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ग्रामीण क्षेत्रों में लॉकडाउन का पालन कर रहे लोग, पांरपरिक सब्जियों को भी दे रहे तवज्जो - corona lockdown

लॉकडाउन के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में सब्जियों की किल्लत तो जरूर हो रही है, लेकिन फिर भी लोग इन दिनों कंडाली (बिच्छू घास), गुर्याल, सिगोंही, खोल्या आदि की सब्जियों से पहाड़ों में सुकून भरी जिंदगी जी रहे हैं.

धनौल्टी
गांव
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Published : Apr 2, 2020, 10:09 AM IST

धनौल्टीः वैश्विक महामारी कोरोना वायरस दुनियाभर में जमकर कहर बरपा रहा है. भारत में कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन लागू किया गया है. जिसके चलते सभी लोग अपने घरों में कैद हैं. जबकि, लॉकडाउन का ग्रामीण क्षेत्रों में भी काफी असर देखने को मिल रहा है. जहां शहरों में कुछ समय की ढील मिलते ही लोग खरीददारी करने के लिए बाजारों की ओर निकल रहे हैं वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपनी खेतीबाड़ी, चारापत्ती लेने के लिए बाहर निकल रहे हैं. साथ ही लॉकडाउन का भी पालन कर रहे हैं.

ग्रामीण इलाकों में लॉकडाउन का पालन.

ग्रामीणों का कहना है कि कोरोना वायरस को लोग बेहद गंभीरता से ले रहे हैं, लेकिन घरों से बाहर निकलकर खेती-बाड़ी पर भी ध्यान देना उनकी मजबूरी है. ग्रामीण सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ख्याल रख रहे हैं. हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में लॉकडाउन के चलते सब्जियों की किल्लत तो जरूर हो रही है, लेकिन फिर भी लोग इन दिनों कंडाली (बिच्छू घास), गुर्याल, सिगोंही, खोल्या आदि की सब्जियों से पहाड़ों में सुकून भरी जिंदगी जी रहे है.

dhanaulti news
लॉकडाउन में पारंपरिक सब्जियों के दिन लौटे.

पहाड़ों में इनदिनों छाई हरियाली से लोगों को आराम मिल रहा है. दरअसल, लोगों को मवेशियों के लिए चारा आसानी से अपने खेतों से उपलब्ध हो रहा है. साथ ही लोग कुछ समय निकालकर अपनी खेतीबाड़ी में भी ध्यान दे रहे हैं. वहीं, जिस गांव से लोगों का पलायन कम हुआ है, वहां लोग आज भी अपनी पारंपरिक खेती कर रहे हैं.

धनौल्टीः वैश्विक महामारी कोरोना वायरस दुनियाभर में जमकर कहर बरपा रहा है. भारत में कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन लागू किया गया है. जिसके चलते सभी लोग अपने घरों में कैद हैं. जबकि, लॉकडाउन का ग्रामीण क्षेत्रों में भी काफी असर देखने को मिल रहा है. जहां शहरों में कुछ समय की ढील मिलते ही लोग खरीददारी करने के लिए बाजारों की ओर निकल रहे हैं वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपनी खेतीबाड़ी, चारापत्ती लेने के लिए बाहर निकल रहे हैं. साथ ही लॉकडाउन का भी पालन कर रहे हैं.

ग्रामीण इलाकों में लॉकडाउन का पालन.

ग्रामीणों का कहना है कि कोरोना वायरस को लोग बेहद गंभीरता से ले रहे हैं, लेकिन घरों से बाहर निकलकर खेती-बाड़ी पर भी ध्यान देना उनकी मजबूरी है. ग्रामीण सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ख्याल रख रहे हैं. हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में लॉकडाउन के चलते सब्जियों की किल्लत तो जरूर हो रही है, लेकिन फिर भी लोग इन दिनों कंडाली (बिच्छू घास), गुर्याल, सिगोंही, खोल्या आदि की सब्जियों से पहाड़ों में सुकून भरी जिंदगी जी रहे है.

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लॉकडाउन में पारंपरिक सब्जियों के दिन लौटे.

पहाड़ों में इनदिनों छाई हरियाली से लोगों को आराम मिल रहा है. दरअसल, लोगों को मवेशियों के लिए चारा आसानी से अपने खेतों से उपलब्ध हो रहा है. साथ ही लोग कुछ समय निकालकर अपनी खेतीबाड़ी में भी ध्यान दे रहे हैं. वहीं, जिस गांव से लोगों का पलायन कम हुआ है, वहां लोग आज भी अपनी पारंपरिक खेती कर रहे हैं.

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