को चंबा में उनके स्मारक स्थल पर गढ़वाल राइफल की ओर से रेतलिंग परेड कर उन्हें सलामी दी जाती है. गढ़वाल राइफल का नाम विश्वभर में रोशन करने वाले वीर गब्बर सिंह नेगी की शहादत को याद करने के लिए हर साल चंबा में मेले का आयोजन होता है.