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टिहरी झील का जलस्तर बढ़ाने को लेकर THDC को मिली अनुमति, सरकार के खिलाफ ग्रामीणों में रोष

उत्तराखंड सरकार ने टीएचडीसी को टिहरी झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर भरने की अनुमति देने पर ग्रामीण खफा हैं. उन्होंने कहा कि यदि टिहरी के आसपास के गांवों में भविष्य में कोई भी खतरा होता है तो इसकी जिम्मेदारी सरकार और टीएचडीसी की होगी.

tehri
टिहरी झील
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Published : Sep 3, 2021, 12:15 PM IST

Updated : Sep 4, 2021, 7:07 AM IST

टिहरी: प्रभावित ग्रामीणों के विरोध के बाद भी उत्तराखंड सरकार ने टीएचडीसी को टिहरी झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर भरने की अनुमति दे दी. जिससे टिहरी झील के आसपास बसे गांव के लोगों में आक्रोश बना हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि उत्तराखंड सरकार ने टीएसडीसी को टिहरी झील के जलस्तर 830 आरएल मीटर भरने की अनुमति गलत दी है. क्योंकि, टीएचडीसी के द्वारा अभी तक कई गांव का विस्थापन नहीं किया गया है. वहीं टीएचडीसी कई सालों से टिहरी झील के आसपास बसे गांव के विस्थापन करने के लिए आनाकानी करता रहा है. इसके बाद भी उत्तराखंड सरकार ने कंपनी को अनुमति दी है.

ग्रामीणों का कहना है कि उत्तराखंड सरकार को तब तक टिहरी झील का जलस्तर 830 आर एल मीटर भरने की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी. जब तक झील के किनारे बसे प्रभावित परिवारों का पुनर्वास नहीं हो जाता है. जबकि जैसे बारिश होती है या झील का जलस्तर घटता बढ़ता है तो टिहरी झील के आसपास बसे गांव की जमीनों में कटाव भूस्खलन हो जाता है और गांव के लोग डर के साये में जीने को मजबूर हैं.

पढ़ें-हरीश रावत ने जताई आशंका, बोले- परिवर्तन यात्रा में किसी नेता पर फेंका जा सकता है तेजाब

वहीं, उत्तराखंड सरकार ने ग्रामीणों की परेशानियों को दरकिनार करते हुए फिर भी टीएसडीसी को टिहरी झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर भरने की अनुमति दे दी. सरकार के द्वारा अनुमति देने पर ग्रामीण खफा हैं. ग्रामीणों ने साफ-साफ कहा है कि अगर झील का जलस्तर बढ़ने से कहीं ना कहीं झील के आसपास बसे गांव को खतरा पैदा हो गया है और भविष्य में अगर इन गांव में कोई भी खतरा या जन हानि होती है तो इसके जिम्मेदार उत्तराखंड सरकार और टीएसडीसी होंगे.

पढ़ें-काशीपुर: हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना, अवैध बसागत जोरों पर

टिहरी जिलाधिकारी ईवा आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि टिहरी डैम का जो डिजाइन लेबल है 830 मीटर तक भरने का है और कई प्रकरण मुआवजे से सम्बंधित थे. जो डिसाइड नहीं हुए थे, लेकिन अब उसमें सहमति बन गई है और उत्तराखंड शासन के द्वारा टीएचडीसी को इस कंडीशन में सहमति दी गई की टीएसडीसी ग्रामीणों के मुआवजे विस्थापन में मदद करेगी. जलस्तर बढ़ने के बाद जो जनहानि या नुकसान भूस्खलन आदि की घटना होती है तो उसका भरपाई करेगी. इन्हीं शर्तों के आधार पर शासन के द्वारा अनुमति दी गई है.

वहीं टीएचडीसी के अधिकारियों का कहना है कि जलस्तर बढ़ने से विद्युत उत्पादन बढ़ेगा और टीएचडीसी के साथ ही सरकार को भी राजस्व मिलेगा. डीएम ईवा आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि 25 अगस्त को सचिव सिंचाई हरीशचंद्र सेमवाल की ओर से जारी आदेश में टीएचडीसी को बांध का जल स्तर दो मीटर बढ़ाने की अनुमति दे दी है. इस फैसले से टिहरी बांध आंशिक डूब क्षेत्र संघर्ष समिति, भटकंडा, रौलाकोट सहित अन्य गांव के लोगों में रोष बना हुआ है. समिति के अध्यक्ष सोहन सिंह राणा, प्रदीप भट्ट ने बताया कि बांध विस्थापितों का प्राथमिकता के साथ पुनर्वास और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए. वहीं इस मामले में वह सोमवार को पुनर्वास निदेशक से वार्ता करेंगे. रौलाकोट निवासी अरविंद प्रसाद नौटियाल का कहना है कि जलस्तर बढ़ाने का मामला शासन और टीएचडीसी का है. उनकी मांग है कि पूरे गांव को एक ही पुनर्वास स्थल पर विस्थापन किया जाए.

टिहरी: प्रभावित ग्रामीणों के विरोध के बाद भी उत्तराखंड सरकार ने टीएचडीसी को टिहरी झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर भरने की अनुमति दे दी. जिससे टिहरी झील के आसपास बसे गांव के लोगों में आक्रोश बना हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि उत्तराखंड सरकार ने टीएसडीसी को टिहरी झील के जलस्तर 830 आरएल मीटर भरने की अनुमति गलत दी है. क्योंकि, टीएचडीसी के द्वारा अभी तक कई गांव का विस्थापन नहीं किया गया है. वहीं टीएचडीसी कई सालों से टिहरी झील के आसपास बसे गांव के विस्थापन करने के लिए आनाकानी करता रहा है. इसके बाद भी उत्तराखंड सरकार ने कंपनी को अनुमति दी है.

ग्रामीणों का कहना है कि उत्तराखंड सरकार को तब तक टिहरी झील का जलस्तर 830 आर एल मीटर भरने की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी. जब तक झील के किनारे बसे प्रभावित परिवारों का पुनर्वास नहीं हो जाता है. जबकि जैसे बारिश होती है या झील का जलस्तर घटता बढ़ता है तो टिहरी झील के आसपास बसे गांव की जमीनों में कटाव भूस्खलन हो जाता है और गांव के लोग डर के साये में जीने को मजबूर हैं.

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वहीं, उत्तराखंड सरकार ने ग्रामीणों की परेशानियों को दरकिनार करते हुए फिर भी टीएसडीसी को टिहरी झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर भरने की अनुमति दे दी. सरकार के द्वारा अनुमति देने पर ग्रामीण खफा हैं. ग्रामीणों ने साफ-साफ कहा है कि अगर झील का जलस्तर बढ़ने से कहीं ना कहीं झील के आसपास बसे गांव को खतरा पैदा हो गया है और भविष्य में अगर इन गांव में कोई भी खतरा या जन हानि होती है तो इसके जिम्मेदार उत्तराखंड सरकार और टीएसडीसी होंगे.

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टिहरी जिलाधिकारी ईवा आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि टिहरी डैम का जो डिजाइन लेबल है 830 मीटर तक भरने का है और कई प्रकरण मुआवजे से सम्बंधित थे. जो डिसाइड नहीं हुए थे, लेकिन अब उसमें सहमति बन गई है और उत्तराखंड शासन के द्वारा टीएचडीसी को इस कंडीशन में सहमति दी गई की टीएसडीसी ग्रामीणों के मुआवजे विस्थापन में मदद करेगी. जलस्तर बढ़ने के बाद जो जनहानि या नुकसान भूस्खलन आदि की घटना होती है तो उसका भरपाई करेगी. इन्हीं शर्तों के आधार पर शासन के द्वारा अनुमति दी गई है.

वहीं टीएचडीसी के अधिकारियों का कहना है कि जलस्तर बढ़ने से विद्युत उत्पादन बढ़ेगा और टीएचडीसी के साथ ही सरकार को भी राजस्व मिलेगा. डीएम ईवा आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि 25 अगस्त को सचिव सिंचाई हरीशचंद्र सेमवाल की ओर से जारी आदेश में टीएचडीसी को बांध का जल स्तर दो मीटर बढ़ाने की अनुमति दे दी है. इस फैसले से टिहरी बांध आंशिक डूब क्षेत्र संघर्ष समिति, भटकंडा, रौलाकोट सहित अन्य गांव के लोगों में रोष बना हुआ है. समिति के अध्यक्ष सोहन सिंह राणा, प्रदीप भट्ट ने बताया कि बांध विस्थापितों का प्राथमिकता के साथ पुनर्वास और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए. वहीं इस मामले में वह सोमवार को पुनर्वास निदेशक से वार्ता करेंगे. रौलाकोट निवासी अरविंद प्रसाद नौटियाल का कहना है कि जलस्तर बढ़ाने का मामला शासन और टीएचडीसी का है. उनकी मांग है कि पूरे गांव को एक ही पुनर्वास स्थल पर विस्थापन किया जाए.

Last Updated : Sep 4, 2021, 7:07 AM IST
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