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टिहरी बांध से प्रभावित लोगों का छलका दर्द, चुनाव बहिष्कार का किया एलान

नई टिहरी में बांध प्रभावित 20 गांव के 600 परिवारों ने इस बार लोकसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने का एलान किया है.

टिहरी के लोगों ने चुनाव बहिष्कार का किया एलान.
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Published : Mar 29, 2019, 7:20 PM IST

टिहरी: नई टिहरी में बांध प्रभावित 20 गांव के 600 परिवारों ने इस बार लोकसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने का एलान किया है. ग्रामीणों का आरोप है कि 2010 से अबतक उन्हें सिर्फ बेवकूफ बनाया जा रहा है. चुनाव के दौरान प्रत्याशी विस्थापन के झूठे दावे करते हैं और चुनाव खत्म होने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है. जिससे तंग आकर उन्होंने इस बार चुनाव बहिष्कार का एलान किया है.

टिहरी के लोगों ने चुनाव बहिष्कार का किया एलान.

ग्रामीणों का कहना है कि 2005 में टिहरी बांध बनना शुरू हो गया था. जिसके बाद से ही लोग पुर्नवास की आस लगाए बैठे हैं. उन्होंने बताया कि टिहरी बांध बनने के बाद से तहसील और आसपास के 20 गांवों की जमीन में दरार पड़ने के साथ ही भूस्खलन भी होने लगा था. लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.

पढ़ें:दुष्प्रचार को रोकने के लिए कांग्रेस ने बनाया 'मिनी वॉर रूम', कार्यकर्ताओं को मिलेगा हर अपडेट

वहीं, तत्कालीन सरकार ने खतरे की जद में आए करीब 45 गांवों का भूगर्भीय सर्वेक्षण भी करवाया. सर्वेक्षण के आधार पर 20 गांव के 415 परिवारों का पुनर्वास प्रस्ताव पारित कर वन भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव को भारत सरकार को भेजा गया. लेकिन भारत सरकार ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. जिससे ये मामला अभी तक लंबित पड़ा है. लिहाजा, गांवों के पुनर्वास की कार्रवाई भूमि चयन तक सिमट कर रह गई है.

बता दें कि भूगर्भ वैज्ञानिकों ने अपने सर्वेक्षण रिपोर्ट में लिखा था कि रौलकोट, गडोली, भलड़गांव को तत्काल प्रभाव विस्थापित किया जाए. साथ ही इन गांवों के विस्थापन के लिए हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से भी ऑर्डर आया था. बावजूद इसके आज तक इन गांवों का विस्थापन नहीं किया गया.

ग्रामीणों ने कहा कि चुनाव के बाद सभी जनप्रतिनिधि ग्रामीणों की समस्याओं से किनारा कर लेते हैं. जिससे परेशान होकर सभी ग्रामीणों ने इस बार चुनाव बहिष्कार का एलान किया है. वहीं, अधिकारियों का कहना है कि इन गांव के विस्थापन का मामला शासन को भेज दिया गया है. जैसे ही निर्देश मिलेंगे उस आधार पर विस्थापन की कार्रवाई की जाएगी.

टिहरी: नई टिहरी में बांध प्रभावित 20 गांव के 600 परिवारों ने इस बार लोकसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने का एलान किया है. ग्रामीणों का आरोप है कि 2010 से अबतक उन्हें सिर्फ बेवकूफ बनाया जा रहा है. चुनाव के दौरान प्रत्याशी विस्थापन के झूठे दावे करते हैं और चुनाव खत्म होने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है. जिससे तंग आकर उन्होंने इस बार चुनाव बहिष्कार का एलान किया है.

टिहरी के लोगों ने चुनाव बहिष्कार का किया एलान.

ग्रामीणों का कहना है कि 2005 में टिहरी बांध बनना शुरू हो गया था. जिसके बाद से ही लोग पुर्नवास की आस लगाए बैठे हैं. उन्होंने बताया कि टिहरी बांध बनने के बाद से तहसील और आसपास के 20 गांवों की जमीन में दरार पड़ने के साथ ही भूस्खलन भी होने लगा था. लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.

पढ़ें:दुष्प्रचार को रोकने के लिए कांग्रेस ने बनाया 'मिनी वॉर रूम', कार्यकर्ताओं को मिलेगा हर अपडेट

वहीं, तत्कालीन सरकार ने खतरे की जद में आए करीब 45 गांवों का भूगर्भीय सर्वेक्षण भी करवाया. सर्वेक्षण के आधार पर 20 गांव के 415 परिवारों का पुनर्वास प्रस्ताव पारित कर वन भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव को भारत सरकार को भेजा गया. लेकिन भारत सरकार ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. जिससे ये मामला अभी तक लंबित पड़ा है. लिहाजा, गांवों के पुनर्वास की कार्रवाई भूमि चयन तक सिमट कर रह गई है.

बता दें कि भूगर्भ वैज्ञानिकों ने अपने सर्वेक्षण रिपोर्ट में लिखा था कि रौलकोट, गडोली, भलड़गांव को तत्काल प्रभाव विस्थापित किया जाए. साथ ही इन गांवों के विस्थापन के लिए हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से भी ऑर्डर आया था. बावजूद इसके आज तक इन गांवों का विस्थापन नहीं किया गया.

ग्रामीणों ने कहा कि चुनाव के बाद सभी जनप्रतिनिधि ग्रामीणों की समस्याओं से किनारा कर लेते हैं. जिससे परेशान होकर सभी ग्रामीणों ने इस बार चुनाव बहिष्कार का एलान किया है. वहीं, अधिकारियों का कहना है कि इन गांव के विस्थापन का मामला शासन को भेज दिया गया है. जैसे ही निर्देश मिलेंगे उस आधार पर विस्थापन की कार्रवाई की जाएगी.

Intro:टिहरी बांध के कारण परेशान बीस गाँव के छ सो परिवारों ने किया मतदान का वहिष्कार ग्रामीणों ने कहा कि 2010 से लेकर अब तक हमे बेवकूफ बनाया जा रहा है

जब प्रत्याशी चुनाव मैदान में होते हैं तो ओर गाव में बोट मांगने आते है उस दौरान गांव में आकर विस्थापन के बड़े बड़े झूठे सपने दिखा कर चले जाते हैं और जब जीत जाते हैं तो उसके बाद वह विस्थापन के मुद्दे को भूल जाते हैं जिस कारण टिहरी झील के आस पास 20 गांव के 600 परिवारों ने लोकसभा चुनाव में मतदान न करने का फैसला लिया है और कहा कि जो भी प्रत्याशी गांव में आएगा उससे सवाल जवाब मांगे जाएंगे साथ ही गांव में घुसने नहीं देंगे

चुनाव का वहिष्कार करने वाले गाव, खांड़ धारमण्डल नंदगाँव पिपोला भटकण्डा बड़कोट केलबागी गोजियाणा बोर पिलखी रौलकोट गडोली गोजमेर सिल्ला उप्पू सरोठ तिवाड़गाव आदि






Body:सन 2010 में से पुनर्वास का इंतजार कर रहे टिहरी बांध की झील के आसपास भागीरथी और भिलंगना घाटी के 30 से अधिक गांव के 600 परिवारों ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला लिया है प्रभावितों का कहना है कि चुनाव के दौरान पार्टी प्रत्याशी कोरे आश्वासनों को देखकर चलने का काम करते हैं चुनाव प्रचार के लिए कोई भी गांव में आया तो उसे जवाब मांगा जाएगा और यहां तक कि इनको गांव में घुसने नहीं दिया जाएगा 2010 से 2005 से पुनर्वास का इंतजार कर रहे ग्रामीणों ने कहा कि कि 2005 में टिहरी बांध की झील बनने शुरू हुई जिस कारण तहसील के आसपास 20 गांव केआर जमीनों में दरार पड़ने लगी साथी भूस्खलन होने लगा परंतु इस और किसी भी जनप्रतिनिधि व नेताओं ने ध्यान नहीं दिया चुनाव लड़ने के बाद सब ग्रामीणों की समस्याओं से किनारा काटने लगते हैं

तत्कालीन सरकार ने खतरे की जद में आए करीब 45 गांव का भूगर्भीय सर्वेक्षण करवाया सर्वेक्षण के आधार पर शमपरशिक नीति 2013 के तहत 20 गांव के 415 परिवारों का पुनर्वास प्रस्तावित हुआ था लेकिन वन भूमि हस्तांतरण की कार्रवाई के लिए भूमि चयन हेतु प्रस्ताव भारत सरकार को भेज गया लेकिन भारत सरकार ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया जिससे ग्रामीणो का यह मामला लंबित होने से पुनर्वास की कार्रवाई भूमि चयन तक सिमट कर रह गई


Conclusion: जबकि भूगर्भ वैज्ञानिको ने अपने सर्वेक्षण रिपोर्ट में लिखा है कि रौलकोट गडोली भलड़गाव को तत्काल विस्थापन किया जाए जो यह गाव खतरे की जद में है लेकिन 2005 से लेकर अभी तक इन गांव का विस्थापन नहीं हो पाया साथ ही इन गाव का विस्थापन करने के लिए हाइकोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने भी ओर्डर किया है परन्तु आज तक इन गाँव का विस्थापित नही किया गया,

जिस कारण ग्रामीणों ने मतदान न करने का फैसला लिया है

आंशिक डूब संघर्ष सामिति के अध्यक्ष सोहन सिंह राणा ने कहा है
टिहरी बांध से प्रभवित ग्रामीणों ने इस आम चुनाव का वहिष्कार किया है बोट मांगने के लिए कोई भी उमीदवार नेटगाव में नही आने देंगे

वही अधिकारीयो का कहना है कि इन ग्रामीणों के विस्थापन का मामला शासन कोबभेज गया है जैसे ही निर्देश मिलेंगे उस आधार पर विस्थापन की कार्यवाही की जाएगी

बाइट सोहन सिंह राणा अध्यक्ष
बाइट जगदम्बा सेमवाल ग्रामीण
बाइट सुबोध मैठाणी अधिशासी अधिकारी पुनर्वास बिभाग
पीटीसी अरविंद नौटियाल
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