टिहरीः चंबा पुलिस लाइन में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है. इसके अलावा सेम मुखेम से लेकर नई टिहरी, घनसाली, प्रताप नगर, नरेंद्र नगर में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम है. टिहरी में आयोजित कृष्ण जन्मोत्सव कार्यक्रम में बच्चों ने राधा-कृष्ण बनकर लोगों का मन मोहा. साथ ही बाल कृष्ण की झांकी भी निकाली गई. वहीं, कई जगहों पर रात्रि जागरण के साथ ही भजन संध्या का आयोजन भी किया गया.
टिहरी पुलिस अधीक्षक नवनीत भुल्लर (Tehri SP Navneet Bhullar) ने कहा कि कई सालों से पुलिस लाइन चंबा (Chamba Police Line) में पुलिसकर्मी के परिवार श्री कृष्ण जन्माष्टमी कार्यक्रम का आयोजन करते आ रहे हैं. इस बार भी यह कार्यक्रम मनाया गया. वहीं, कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय (Tehri MLA Kishore Upadhyay) ने कहा कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर टिहरी जिले का अपना ही महत्व है. यह महत्व सेम मुखेम की वजह से है. जन्माष्टमी पर दूरदराज से लोग सेम मुखेम के मंदिर में आते हैं. जिसकी महिमा दूर-दूर तक है.
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सेम मुखेम नागराजा मंदिर की महिमाः बता दें कि टिहरी जिले में सेम मुखेम नागराजा मंदिर (Sem Mukhem Nagraj Temple) स्थित है. यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है. इस मंदिर की महत्ता ही है कि यहां साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. माना जाता है कि द्वारिका के डूबने के बाद भगवान श्रीकृष्ण नागराजा के रूप में यहीं प्रकट हुए थे. यहां पर शिलाएं गाय के खुर के रूप में भी मौजूद हैं.
कहते हैं अगर मनुष्य की कुंडली में काल सर्पयोग हो तो वह अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है. लेकिन पुराणों में इस काल सर्प दोष से मुक्ति की युक्ति भी है. उत्तराखंड के टिहरी जिले के सेम मुखेम नागराजा मंदिर में आने से कुंडली में इस योग का समाधान हो जाता है. यहां भगवान श्रीकृष्ण साक्षात नागराज के रूप में विराजमान हैं.
मान्यता है कि द्वापर युग में कालिंदी नदी में जब बाल स्वरूप भगवान श्रीकृष्ण गेंद लेने उतरे तो उन्होंने इस कालिया नाग को इस नदी से सेम मुखेम जाने को कहा. तब कालिया नाग ने भगवान श्रीकृष्ण से सेम मुखेम आकर दर्शन देने की इच्छा जाहिर की. कहते हैं इस वचन को पूरा करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण द्वारिका छोड़कर उत्तराखंड के रमोला गढ़ी में आकर स्थापित हो गए. जो आज सेम मुखेम नागराजा मंदिर के नाम से जाना जाता है.
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सेम मुखेम नागराजा मंदिर को उत्तराखंड का 5वां धाम भी कहा जाता है. मंदिर के पुजारी का कहना है कि यहां पर भगवान श्रीकृष्ण नागराजा के रूप में साक्षात विराजमान हैं. मान्यता है कि द्वारिका के डूबने के बाद भगवान श्रीकृष्ण उत्तराखंड में नागराजा के रूप में प्रकट हुए थे. उनके नागराजा रूप को सेम मुखेम में पूजा जाता है. इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण भी डांडा नागराजा (पौड़ी) चले गए, लेकिन वह स्थान उन्हें रास नहीं आया. इसके बाद वे पवित्र धाम सेम मुखेम पहुंचे.