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भारी बारिश के बाद बह गया पुल, जान जोखिम में डाल गदेरा पार करने को मजबूर बच्चे - जान जोखिम में डाल गधेरा पार करने को मजबूर बच्चे

प्रताप नगर के पिपलोगी गांव में 3 दिन की लगातार बारिश के कारण 18 अगस्त को गदेरे उफान पर आ गए थे. इस कारण गांव का संपर्क मार्ग कट गया. वहीं स्कूली बच्चे इस गदेरे को पार कर स्कूल जाने को मजबूर हैं लेकिन प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

जान जोखिम में डाल गधेरा पार करने को मजबूर बच्चे.
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Published : Aug 28, 2019, 8:41 AM IST

प्रतापनगर: लगातार बारिश के बाद क्षेत्र के नदी नालों में पानी बढ़ गया, जिस कारण पिपलोगी गांव में बड़ा बरसाती गदेरा उफान पर आ गया था. इस गदेरे के उफान पर आने से गांव को जोड़ने वाला 50 साल पुराना एक पुल बह गया. हालांकि, इस गदेरे में पानी के कम होने के बाद स्थानीय लोगों के साथ स्कूली बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान न होने के कारण कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. प्रताप नगर के पिपलोगी गांव में 3 दिन की लगातार बारिश के कारण 18 अगस्त को गदेरे उफान पर आ गए थे.

जान जोखिम में डाल गदेरा पार कर रहे बच्चे.

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ग्रामीणों ने बताया कि गांव ऐसी जगह पर बसा हुआ है, जिसके नीचे जलकुर नदी, दाएं और बाएं से बरसाती गदेरे और गांव के ठीक ऊपर एक बड़ा पहाड़ है. सन 1991 में आए विनाशकारी भूकंप में इस पहाड़ में बड़ी दरारें पड़ गईं थीं, जिस कारण गांव में आज भी दहशत का माहौल बना हुआ है.

आपदाओं के कारण ग्रामीण वर्षों से गांव को विस्थापित करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने एक बार भूगर्भीय टीम को गांव में भेजकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया. वहीं, स्कूली बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर गदेरे को पार कर रहे हैं.

प्रतापनगर: लगातार बारिश के बाद क्षेत्र के नदी नालों में पानी बढ़ गया, जिस कारण पिपलोगी गांव में बड़ा बरसाती गदेरा उफान पर आ गया था. इस गदेरे के उफान पर आने से गांव को जोड़ने वाला 50 साल पुराना एक पुल बह गया. हालांकि, इस गदेरे में पानी के कम होने के बाद स्थानीय लोगों के साथ स्कूली बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान न होने के कारण कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. प्रताप नगर के पिपलोगी गांव में 3 दिन की लगातार बारिश के कारण 18 अगस्त को गदेरे उफान पर आ गए थे.

जान जोखिम में डाल गदेरा पार कर रहे बच्चे.

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ग्रामीणों ने बताया कि गांव ऐसी जगह पर बसा हुआ है, जिसके नीचे जलकुर नदी, दाएं और बाएं से बरसाती गदेरे और गांव के ठीक ऊपर एक बड़ा पहाड़ है. सन 1991 में आए विनाशकारी भूकंप में इस पहाड़ में बड़ी दरारें पड़ गईं थीं, जिस कारण गांव में आज भी दहशत का माहौल बना हुआ है.

आपदाओं के कारण ग्रामीण वर्षों से गांव को विस्थापित करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने एक बार भूगर्भीय टीम को गांव में भेजकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया. वहीं, स्कूली बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर गदेरे को पार कर रहे हैं.

Intro: जान जोखिम में डाल स्कूली बच्चे कर रहे हैं गधेरा पार प्रशासन इस ओर नहीं दे रहा है ध्यान घट सकती है कोई बड़ी दुर्घटना


Body: जान जोखिम में डाल स्कूली बच्चे कर रहे हैं बरसाती गधेरा पार। प्रशासन इस ओर नहीं दे रहा है ध्यान । घट सकती है कोई बड़ी दुर्घटना ।
मामला प्रताप नगर के पिपलोगी गांव का है जहां 3 दिन की लगातार भयानक बारिश के कारण 18 अगस्त को उफान पर आए बड़े बरसाती गधे रे ने 50 वर्ष पुराना गांव को एकमात्र जोड़ने वाला पुल बहा ले गया जिसके कारण स्कूली बच्चे कई दिन तक स्कूल नहीं आ पाए अब कुछ पानी कम होने पर बच्चे जान जोखिम में डालकर गधेरा पार कर रहे हैं 10 दिन बीत जाने के बाद भी शासन प्रशासन द्वारा अभी तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं बनाई जिससे बड़ी दुर्घटना हो सकती हैं साथ ही ग्रामीणों की मांग है की गांव ऐसी जगह पर बसा हुआ है जिसके नीचे जलकुर नदी दाएं और बाएं से बरसाती गधेरे और गांव के ठीक ऊपर से जो है एक बड़ा पहाड़ है जिसमें 91 में आए विनाशकारी भूकंप के कारण बड़ी दरारें पड़ी हुई है जिससे तब से लेकर अब तक ग्रामीण भय के माहौल में गांव में रह रहे हैं और आए दिन जलकुंर नदी का तांडव और बाएं से बरसाती गधेरे का तांडव और दाएं से भी बरसाती कादेरे के साथ-साथ जमीन का स्लाइड होना भी ग्रामीणों को मौत के साए में जीने को मजबूर कर रहा है इसके साथ साथ जलकुर नदी बरसाती गधों के तांडव से ग्रामीणों की लगभग 80% सिंचित भूमि अब तक बह चुकी है उत्तराखंड में जब भी कोई बड़ी आपदा आती है तो उस आपदा में इस गांव का नाम भी जरूर आता है क्योंकि यह नदी प्रतापनगर की सबसे बड़ी नदी है जो जलकुर नदी (गाड़ )के नाम से जानी जाती है इसके आसपास जो भी निर्माण या खेती होती है वह अपने साथ बहा ले जाती हैं जिसके कारण ग्रामीण वर्षों से इन आपदाओं को झेल रहे हैं व ग्रामीण गांव को विस्थापन की मांग कर रहे हैं कई बार ग्रामीणों ने शासन प्रशासन को इससे अवगत करवाया व लिखित मौखिक शासन-प्रशासन को विस्थापन की मांग की लेकिन शासन-प्रशासन ने एक बार भूगर्भीय टीम को गांव में भेज कर इतिश्री कर बस एक फॉर्मेलिटी पूरी कर मामले पर का संज्ञान लेने की जरूरत नहीं समझी ।


Conclusion: जान जोखिम में डाल बरसाती गधेरे को कर रहे हैं स्कूली बच्चे पार शासन प्रशासन नहीं दे रहा है इस ओर ध्यान घट सकती है कोई बड़ी दुर्घटना ग्रामीणों की है स्थापन की मांग।
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