टिहरी/देहरादून: ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर चंबा में मंदिर के नीचे खोली गई शराब की दुकान इन दिनों चर्चा का केंद्र बनी हुई है. सोशल मीडिया पर इस पर जमकर बहस हो रही है. वहीं, मामले के सुर्खियों में आने के बाद धार्मिक आस्था रखने वाले लोग इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं. सभी लोग जिला आबकारी विभाग के उस अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं जिसने दुकान खोलने से पहले जिला प्रशासन को गलत रिपोर्ट दी.
बता दें आबकारी नीति में साफ है कि शराब की दुकान के नजदीक स्कूल, मंदिर, धार्मिक स्थल इत्यादि नहीं होने चाहिए. लेकिन चंबा में जिस बिल्डिंग में शराब की दुकान खोली गई है. वहां ऊपर मंदिर है. इसी शराब की दुकान के आगे से चार धाम की यात्रा पर आने-जाने वाले यात्री गुजरते है.
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विवादों में रहे आबकारी निरीक्षक नरेंद्र
इससे पहले भी चंबा में रहने वाले आबकारी निरीक्षक नरेंद्र विवादों में रहे हैं. जिन्होंने यह रिपोर्ट पेश की है. रुड़की में वर्ष 2018 में जहरीली शराब कांड के समय नरेंद्र की नियुक्ति रुड़की में थी. इस कांड में 44 लोगों की मौत हुई थी. इस मामले में नरेंद्र पर आरोप थे कि स्थानीय लोग अवैध शराब बनाने की शिकायत उनसे करते थे लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की, जिस कारण इतना बड़ा कांड हुआ.
वहीं, दूसरी ओर आम आदमी पार्टी भी इस मुद्दे को लेकर मुखर हो गई है. आम आदमी पार्टी ने चंबा में मंदिर परिसर के साथ शराब की दुकान खोले जाने पर भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया है.आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी दिनेश मोहनिया ने चंबा में मंदिर परिसर के साथ शराब की दुकान खोले जाने की परमिशन पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है जो उत्तराखंड सरकार धर्म और आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही है. उन्होंने कहा कि चंबा की एक सरकारी शराब की दुकान की तस्वीर अपने आप में इस बात की तस्दीक कर रही है. आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी ने तत्काल इस मामले में कार्रवाई की मांग उठाई है.
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दिनेश मोहनिया का कहना है कि उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है, यहां सरकार देवस्थानम बोर्ड के जरिए पहले तो तीर्थ पुरोहितों के हक हकूकों के साथ खिलवाड़ कर चुकी है, जिसके लिए तीर्थ पुरोहित लंबे समय से आंदोलन भी कर रहे हैं, लेकिन सरकार बोर्ड को भंग करने की बजाय उस पर पुनर्विचार की बात कहकर तीर्थ पुरोहितों के साथ छलावा कर रही है.