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साहसिक खेलों के शौकीनों के लिए अच्छी खबर, टिहरी झील में पैरासेलिंग बोट का सफल ट्रायल

टिहरी झील में पैरासेलिंग बोट का सफल ट्रायल हो गया है. फिलहाल एक माह तक ट्रायल के तौर पर निवेशक झील में पैरासेलिंग गतिविधि संचालित करेंगे. फाइनल रिपोर्ट के बाद झील में पैरासेलिंग की व्यवसायिक अनुमति दी जाएगी.

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टिहरी झील में पैरासेलिंग बोट का सफल ट्रायल
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Published : Feb 28, 2022, 7:27 PM IST

Updated : Feb 28, 2022, 7:37 PM IST

टिहरी: एशिया के सबसे बड़े टिहरी बांध की झील में पैरासेलिंग बोट का आज सफल ट्रायल हुआ. डीएम ईवा आशीष श्रीवास्तव के प्रयासों से गोवा की तर्ज पर टिहरी झील में पैरासेलिंग बोट उतारी गई है. झील में पैरासेलिंग बोट उतारे जाने के बाद स्थानीय वोट व्यवसायी और पर्यटक काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं. इस मौके पर ईटीवी भारत ने पैरासेलिंग बोट चालक से खास बातचीत की.

टिहरी झील में पैरासेलिंग बोट उतारे जाने के इस मौके पर लोगों ने कहा कि गर्मियों के समय पर टिहरी झील में हजारों की तादाद में पर्यटक पहुंचते हैं. ये पर्यटक टिहरी झील में बोटिंग, वाटर स्कूटी तमाम कई चीजों का आनंद लेते हैं. अब यहां पर आने वाले पर्यटक गोवा की तर्ज पर पैरासेलिंग बोट का भी आनंद ले सकेंगे.
पढ़ें- उत्तराखंडः पिछले 24 घंटे में 1 कोरोना संक्रमित की मौत, 66 नए मरीज मिले

वहीं, ये साहसिक खेलों के शौकीनों के लिए भी सुखद खबर है. आने वाले दिनों में पर्यटक और स्थानीय लोग टिहरी झील में पैरासेलिंग का लुत्फ लेकर रोमांच का सफर तय कर सकेंगे. इसके अलावा झील में इन दिनों शिकारा और क्रूज, हाउसबोट की असेंबलिंग का कार्य भी जोरों पर है. उत्तराखंड के निवेशक झील में इन कार्यों पर इनवेस्ट कर रहे हैं.

टिहरी बांध को विश्वस्तरीय पर्यटक गंतव्य बनाने के लिए सरकार ने इसे 13 डिस्ट्रिक्ट-13 डेस्टिनेशन में शामिल किया है. टिहरी झील में वर्तमान में 100 से अधिक सामान्य, और स्पीड बोट संचालित हो रही हैं. जिससे 500 से अधिक युवाओं को रोजगार मिल रहा है. अब सरकार ने झील में स्कूबा डाइविंग, जॉर्बिंग, पैरासेलिंग, शिकारा, क्रूज और हाउसबोट चलाने के लिए योजना बनाई है.
पढ़ें- कोरोना के कारण देहरादून की मलिन बस्तियों में गिरा शिक्षा का स्तर, ये है वजह

जिला पर्यटन अधिकारी अतुल भंडारी ने बताया कि पैरासेलिंग टेस्टिंग सफल रही है. पैरासेलिंग में प्रमुख रूप से हवा का दबाव और बोट की क्षमता को आंका जाता है. इस दृष्टि से दोनों ही प्रयोग सफल रहे हैं. उन्होंने बताया फिलहाल एक माह तक ट्रायल के तौर पर निवेशक झील में पैरासेलिंग गतिविधि संचालित करेंगे. फाइनल रिपोर्ट के बाद झील में पैरासेलिंग की व्यवसायिक अनुमति दी जाएगी.

टाडा के विपणन अधिकारी नवीन नेगी के अनुसार झील में पैरासेलिंग के लिए एक, शिकारा के लिए 3 और क्रूज के लिए एक आवेदन मिला है. इन सब पर कार्य चल रहा है. जिलाधिकारी ईवा आशीष श्रीवास्तव के अनुमोदन और रिपोर्ट के बाद ही झील में इनका संचालन किया जाएगा. पैरासेलिंग के निवेशक सूरज सिंह चौहान के अनुसार एक पैरासेलिंग पर करीब 90 लाख रुपये का इन्वेस्ट किया है. उम्मीद है कि ट्रायल के बाद लोग इसके रोमांच का लुत्फ उठा सकेंगे.
पढ़ें- यूक्रेन से सकुशल लौटीं कोटद्वार की विभूति और पायल, बयां किये युद्ध के हालात

क्या है पैरासेलिंग: पैरासेलिंग, जिसे पैरासेंडिंग के नाम से भी जाना जाता है, एक मनोरंजक गतिविधि है. जिसमें एक व्यक्ति को एक बोट के पीछे खींचा जाता है. बोट विशेष रूप से डिजाइन किए गए पैराशूट के साथ जुड़ी रहती है. जिसे पैरासेल कहते हैं. यह नाव पैरासेंलिंग करने वाले को हवा में उड़ाते हुए आगे बढ़ जाती है, अगर नाव पर्याप्त रूप से मजबूत है, तो 2-3 लोग इसके पीछे एक ही समय में पैरासेल कर सकते हैं. पैरासेलिंग करने वाले का पैराशूट पर न्यूनतम अथवा कोई नियंत्रण नहीं होता है.

टिहरी: एशिया के सबसे बड़े टिहरी बांध की झील में पैरासेलिंग बोट का आज सफल ट्रायल हुआ. डीएम ईवा आशीष श्रीवास्तव के प्रयासों से गोवा की तर्ज पर टिहरी झील में पैरासेलिंग बोट उतारी गई है. झील में पैरासेलिंग बोट उतारे जाने के बाद स्थानीय वोट व्यवसायी और पर्यटक काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं. इस मौके पर ईटीवी भारत ने पैरासेलिंग बोट चालक से खास बातचीत की.

टिहरी झील में पैरासेलिंग बोट उतारे जाने के इस मौके पर लोगों ने कहा कि गर्मियों के समय पर टिहरी झील में हजारों की तादाद में पर्यटक पहुंचते हैं. ये पर्यटक टिहरी झील में बोटिंग, वाटर स्कूटी तमाम कई चीजों का आनंद लेते हैं. अब यहां पर आने वाले पर्यटक गोवा की तर्ज पर पैरासेलिंग बोट का भी आनंद ले सकेंगे.
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वहीं, ये साहसिक खेलों के शौकीनों के लिए भी सुखद खबर है. आने वाले दिनों में पर्यटक और स्थानीय लोग टिहरी झील में पैरासेलिंग का लुत्फ लेकर रोमांच का सफर तय कर सकेंगे. इसके अलावा झील में इन दिनों शिकारा और क्रूज, हाउसबोट की असेंबलिंग का कार्य भी जोरों पर है. उत्तराखंड के निवेशक झील में इन कार्यों पर इनवेस्ट कर रहे हैं.

टिहरी बांध को विश्वस्तरीय पर्यटक गंतव्य बनाने के लिए सरकार ने इसे 13 डिस्ट्रिक्ट-13 डेस्टिनेशन में शामिल किया है. टिहरी झील में वर्तमान में 100 से अधिक सामान्य, और स्पीड बोट संचालित हो रही हैं. जिससे 500 से अधिक युवाओं को रोजगार मिल रहा है. अब सरकार ने झील में स्कूबा डाइविंग, जॉर्बिंग, पैरासेलिंग, शिकारा, क्रूज और हाउसबोट चलाने के लिए योजना बनाई है.
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जिला पर्यटन अधिकारी अतुल भंडारी ने बताया कि पैरासेलिंग टेस्टिंग सफल रही है. पैरासेलिंग में प्रमुख रूप से हवा का दबाव और बोट की क्षमता को आंका जाता है. इस दृष्टि से दोनों ही प्रयोग सफल रहे हैं. उन्होंने बताया फिलहाल एक माह तक ट्रायल के तौर पर निवेशक झील में पैरासेलिंग गतिविधि संचालित करेंगे. फाइनल रिपोर्ट के बाद झील में पैरासेलिंग की व्यवसायिक अनुमति दी जाएगी.

टाडा के विपणन अधिकारी नवीन नेगी के अनुसार झील में पैरासेलिंग के लिए एक, शिकारा के लिए 3 और क्रूज के लिए एक आवेदन मिला है. इन सब पर कार्य चल रहा है. जिलाधिकारी ईवा आशीष श्रीवास्तव के अनुमोदन और रिपोर्ट के बाद ही झील में इनका संचालन किया जाएगा. पैरासेलिंग के निवेशक सूरज सिंह चौहान के अनुसार एक पैरासेलिंग पर करीब 90 लाख रुपये का इन्वेस्ट किया है. उम्मीद है कि ट्रायल के बाद लोग इसके रोमांच का लुत्फ उठा सकेंगे.
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क्या है पैरासेलिंग: पैरासेलिंग, जिसे पैरासेंडिंग के नाम से भी जाना जाता है, एक मनोरंजक गतिविधि है. जिसमें एक व्यक्ति को एक बोट के पीछे खींचा जाता है. बोट विशेष रूप से डिजाइन किए गए पैराशूट के साथ जुड़ी रहती है. जिसे पैरासेल कहते हैं. यह नाव पैरासेंलिंग करने वाले को हवा में उड़ाते हुए आगे बढ़ जाती है, अगर नाव पर्याप्त रूप से मजबूत है, तो 2-3 लोग इसके पीछे एक ही समय में पैरासेल कर सकते हैं. पैरासेलिंग करने वाले का पैराशूट पर न्यूनतम अथवा कोई नियंत्रण नहीं होता है.

Last Updated : Feb 28, 2022, 7:37 PM IST
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