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प्रतापनगर के राजमहल को संग्रहालय बनाने की कवायद तेज

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Published : Mar 5, 2021, 3:38 PM IST

प्रतापनगर के राजमहल को संग्रहालय बनाने की कवायद तेज हो गई है. सीएम की घोषणा के बाद पर्यटन विभाग ने लोनिवि को राजमहल के डीपीआर और रेनोवेशन के लिए 20 लाख की धनराशि देने की घोषणा की है.

Tehri
टिहरी

टिहरी: प्रतापनगर के राजमहल को संग्रहालय बनाने की कवायद तेज हो गई है. टिहरी राजशाही के दौरान 1877 में बनाया गए राजमहल को हेरिटेज के तौर पर विकसित करने की कवायद सीएम की घोषणा के बाद शुरू की गई है. पर्यटन विभाग ने राजमहल को संग्रहालय के रूप में विकसित करने के लिए 20 लाख की धनराशि लोनिवि को डीपीआर व राजमहल के रेनोवेशन के लिए देने की तैयारी कर ली है.

जिला प्रशासन ने पर्यटन विभाग से राजमहल को संग्रहालय बनाने के लिए 5 करोड़ की धनराशि की मांग की है. प्रतापनगर में बने राजमहल में कुछ समय तक ब्लॉक मुख्यालय कार्यालय भी संचालित होता रहा है. ब्लॉक मुख्यालय कार्यालय बनने के बाद राजमहल सुना पड़ा था. सीएम ने राजमहल को संग्रहालय के तौर पर विकसित करने की घोषणा टिहरी लेक फेस्टिवल में की. राजमहल तक टिहरी से अब मात्र डेढ़ घंटे में डोबरा-चांठी पुल बनने के बाद पहुंचा जा सकता है.

प्रतापनगर के राजमहल को संग्रहालय बनाने की कवायद तेज

राजमहल से झील के साथ ही हिमालय पर्वत श्रृंखला का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है. महल के संग्रहालय बनने से यहां पर्यटन सर्किल विकसित होगा. युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे. यहां से पैराग्लाइडिंग सहित कैंपिंग जैसी पर्यटन गतिविधियों को भी अंजाम दिया जा सकता है.

ये भी पढ़ेंः कुमाऊं की ऐपण लोककला का मुरीद हुआ मिनिस्ट्री ऑफ लेबर, दिया 300 बैग का ऑर्डर

संग्रहालय बनाने की कार्रवाई को लेकर पर्यटन अधिकारी एसएस यादव और लोनिवि के ईई केएस नेगी ने बताया की शुरुआती दौर में पर्यटन विभाग 20 लाख लोनिवि को देगा. जिसमें राजमहल का रिनोवेशन और डीपीआर तैयार की जाएगी.

प्रतापनगर के ब्लॉक प्रमुख प्रदीप रमोला का कहना है कि राजमहल को हेरिटेज के रूप में विकसित करने से यहां पर रोजगार के असवर पैदा होंगे. उन्होंने राजमहल को संग्रहालय बनाने के साथ ही प्रतापनगर में अन्य पर्यटन गतिविधियां व्यापक स्तर पर चलाने की मांग की.

आपको बता दें कि सबसे पहले टिहरी के राजा सुदर्शन शाह ने 30 दिसंबर 1815 में टिहरी को बसाया था. टिहरी में राजा सुदर्शन शाह के बेटे प्रताप शाह ने अपने लिए प्रतापनगर में महल बनवाया. गर्मियों में राजा टिहरी से प्रतापनगर जाते थे. नरेंद्र शाह ने अपने लिए नरेन्द्रनगर में महल बनवाया और कीर्ति शाह ने कीर्तिनगर में महल बनवाया.

टिहरी: प्रतापनगर के राजमहल को संग्रहालय बनाने की कवायद तेज हो गई है. टिहरी राजशाही के दौरान 1877 में बनाया गए राजमहल को हेरिटेज के तौर पर विकसित करने की कवायद सीएम की घोषणा के बाद शुरू की गई है. पर्यटन विभाग ने राजमहल को संग्रहालय के रूप में विकसित करने के लिए 20 लाख की धनराशि लोनिवि को डीपीआर व राजमहल के रेनोवेशन के लिए देने की तैयारी कर ली है.

जिला प्रशासन ने पर्यटन विभाग से राजमहल को संग्रहालय बनाने के लिए 5 करोड़ की धनराशि की मांग की है. प्रतापनगर में बने राजमहल में कुछ समय तक ब्लॉक मुख्यालय कार्यालय भी संचालित होता रहा है. ब्लॉक मुख्यालय कार्यालय बनने के बाद राजमहल सुना पड़ा था. सीएम ने राजमहल को संग्रहालय के तौर पर विकसित करने की घोषणा टिहरी लेक फेस्टिवल में की. राजमहल तक टिहरी से अब मात्र डेढ़ घंटे में डोबरा-चांठी पुल बनने के बाद पहुंचा जा सकता है.

प्रतापनगर के राजमहल को संग्रहालय बनाने की कवायद तेज

राजमहल से झील के साथ ही हिमालय पर्वत श्रृंखला का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है. महल के संग्रहालय बनने से यहां पर्यटन सर्किल विकसित होगा. युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे. यहां से पैराग्लाइडिंग सहित कैंपिंग जैसी पर्यटन गतिविधियों को भी अंजाम दिया जा सकता है.

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संग्रहालय बनाने की कार्रवाई को लेकर पर्यटन अधिकारी एसएस यादव और लोनिवि के ईई केएस नेगी ने बताया की शुरुआती दौर में पर्यटन विभाग 20 लाख लोनिवि को देगा. जिसमें राजमहल का रिनोवेशन और डीपीआर तैयार की जाएगी.

प्रतापनगर के ब्लॉक प्रमुख प्रदीप रमोला का कहना है कि राजमहल को हेरिटेज के रूप में विकसित करने से यहां पर रोजगार के असवर पैदा होंगे. उन्होंने राजमहल को संग्रहालय बनाने के साथ ही प्रतापनगर में अन्य पर्यटन गतिविधियां व्यापक स्तर पर चलाने की मांग की.

आपको बता दें कि सबसे पहले टिहरी के राजा सुदर्शन शाह ने 30 दिसंबर 1815 में टिहरी को बसाया था. टिहरी में राजा सुदर्शन शाह के बेटे प्रताप शाह ने अपने लिए प्रतापनगर में महल बनवाया. गर्मियों में राजा टिहरी से प्रतापनगर जाते थे. नरेंद्र शाह ने अपने लिए नरेन्द्रनगर में महल बनवाया और कीर्ति शाह ने कीर्तिनगर में महल बनवाया.

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