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महिला दिवस विशेषः ढोल बजाकर ऊषा ने तोड़ी ढोल वादन की पंरपरा, बनाया आर्थिकी का सहारा

टिहरी जिले के सत्यो सकलानी पट्टी के हटवाल गांव की रहने वाली 30 वर्षीय महिला ऊषा ने ढोल वादन कर पिढ़ियों से चली आ रही परंपरा को तोड़ा है. जहां आम तौर पर महिलाएं ढोलवादन से दूर रहती हैं वहीं ऊषा ने इसे परिवार की आर्थिकी का सहारा बनाया है.

ढोल बजाकर ऊषा ने तोड़ी ढोल वादन की पंरपरा
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Published : Feb 28, 2019, 8:08 PM IST

Updated : Feb 28, 2019, 11:42 PM IST

टिहरी: आंखों में आत्मविश्वास की चमक, चेहरे पर मासूमियत और इरादे चट्टान की तरह बुलंद, हाथों में ढोल लिए तेज थाप देती महिला.. जिस किसी ने भी इस महिला को देखा वो इसका कायल हो गया. ढोल बजाती ये महिला पुरुषों के वर्चस्व को भी चुनौती दे रही है. ढोल वादन की पंरपरा को तोड़ते हुए इस महिला ने समाज के लिए एक नई मिसाल कायम की है. इलाके की इस इकलौती महिला ढोलवादक का नाम ऊषा है जो इन दिनों पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई हैं.

ढोल बजाकर ऊषा ने तोड़ी ढोल वादन की पंरपरा


टिहरी जिले के सत्यो सकलानी पट्टी के हटवाल गांव की रहने वाली 30 वर्षीय महिला ऊषा ने ढोल वादन कर पिढ़ियों से चली आ रही परंपरा को तोड़ा है. जहां आम तौर पर महिलाएं ढोलवादन से दूर रहती हैं वहीं ऊषा ने इसे परिवार की आर्थिकी का सहारा बनाया है. ऊषा ने सारे मिथकों को तोड़कर अन्य महिलाओं के लिये संभावनाओं के द्वार खोले हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में ऊषा ने बताया कि उन्हें तबला वादन में शुरू से ही रुचि थी. फिर धीरे-धीरे उन्होंने ढोल सीखा. जिसके बाद उन्होंने ढोल बजाना शुरू किया. परिणामस्वरूप वे शादी-समारोह, नवरात्री, हरियाली जैसे कई कार्यक्रमों में ढोल बजाती हैं. उन्होंने बताया कि वे पिछले 10 सालों से ढोल बजा रही हैं.


ऊषा बताती है कि ढोलवादन से जहां उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है वहीं इससे उनका सामाजिक दायरा भी बढ़ा है. ढोलवादन के बारे में बताते हुए ऊषा ने बताया कि शादी समारोह सहित विभिन्न कार्यक्रमों में उनके पति सुमनदास मसकाबीन और बेटा नगाड़े पर उनकी संगत करता है. आठवीं पास उषा आज सांस्कृतिक आयोजनों में महिलाओं की पहली पसंद बन गई हैं. पिछले महीने देहरादून में आयोजित एक कार्याक्रम में उन्हेंलोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी और जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण के साथ मंच साझाा करने का मौका मिला.

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महिलाओं को संदेश देते हुए ऊषा कहती हैं कि कोई भी काम छोटा-बड़ा नहीं होता है. उन्होंने कहा कि किसी भी काम को करने में शर्म नहीं करनी चाहिए. ऊषा कहती हैं कि आत्मविश्वास के साथ अगर किसी भी काम को किया जाए तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है.

टिहरी: आंखों में आत्मविश्वास की चमक, चेहरे पर मासूमियत और इरादे चट्टान की तरह बुलंद, हाथों में ढोल लिए तेज थाप देती महिला.. जिस किसी ने भी इस महिला को देखा वो इसका कायल हो गया. ढोल बजाती ये महिला पुरुषों के वर्चस्व को भी चुनौती दे रही है. ढोल वादन की पंरपरा को तोड़ते हुए इस महिला ने समाज के लिए एक नई मिसाल कायम की है. इलाके की इस इकलौती महिला ढोलवादक का नाम ऊषा है जो इन दिनों पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई हैं.

ढोल बजाकर ऊषा ने तोड़ी ढोल वादन की पंरपरा


टिहरी जिले के सत्यो सकलानी पट्टी के हटवाल गांव की रहने वाली 30 वर्षीय महिला ऊषा ने ढोल वादन कर पिढ़ियों से चली आ रही परंपरा को तोड़ा है. जहां आम तौर पर महिलाएं ढोलवादन से दूर रहती हैं वहीं ऊषा ने इसे परिवार की आर्थिकी का सहारा बनाया है. ऊषा ने सारे मिथकों को तोड़कर अन्य महिलाओं के लिये संभावनाओं के द्वार खोले हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में ऊषा ने बताया कि उन्हें तबला वादन में शुरू से ही रुचि थी. फिर धीरे-धीरे उन्होंने ढोल सीखा. जिसके बाद उन्होंने ढोल बजाना शुरू किया. परिणामस्वरूप वे शादी-समारोह, नवरात्री, हरियाली जैसे कई कार्यक्रमों में ढोल बजाती हैं. उन्होंने बताया कि वे पिछले 10 सालों से ढोल बजा रही हैं.


ऊषा बताती है कि ढोलवादन से जहां उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है वहीं इससे उनका सामाजिक दायरा भी बढ़ा है. ढोलवादन के बारे में बताते हुए ऊषा ने बताया कि शादी समारोह सहित विभिन्न कार्यक्रमों में उनके पति सुमनदास मसकाबीन और बेटा नगाड़े पर उनकी संगत करता है. आठवीं पास उषा आज सांस्कृतिक आयोजनों में महिलाओं की पहली पसंद बन गई हैं. पिछले महीने देहरादून में आयोजित एक कार्याक्रम में उन्हेंलोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी और जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण के साथ मंच साझाा करने का मौका मिला.

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महिलाओं को संदेश देते हुए ऊषा कहती हैं कि कोई भी काम छोटा-बड़ा नहीं होता है. उन्होंने कहा कि किसी भी काम को करने में शर्म नहीं करनी चाहिए. ऊषा कहती हैं कि आत्मविश्वास के साथ अगर किसी भी काम को किया जाए तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है.

टिहरी स्पेशल खबर

रिर्पोट अरबिन्द नोटियाल

 

स्लग’- dhol bajati mahila

स्लग के नाम से एफटीपी में न्यूज भेजी हे।

 

एंकर-नारी को शक्ति का रूप माना जाता हे और पुराणो में कहा हे कि जहा नारी का सम्मान होता हे वही देवता निवास करते हे।

 

लेकिन आज हम आपको मिलाने जा रहे हे एक ऐसी महिला से जो ढोल बजाकर आने घर का भरण पोषण करती हे साथ ही खेतीवाडी का काम भी करती हे।

 

जी हां हम बात कर रहे हे टिहरी जिले के सत्यो सकलाना पटटी के हटवाल गाव की रहने वाली उषा नाम की महिला का उषा ने बताया कि ढोल वादन उसके परिवार का पारम्परिेक व्यवसाय हे। लेकिन अब तक महिलायें इससे दूर ही रहती थी उषा ने इस मिथक को तोडकर अन्य महिलाओ के लिये सम्भावानाआ से के द्धारा खोले हे। उषा ने बताया कि मैने तबला में भी रूचि हे ओर उस दोरान मेरे मन में बिचार आया कि में ढोल क्यो नही सीख सकती तो मैने ढोल बजाना शुरू कर दिया जिसका परिणाम हे कि आज लोग शादी समारोह में  नवरात्रो हरियाली कई तरह के कार्याक्रमो ढोल बजाने के लिये मुझे बुलाते हे। उषा 10 सालो से ढडोल बजा रही

 

आत्म बिश्वास के आगे हर चुनोती--

उषा बताती हे कि  उनके ढोल वादन से परिवार की आर्थिक मजबूती हुई हे। साथ ही उनका सामाजिक दायरा भी बढा अब ढोलवादन उनके लिये पारम्परिक व्यवसाय नही बल्कि आय का मुख्य जरिया भी बना गया हे। उषा कहती हे कोई काम कठिन नही होता बस उसके प्रति लगन एवम आत्म बिश्वास होना चाहिये।

 

पति बेटा नगाडे के साथ करते हे सगंत--

शादी समारोह समेत बिभिन्न आयोजनो कार्याक्रमो में उषा अपने पति सुमनदास मसकाबीन बेटा नगाडा बजाता हे  जबकि वह  स्वयं ढोल बजाती हे।गाव गाव मे में जब शादी होती हे तो उषा अपने पति के साथ  जाती हे जिसमें ढोल बजाने की मुख्य भूमिका उषा की होती हे। जिससे लोग उषा के जागर लोक गीत मांगल गीत गायन की तारीफ कद्र करते हे।

 

ढोल वादन से तिमली नई पहचानं--

अठवी पास उषा आज संस्कृतिक आयोजनो में महिलाओ की पहली पसंन्द बन गई हे।  पिछले महिने देहरादून में आयोजिम एक कार्याक्रम में उन्हे  लोक गायक नरेन्द्र सिह नेगी जागर समा्राट प्रीतम भरतवाण के साथ मंच सांझाा करने का मोका मिला था इस दोरान उषा को सम्मानित किया गया।

 

महिलाओ के नाम सन्देश--उषा ने बताया कि मैने आठ से दस साल पहले ढोल वादन का काम सीखा ओर तब से आज तक ढोल बजा रही हे जिससे मुझे रोजगार मिला ह। ओर महिलाओ को सन्देश दैते हुये कहा कि किसी काम की शर्म नही होनी चाहिये जो भी काम करे आत्म बिश्वास के साथ करें जिससे वह आगे बढ सकें

 

उषा के परिवार में तीन बच्चे ओर पति हे। तीनो बच्चे पढाई के साथ साथ ढोल वादन की बारीकियांे को अपनी मा से सीखते हे।

 

बाइट उषा देबी ढोल वादक

 

Last Updated : Feb 28, 2019, 11:42 PM IST
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