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फिर तीसरी बार राजनीतिक मुद्दा बना डोबरा चांठी पुल, नेता आश्वासनों पर बनवा रहे ब्रीज

टिहरी झील के ऊपर बन रहा डोबरा चांठी पुल एक बार फिर लोकसभा चुनाव में तीसरी बार राजनीतिक मुद्दा बन गया है. पुल के तैयार ना होने से स्थानीय लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. जनप्रतिनिधि गण मुद्दा बनाकर इसे भुनाने में जुटे हैं.

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Published : Mar 23, 2019, 9:38 PM IST

डोबरा चांठी पुल पर राजनीति

टिहरीः टिहरी झील के ऊपर बना डोबरा चांठी पुल एक बार फिर लोकसभा चुनाव आते ही सुर्खियों में आ गया है. ये पुल लगातार राजनीतिक दलों का सियासी मुद्दा बना हुआ है. दो लोकसभा चुनाव बीत जाने के बाद भी अबतक पुल तैयार नहीं हो पाया है. अब तीसरा लोकसभा चुनाव होने जा रहा है. ऐसे में प्रतापनगर समेत कई गावों की जनता कयास लगा रही है कि इस बार पुल तैयार हो जाएगा. वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां के जनप्रतिनिधि आश्वासन देने के अलावा कुछ नहीं करते हैं. एक बार फिर चुनाव आते ही इसे मुद्दा बना रहे हैं.

जानकारी देते स्थानीय लोग.


गौर हो कि टिहरी और प्रताप नगर की तीन लाख आबादी को जोड़ने वाला डोबरा चांठी पुल बीते 2005 से निर्माणाधीन है. इस पुल की लंबाई करीब 440 मीटर है. जिस पर 247 मीटर अलग से फ्लाईओवर बनाया जाएगा. वहीं, समुद्र तल से 834 मीटर ऊंचाई पर स्थित है. अबतक इस पुल पर 350 करोड़ से ज्यादा धनराशि खर्च हो चुके हैं, बावजूद इसके अभी तक पुल तैयार नहीं हो पाया है. इतना ही नहीं अब तक दो लोकसभा चुनाव बीत चुके हैं और तीसरा लोकसभा चुनाव होने जा रहा है. पुल के तैयार ना होने से स्थानीय लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.

ये भी पढे़ंःअनुमति से अधिक गाड़ी लेकर पहुंचे बसपा नेता को आयोग ने थमाया नोटिस, 3 दिन में देना होगा जवाब


इस पुल को शुरू में चंडीगढ़ की एक कंपनी ने बनाना शुरू किया था. बजट ना होने के कारण संबंधित कंपनी ने काम बंद कर दिया था. बाद में सरकार ने धनराशि दी. जिसके बाद पुल का काम शुरू हुआ, लेकिन पुल का डिजाइन फेल होने के कारण काम बंद कर दिया गया. अब तक इसमें निर्माणाधीन कंपनियों की लापरवाही सामने आती रही हैं. इससे पहले पुल की मांग को लेकर प्रताप नगर की जनता ने करीब 150 दिन तक रोलाकोट के भोमेश्वर महादेव मंदिर परिसर में धरना प्रदर्शन किया था.


वहीं, प्रतापनगर के लोगों का कहना है कि इस पुल के निर्माण को लेकर सांसद समेत कई जनप्रतिनिधि और नेता सामने आ चुके हैं, लेकिन वो आश्वासन देने के अलावा धरातल पर काम नहीं कर रहे हैं. जिस कारण पुल अधर में लटका है. कोई भी स्थानीय जनता की समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं है.


स्थानीय लोगों का कहना है कि डोबरा चांठी पुल इन 15 सालों में बीजेपी और कांग्रेस के चुनावी मुद्दे रहे हैं. दोनों ही राजनैतिक दलों ने इस अपनी प्राथमिकता में रखा है, लेकिन चुनाव के बाद ये मुद्दा गायब हो जाता है. इस बार भी लोकसभा चुनाव के आते ही फिर से चुनावी मुद्दा बन गया है. करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी अब तक पुल नहीं बन पाया है. ऐसे में यहां की जनता ठगा महसूस कर रही है.

टिहरीः टिहरी झील के ऊपर बना डोबरा चांठी पुल एक बार फिर लोकसभा चुनाव आते ही सुर्खियों में आ गया है. ये पुल लगातार राजनीतिक दलों का सियासी मुद्दा बना हुआ है. दो लोकसभा चुनाव बीत जाने के बाद भी अबतक पुल तैयार नहीं हो पाया है. अब तीसरा लोकसभा चुनाव होने जा रहा है. ऐसे में प्रतापनगर समेत कई गावों की जनता कयास लगा रही है कि इस बार पुल तैयार हो जाएगा. वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां के जनप्रतिनिधि आश्वासन देने के अलावा कुछ नहीं करते हैं. एक बार फिर चुनाव आते ही इसे मुद्दा बना रहे हैं.

जानकारी देते स्थानीय लोग.


गौर हो कि टिहरी और प्रताप नगर की तीन लाख आबादी को जोड़ने वाला डोबरा चांठी पुल बीते 2005 से निर्माणाधीन है. इस पुल की लंबाई करीब 440 मीटर है. जिस पर 247 मीटर अलग से फ्लाईओवर बनाया जाएगा. वहीं, समुद्र तल से 834 मीटर ऊंचाई पर स्थित है. अबतक इस पुल पर 350 करोड़ से ज्यादा धनराशि खर्च हो चुके हैं, बावजूद इसके अभी तक पुल तैयार नहीं हो पाया है. इतना ही नहीं अब तक दो लोकसभा चुनाव बीत चुके हैं और तीसरा लोकसभा चुनाव होने जा रहा है. पुल के तैयार ना होने से स्थानीय लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.

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इस पुल को शुरू में चंडीगढ़ की एक कंपनी ने बनाना शुरू किया था. बजट ना होने के कारण संबंधित कंपनी ने काम बंद कर दिया था. बाद में सरकार ने धनराशि दी. जिसके बाद पुल का काम शुरू हुआ, लेकिन पुल का डिजाइन फेल होने के कारण काम बंद कर दिया गया. अब तक इसमें निर्माणाधीन कंपनियों की लापरवाही सामने आती रही हैं. इससे पहले पुल की मांग को लेकर प्रताप नगर की जनता ने करीब 150 दिन तक रोलाकोट के भोमेश्वर महादेव मंदिर परिसर में धरना प्रदर्शन किया था.


वहीं, प्रतापनगर के लोगों का कहना है कि इस पुल के निर्माण को लेकर सांसद समेत कई जनप्रतिनिधि और नेता सामने आ चुके हैं, लेकिन वो आश्वासन देने के अलावा धरातल पर काम नहीं कर रहे हैं. जिस कारण पुल अधर में लटका है. कोई भी स्थानीय जनता की समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं है.


स्थानीय लोगों का कहना है कि डोबरा चांठी पुल इन 15 सालों में बीजेपी और कांग्रेस के चुनावी मुद्दे रहे हैं. दोनों ही राजनैतिक दलों ने इस अपनी प्राथमिकता में रखा है, लेकिन चुनाव के बाद ये मुद्दा गायब हो जाता है. इस बार भी लोकसभा चुनाव के आते ही फिर से चुनावी मुद्दा बन गया है. करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी अब तक पुल नहीं बन पाया है. ऐसे में यहां की जनता ठगा महसूस कर रही है.

Intro:प्रतापनगर को जोड़ने के लिए तेरी बांध की झील के ऊपर डोबरा चांटी पुल का निर्माण 2005 में शुरू किया गया लेकिन यह पुल आज तक नहीं बन पाया जबकि 2005 से लेकर आज तक दो लोकसभा चुनाव बीत चुके हैं और तीसरा लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं परंतु यह पुल अभी तक नहीं बन पाया अब प्रतापनगर की जनता एक ही सवाल कर रही है कि आखिर यह पुल कब बनेगा,


Body:एशिया के सबसे बड़े टिहरी डैम की झील के ऊपर प्रताप नगर की तीन लाख आबादी के लिए टिहरी से प्रतापनगर को जोड़ने वाला डोबरा चांठी पुल आज तक नहीं बन पाया जबकि इस पुल पर 350 करोड रुपए से अधिक खर्च हो गए हैं लेकिन पुल से आवागमन नहीं हो पाया प्रताप नगर के लोगों का कहना है कि 2005 में यह पुल चंडीगढ़ के गुप्ता कंपनी ने काम शुरू किया काम करते-करते गुप्ता कंपनी ने बजट कम होने पर काम बंद कर दिया तो सरकार ने धनराशि बना दी इसके बाद भी पुल का काम शुरू हुआ फिर कुछ समय बाद गुप्ता कंपनी ने पुल का डिजाइन फेल होने के कारण काम बंद कर दिया और अब तक इसमें कंपनियों के लापरवाही सामने आती रही जिस कारण प्रताप नगर की जनता को काला पानी की सजा भुगतनी पड़ गई है और प्रताप नगर की जनता का आवागमन इन 15 सालों से नहीं हुआ

इस पुल को बनाने की मांग को लेकर प्रताप नगर की जनता ने 150 दिन तक रोलाकोट के भोमेश्वरश महादेव मंदिर में धरना प्रदर्शन किया उसके बाद इस पुल का निर्माण को स्वीकृति मिली

स्कूल की लंबाई 440 मीटर है जिस पर 247 मीटर अलग से फ्लाईओवर होगा और इस की समुद्र तल से ऊंचाई 834 मीटर है यह राज्य ही नहीं देश का पहला झूला पुल है जो 440 मीटर लंबे इस पान का है और इसकी क्षमता 332 टन आंकी गई है




Conclusion:प्रताप नगर के लोगों का कहना है कि इस पुल के निर्माण को लेकर जो भी जनप्रतिनिधि या सांसद या नेता रहे हैं उन्होंने कभी ध्यान नहीं दिया जिस कारण जिस पल को 2 साल में बनकर तैयार होना था वह पुल इन 15 सालों में बन के तैयार नहीं हो पाया और यह भी कहना है कि यह पुल पर जांच होनी चाहिए कि आखिर इस पुल का निर्माण में इतने लेट क्यों हो रही है

लोगों का कहना है कि इस पुल के निर्माण पर जितने धनराशि अब तक खर्च हुई है उतने धनराशि में अब तक 4 पुल बन जाते लेकिन इतना पैसा खर्च होने के बाद भी यह फूल नहीं बन पाया जिसका सीधे-सीधे जिम्मेदार क्षेत्र के विधायक जनप्रतिनिधि सांसद हैं जिन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया

डोबरा चांठी पुल इन 15 सालों में भाजपा कांग्रेस के चुनावी मुद्दे रहे हैं सबने स्कोर प्राथमिकता में रखा लेकिन चुनने के बाद सब ने तोड़ा साठी पुल के मुद्दे को पीछे छोड़ दिया जिस कारण यहां पर 15 सालों से चुनावी मुद्दा बना हुआ है

बाइट एन एस रावत निवासी उप्पू
बाइक राकेश राणा प्रताप नगर निवासी
पीटीसी अरविंद नौटियाल


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