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गंगा दशहरा: सुरकंडा देवी के मंदिर में हुई विशेष पूजा-अर्चना, चढ़ाया गया झंडा - सुरकंडा में गंगा दशहरा.

सिद्धपीठ सुरकंडा में कोरोना के चलते सूक्ष्म रूप में गंगा दशहरा मनाया गया. सुरकंडा देवी के मंदिर में झंडा चढ़ाकर लोगों की खुशहाली की कामना की गई.

Ganga Dussehra in Surkanda
सुरकंडा में गंगा दशहरा
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Published : Jun 20, 2021, 5:17 PM IST

Updated : Jun 20, 2021, 6:19 PM IST

धनोल्टी: वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण का धार्मिक स्थलों पर भारी असर पड़ा है. जिससे इसका असर सिद्धपीठ सुरकंडा मंदिर में गंगा दशहरे पर भी देखने को मिला. प्रतिवर्ष होने वाले गंगा दशहरा के अवसर पर सिद्धपीठ सुरकंडा मेले का आयोजन किया जाता था. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष गंगा दशहरा सूक्ष्म रूप में मनाया गया.

सिद्धपीठ सुरकंडा मंदिर के बारे में वर्णित है कि राजा दक्ष प्रजापति के यज्ञ भंग होने के बाद, भगवान शंकर मां सती के शरीर को लेकर जब कैलाश की ओर जा रहे थे तो सती का सिर शक्तिपीठ सुरकंडा पर गिरने से श्रीखंड (सरखंड) सुरकूट पर्वत (सुरकंडा पर्वत) पर गिरा. टिहरी जिले के चंबा-मसूरी मोटरमार्ग पर कद्दूखाल पर्वत चोटी पर स्थित सुरकंडा देवी मंदिर में प्राकृतिक जल स्रोत है. कहा जाता है कि मां गंगा जब धरती पर आई तो जल का एक बूंद इस स्थान पर गिरा था.

सुरकंडा देवी के मंदिर में हुई विशेष पूजा-अर्चना.

स्रोत के जल के बारे में कहा जाता है कि इसका पवित्र जल वर्षों तक रखने के बाद भी खराब नहीं होता है. इसी कारण गंगा दशहरा के अवसर पर मंदिर में प्रतिवर्ष गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है. गंगा दशहरा के दिन सुरकंडा देवी के मायके जरदार गाँव के लोगों के द्वारा पहली भेंट चढाई जाती है.

पढ़ें- गंगा दशहरा: गंगोत्री धाम में हुई मां गंगा की विशेष पूजा, कोरोना से मुक्ति की कामना

मंदिर समिति के सदस्य जीत सिह ने बताया कि कोरोना के चलते इस वर्ष गंगा दशहरा को सूक्ष्म रूप से मनाया गया है. उन्होंने कहा कि गंगा दशहरा के अवसर पर मां के मायके कह जाने वाले जरदार गांव के कुछ लोगों के साथ पुजाल्डी के पुजारियों और मन्दिर समिति के लोगों के द्वारा विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर गंगा दशहरा की रस्म पूरी की गई.

धनोल्टी: वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण का धार्मिक स्थलों पर भारी असर पड़ा है. जिससे इसका असर सिद्धपीठ सुरकंडा मंदिर में गंगा दशहरे पर भी देखने को मिला. प्रतिवर्ष होने वाले गंगा दशहरा के अवसर पर सिद्धपीठ सुरकंडा मेले का आयोजन किया जाता था. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष गंगा दशहरा सूक्ष्म रूप में मनाया गया.

सिद्धपीठ सुरकंडा मंदिर के बारे में वर्णित है कि राजा दक्ष प्रजापति के यज्ञ भंग होने के बाद, भगवान शंकर मां सती के शरीर को लेकर जब कैलाश की ओर जा रहे थे तो सती का सिर शक्तिपीठ सुरकंडा पर गिरने से श्रीखंड (सरखंड) सुरकूट पर्वत (सुरकंडा पर्वत) पर गिरा. टिहरी जिले के चंबा-मसूरी मोटरमार्ग पर कद्दूखाल पर्वत चोटी पर स्थित सुरकंडा देवी मंदिर में प्राकृतिक जल स्रोत है. कहा जाता है कि मां गंगा जब धरती पर आई तो जल का एक बूंद इस स्थान पर गिरा था.

सुरकंडा देवी के मंदिर में हुई विशेष पूजा-अर्चना.

स्रोत के जल के बारे में कहा जाता है कि इसका पवित्र जल वर्षों तक रखने के बाद भी खराब नहीं होता है. इसी कारण गंगा दशहरा के अवसर पर मंदिर में प्रतिवर्ष गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है. गंगा दशहरा के दिन सुरकंडा देवी के मायके जरदार गाँव के लोगों के द्वारा पहली भेंट चढाई जाती है.

पढ़ें- गंगा दशहरा: गंगोत्री धाम में हुई मां गंगा की विशेष पूजा, कोरोना से मुक्ति की कामना

मंदिर समिति के सदस्य जीत सिह ने बताया कि कोरोना के चलते इस वर्ष गंगा दशहरा को सूक्ष्म रूप से मनाया गया है. उन्होंने कहा कि गंगा दशहरा के अवसर पर मां के मायके कह जाने वाले जरदार गांव के कुछ लोगों के साथ पुजाल्डी के पुजारियों और मन्दिर समिति के लोगों के द्वारा विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर गंगा दशहरा की रस्म पूरी की गई.

Last Updated : Jun 20, 2021, 6:19 PM IST
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