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Ground Report: टिहरी की जनता बोली- जहां नहीं पहुंच पाते बंदर वहां पहुंच जाते हैं नेता, चुनाव बाद हो जाते हैं गायब

सड़क मार्ग की दूरी कम करने के लिए टिहरी झील पर डोबरा-चांठी पुल बनाया जा रहा है, लेकिन आप को जानकर हैरानी होगी कि निर्माणाधीन डोबरा-चांठी पुल पिछले 14 सालों से सियासी मुद्दा बनकर रह गया है.

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Published : Mar 30, 2019, 9:05 PM IST

Updated : Mar 30, 2019, 9:11 PM IST

ग्राउंड रिपोर्ट

टिहरी: सभी पार्टियों के दिग्गज 2019 के चुनावी महासंग्राम में उतर चुके हैं. सभी नेता अपने तरकस से सियासी तीर छोड़ने में लगे हुए हैं. विपक्ष जहां राफेल और चौकीदार चोर के नारे के सहारे केंद्र सरकार को घेरने में लगा हुआ है तो वहीं सत्ताधारी पार्टी चौकीदार के दम पर अपने आप को फिर से सत्ता पर काबिज करने की कवायद में जुटी हुई है. लेकिन इन सब के बीच उत्तराखंड में स्थानीय मुद्दे गौण है.

Etv Bharat से टिहरी की जनता ने बयां किया दर्द.

पढ़ें-खर्च का ब्यौरा देने के लिए बुलाई गई प्रत्याशियों की बैठक, नदारद रहने वालों को भेजा गया नोटिस

उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीट पर 11 अप्रैल को मतदान होना है. सभी प्रत्याशी वोटरों को लुभाने के लिए उनके बीच पहुंचे रहे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम भी जनता के बीच पहुंची और उनकी समस्याओं को सुना. ईटीवी भारत ने टिहरी लोकसभा क्षेत्र के प्रतापनगर का रुख किया और यहां के लोगों की समस्याओं को जाना. बता दें कि गढ़वाल टिहरी लोकसभा सीट से बीजेपी की निर्वतमान सांसद राज्यलक्ष्मी शाह हैं. इस बार भी वो मैदान में हैं. वहीं उनके खिलाफ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह चुनावी मैदान में हैं.

नाव के सहारे 100 गांव
ईटीवी भारत की टीम सबसे पहले कोटी कॉलोनी पहुंची, जहां टीम नाव से प्रतापनगर तहसील गई. प्रतापनगर तहसील के अंतर्गत 100 से ज्यादा गांव आते हैं. जिन्हें जिला मुख्यालय टिहरी तक आने के लिए रोजाना इसी नाव का सहारा लेना पड़ता है. सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक ये नाव दिन में तीन बार आती-जाती है. रविवार को ये नाव बंद रहती है. इस दौरान यदि किसी ग्रामीण या फिर प्रतापनगर के स्थानीय निवासी को कुछ जरूरी काम से जिला मुख्यालय टिहरी जाने पड़े तो उसके लिए घनसाली या पिपल डाली पुल से होकर जाना पड़ता है. जिसके लिए उसे 85 किमी का लंबा सफर तय करना पड़ता है.

पढ़ें-कांग्रेस प्रदेश प्रभारी ने खोला राज, इस वजह से हरीश रावत को हरिद्वार से नहीं मिला टिकट

14 सालों से अधर में लटका पुल निर्माण का कार्य
सड़क मार्ग की दूरी कम करने के लिए टिहरी झील पर डोबरा-चांठी पुल बनाया जा रहा है, लेकिन आप को जानकर हैरानी होगी कि निर्माणाधीन डोबरा-चांठी पुल पिछले 14 सालों से सियासी मुद्दा बनकर रह गया है. डोबरा-चांठी पुल का निर्माण कार्य 2005 में शुरू हुआ था, जो आजतक पूरा नहीं हुआ. इस पुल के बनने से प्रतापनगर से टिहरी की दूरी मात्र 22 किमी रह जाएगी.

नाव से सफर करने वाले कुछ लोगों ने बात करते हुए सरकार के खिलाफ नाराजगी दिखाई. उनका कहना था कि चुनाव के समय तो नेता पहाडो़ं में ऐसी जगह पर भी पहुंच जाते हैं जहां कभी बंदर भी नहीं जा पाते और चुनाव खत्म होते वो 5 सालों को तक उन इलाके में नजर भी नहीं आते हैं. कुछ ग्रामीणों का कहना है कि झील में कभी भी लहर आने का खतरा बना रहता है. ऐसे में स्थानीय जान जोखिम में डालकर सफर करते है.

टिहरी: सभी पार्टियों के दिग्गज 2019 के चुनावी महासंग्राम में उतर चुके हैं. सभी नेता अपने तरकस से सियासी तीर छोड़ने में लगे हुए हैं. विपक्ष जहां राफेल और चौकीदार चोर के नारे के सहारे केंद्र सरकार को घेरने में लगा हुआ है तो वहीं सत्ताधारी पार्टी चौकीदार के दम पर अपने आप को फिर से सत्ता पर काबिज करने की कवायद में जुटी हुई है. लेकिन इन सब के बीच उत्तराखंड में स्थानीय मुद्दे गौण है.

Etv Bharat से टिहरी की जनता ने बयां किया दर्द.

पढ़ें-खर्च का ब्यौरा देने के लिए बुलाई गई प्रत्याशियों की बैठक, नदारद रहने वालों को भेजा गया नोटिस

उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीट पर 11 अप्रैल को मतदान होना है. सभी प्रत्याशी वोटरों को लुभाने के लिए उनके बीच पहुंचे रहे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम भी जनता के बीच पहुंची और उनकी समस्याओं को सुना. ईटीवी भारत ने टिहरी लोकसभा क्षेत्र के प्रतापनगर का रुख किया और यहां के लोगों की समस्याओं को जाना. बता दें कि गढ़वाल टिहरी लोकसभा सीट से बीजेपी की निर्वतमान सांसद राज्यलक्ष्मी शाह हैं. इस बार भी वो मैदान में हैं. वहीं उनके खिलाफ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह चुनावी मैदान में हैं.

नाव के सहारे 100 गांव
ईटीवी भारत की टीम सबसे पहले कोटी कॉलोनी पहुंची, जहां टीम नाव से प्रतापनगर तहसील गई. प्रतापनगर तहसील के अंतर्गत 100 से ज्यादा गांव आते हैं. जिन्हें जिला मुख्यालय टिहरी तक आने के लिए रोजाना इसी नाव का सहारा लेना पड़ता है. सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक ये नाव दिन में तीन बार आती-जाती है. रविवार को ये नाव बंद रहती है. इस दौरान यदि किसी ग्रामीण या फिर प्रतापनगर के स्थानीय निवासी को कुछ जरूरी काम से जिला मुख्यालय टिहरी जाने पड़े तो उसके लिए घनसाली या पिपल डाली पुल से होकर जाना पड़ता है. जिसके लिए उसे 85 किमी का लंबा सफर तय करना पड़ता है.

पढ़ें-कांग्रेस प्रदेश प्रभारी ने खोला राज, इस वजह से हरीश रावत को हरिद्वार से नहीं मिला टिकट

14 सालों से अधर में लटका पुल निर्माण का कार्य
सड़क मार्ग की दूरी कम करने के लिए टिहरी झील पर डोबरा-चांठी पुल बनाया जा रहा है, लेकिन आप को जानकर हैरानी होगी कि निर्माणाधीन डोबरा-चांठी पुल पिछले 14 सालों से सियासी मुद्दा बनकर रह गया है. डोबरा-चांठी पुल का निर्माण कार्य 2005 में शुरू हुआ था, जो आजतक पूरा नहीं हुआ. इस पुल के बनने से प्रतापनगर से टिहरी की दूरी मात्र 22 किमी रह जाएगी.

नाव से सफर करने वाले कुछ लोगों ने बात करते हुए सरकार के खिलाफ नाराजगी दिखाई. उनका कहना था कि चुनाव के समय तो नेता पहाडो़ं में ऐसी जगह पर भी पहुंच जाते हैं जहां कभी बंदर भी नहीं जा पाते और चुनाव खत्म होते वो 5 सालों को तक उन इलाके में नजर भी नहीं आते हैं. कुछ ग्रामीणों का कहना है कि झील में कभी भी लहर आने का खतरा बना रहता है. ऐसे में स्थानीय जान जोखिम में डालकर सफर करते है.

Intro:42 वर्ग किलोमीटर तक फैली टिहरी झील के ऊपर नाव में बेठकर ई टीवी भारत ने ग्रामीणो से बात चीत

टिहरी झील की ऊपर जान जोखिम में डालकर नाव से सफर करने वाले प्रतापनगर के ग्रामीणों ने राजनीति दलो लर लगाया उपेक्षा का आरोप,

ग्रामीणों ने कह चुनाव के समय बोट माँगने घर घर पहुंचते है पार्टी के समर्थक और उमीदवार,

जीतने के बाद अपने ए सी रूम ए सी गाड़ी से बाहर निकलने की जरूरत नही समझते,जिस जनता ने उन्हे जीता कर भेज वह जनता कितनी परेशानियों में जी रही है


Body: ईटीवी भारत आज निकला है प्रताप नगर की जनता की समस्याओं को जानने के लिए कि वह कितनी समस्याओं से जूझ रही है ऐसे में ईटीवी भारत ने टिहरी गढ़वाल जिले के कोटी कॉलोनी में लगी टिहरी झील के ऊपर नाव में जाकर ग्रामीणों का दुख दर्द जाना इस दौरान ग्रामीणों ने दोनों राजनीतिक दलों पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए गुस्सा जताया और कहा कि जब चुनाव का समय होता है उस दौरान राजनीतिक दलों के प्रत्याशी व उनके समर्थक पहाड़ों के दूर दूर तक बस एक एक गांव में एक एक घर पर जाकर वोट मांगते हैं और जब जीत जाते हैं तो उसके बाद यह 5 साल तक मुड़ कर नहीं आते और ना ही जनता की समस्याओं से उनका कोई वास्ता रहता है ग्रामीणों ने राजनीतिक दलों पर यह भी आरोप लगाया कि जब यह जीतते हैं तो वह उसके बाद सिर्फ अपने एसी रूम और ऐसी गाड़ियों और ठाट बाट में मशगूल हो जाते हैं

प्रतापनगर के लोग 2005 में टिहरी बांध की झील बननी शुरू हुई उस समय से लेकर आज तक प्रतापनगर के लोग का आवागमन टिहरी झील के ऊपर लगी नाव से जान जोखिम में डालकर करना पड़ा है लेकिन कांग्रेस और भाजपा दोनों की सरकार आई लेकिन किसी ने प्रताप नगर की जनता का दर्द नहीं समझा और इनके लिए आने जाने के लिए कोई पुल नहीं बनाया जिस कारण आज भी टिहरी झील के आसपास बसे गांव के लोग जान जोखिम में डालकर नाव से सफर करने को मजबूर हैं

ग्रामीणों ने कहा कि हमें यह नहीं पता होता है कि जब हम नाव में बैठते हैं और आते जाते हैं उस समय टिहरी झील के ऊपर लहरें बहुत आती हैं और यह मालूम नहीं होता है कि हम घर पहुंच भी पाएंगे या नहीं

हम भगवान भरोसे नाव के ऊपर बैठकर अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचते हैं परंतु इन राजनीतिक दलों के लोगों को जनता के दुख दर्द का कोई एहसास नहीं होता इनको सिर्फ जनता वोट के लिए दिखती है


Conclusion: ग्रामीणों ने कहा कि भाजपा की सरकार भी आए और कांग्रेस की सरकार भी आई लेकिन दोनों सरकारों ने अभी तक प्रताप नगर आने जाने के लिए डोबरा चांटी पुल का निर्माण नहीं करवा सकी जिस कारण प्रताप नगर के लोगों को टिहरी झील के ऊपर 14 सालों से नाव के ऊपर जान जोखिम में डालकर अपने गंतव्य स्थान तक आते जाते हैं जब सुबह शाम टिहरी झील में तेज लहरों के कारण लोगो को जान जोख़िम में डालकर कोटि कालोनी तक आना जाना पड़ता है,

ईटीवी भारत ने टिहरी झील के ऊपर नाव में बैठकर हकीकत जाननी चाहिए तो ग्रामीणों की बात में सच्चाई दिखी और ग्रामीणों का गुस्सा राजनीतिक दलों के प्रति जायज था नाव में बैठे लोग इतने गुस्से में थे कि उन्होंने ईटीवी भारत के कैमरे में राजनीतिक दलों के प्रति अपने गुस्से का इजहार किया

2005 में टिहरी बांध की झील बनने शुरू हुई और इस झील में प्रताप नगर आने जाने के लिए भलड़ियाना सहित 17 छोटे बड़े पुल टिहरी झील में डूब गए तब से लेकर आज तक टिहरी झील के आस पास बसे 100 से अधिक गाव के लोग रौलकोट से कोटि ओर कोटि से गडोली नोताड कंगसलि नकोट चांठी आदि जगहो पर नाव से जान जोखिम में डालकर आते जाते है

गाव के लोगो ने कहा कि इस बार का चुनाव में जो भी राजनीतिक दलों के समर्थक या प्रत्याशी गांव में आएंगे तो उन पर सवालों की बौछार की जाएगी कि इन 14 ,15 सालों में प्रताप नगर के लोगों
के लिए रास्ता पुल क्यों नहीं बन पाया क्या इस बार भी चुनाव जीतकर जनता को बेवकूफ बनाकर ऐसी गाड़ी और ऐसी कमरा में रहेंगे,



1टू1 टिहरी झील के ऊपर नाव में बेठकर ग्रामीणो से बात चीत

इस न्यूज़ के विसुअल लाइव यु से भेज रहा हु




Last Updated : Mar 30, 2019, 9:11 PM IST
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