टिहरी: जहां एक ओर लोकसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशी वोट मांग रहे हैं. वहीं टिहरी वासियों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. लोगों ने राजनैतिक और प्रशासनिक अनदेखी के आरोप लगाते हुए 10 सालों में विकास न होने की बात कही. साथ ही क्षेत्र में चिकित्सा और विस्थापन सहित अन्य तरह की समस्याओं पर चिंता जाहिर की.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में ग्रामीणों ने झील के कारण शुरू हुई समस्याओं के बारे में बताया. साथ ही आवागमन से लेकर चिकित्सा, स्वास्थ्य, खाद्यान्न और विस्थापन तक की बात कही. लोगों ने कहा कि क्षेत्र में तमाम तरह की समस्याओं के बाद भी राजनैतिक से लेकर प्रशासनिक अमले का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय प्रत्याशी वोट मांगने तो आ जाते हैं, लेकिन जीत जाने के बाद मुड़ कर नहीं देखते. कई बार लिखित शिकायत करने के बाद भी ग्रामीणों की समस्याओं का निदान नहीं हो पाता, बल्कि मुसीबतें और बढ़ जाती हैं.
टिहरी झील बनने के बाद सबसे ज्यादा समस्याएं प्रतापनगर में हुई हैं. प्रतापनगर आने-जाने के लिए नाव और रोप-वे का इस्तेमाल करना पड़ता है. लेकिन रविवार को नाव और रोप-वे बंद होने के कारण लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है.
ग्रामीणों ने बताया कि अगर डोबरा चांठी पुल बन जाता है तो आने-जाने की समस्या से निजात मिल सकती है. इस पुल के निर्माण के लिए राजनैतिक पार्टियों ने सिर्फ इसे सियासी मुद्दा बनाया है, लेकिन किसी ने भी इस दिशा में कोई काम नहीं किया. जिस कारण लोगों को आने-जाने में समस्या होती है, कई बार तो गंभीर हालत के मरीजों की मौत भी हो जाती है.
प्रतापनगर की प्रमुख समस्याएं....
- 14 सालों बाद भी डोबरा चांठी पुल का निर्माण न होना.
- 20 सालों के बाद भी टिहरी झील के आसपास के 415 परिवारों का विस्थापन न होना.
- प्रतापनगर को 5 साल से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी केंद्र की पिछड़ा और ओबीसी का दर्जा न मिलना.
- प्रतापनगर के अस्पतालों में डॉक्टरों का अभाव.
- आवागमन के लिए रोडवेज बस का न होना.
- लोगों को राशन मिलने में परेशानी होना.
- सड़क का घटिया निर्माण होने के कारण टूट जाना.