टिहरी: जोशीमठ में आई आपदा को लेकर अब टिहरी झील के आसपास के गांवों के ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. 42 वर्ग किलोमीटर तक फैली टिहरी बांध की झील के कारण रौलाकोट गांव की जमीन में भारी मात्रा में भूस्खलन हो रह है. रौलाकोट गांव के नीचे दिन प्रतिदिन भूस्खलन होने से मकानों में दरार पड़ रही हैं, जिससे मकान कभी भी भूस्खलन की जद में आ सकते हैं. भूस्खलन के कारण गांव के लोग डरे सहमे हैं.
रौलाकोट के ग्रामीण शासन-प्रशासन से लगातार विस्थापन की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनको यहां से जल्द से जल्द सुरक्षित जगह पर शिफ्ट किया जाए. कहीं ऐसा ना हो कि देर हो जाए. ग्रामीणों का कहना है कि जब से जोशीमठ की आपदा आई है, तब से रौलाकोट गांव के ग्रामीणों की नींद उड़ गई है. ग्रामीण रात को डर के साए में जीने को मजबूर हैं. ग्रामीणों का कहना है कि टिहरी झील के पानी से लगातार हो रहे भूस्खलन से उनके मकानों में दरारें पड़ रही हैं. वहीं, टिहरी झील का पानी रौलाकोट गांव के मकानों के नीचे तक आने से भारी भूस्खलन हो रहा है.
जिलाधिकारी टिहरी डॉ सौरभ गहरवार का कहना है कि टिहरी झील के आसपास जहां भी भूस्खलन हो रहा है और मकानों में दरारें पड़ रहीं हैं, उन गांवों का जल्द ही सर्वे करवाकर रिपोर्ट के आधार पर आगे की आर्रवाई की जाएगी. सबसे पहले ग्रामीणों की सुरक्षा करना हमारा कर्तव्य है. इसके लिए एसडीएम और आपदा प्रबंधन के अधिकारियों को गांव के ग्रामीणों की सुरक्षा करने के लिए कहा गया है कि वह इन गांवों पर नजर बनाए रखें.
भू वैज्ञानिकों ने जताई चिंता: भू वैज्ञानिकों ने भी टिहरी झील के चारों तरफ अध्ययन किया था. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि झील के चारों तरफ के गांव सुरक्षित नहीं हैं. इसलिए समय रहते इसका समाधान किया जाए और ग्रामीणों को तत्काल विस्थापित किया जाए. टिहरी झील पर स्पेशल रिसर्च करने वाले भूवैज्ञानिक डॉ. एसपी सती ने कहा कि टिहरी डैम के रिजर्व वायर के ऊपर जितने भी गांव हैं, उन पर हमने जो अध्ययन किया उस अध्ययन में पाया कि वहां पर जमीन काफी सिंक हो रही है.
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भूवैज्ञानिक डॉ. एसपी सती ने कहा कि टिहरी झील के निर्माण के दौरान जो साइंटिस्ट इस प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे, उन्होंने भी माना है कि झील के ऊपर के जो गांव हैं, वहां पर भी जमीन में दरारें पड़ रही हैं. वहां, पर ड्रा डाउन इफेक्ट हो रहा है और जब झील का जलस्तर ऊपर-नीचे होता है, तो उसमें खिंचाव आ जाता है, जिससे दरार पड़ रही है. हमने पाया कि कई गांवों में आज भी बुरी स्थिति है, जिसके डाक्यूमेंट्स उनके पास हैं. झील के आसपास के गांवों का भविष्य भी सुरक्षित नहीं है.
उन्होंने कहा कि वर्तमान में झील के आसपास के गांव के लोगों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. ऐसे में टीएचडीसी को एक स्पेशल पॉलिसी बनाकर उन्हें लाभ देने का काम किया जाए. क्योंकि एक न एक दिन इनको यहां से हटना पड़ेगा क्योंकि यह घर रहने लायक नहीं है. हर साल दरारें पड़ रही हैं. आने वाले समय में जोशीमठ जैसी स्थिति आने से पहले ही जाग जाना चाहिए.