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राज दरबार से जनता दरबार तक...टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट का पूरा गुणा-भाग - टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट

टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट का संबंध सीधे तौर पर टिहरी राजशाही परिवार से जुड़ा है. वो शाही परिवार जिसने कई सालों तक गढ़वाल पर राज किया. आजादी के बाद से इस सीट पर 18 बार वोटिंग हुई है. जिसमें जनता ने 10 बार कांग्रेस को चुना, तो वहीं 7 बार बीजेपी ने यहां अपना कमल खिलाया

टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट का सियासी समीकरण.
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Published : Apr 4, 2019, 5:00 PM IST

Updated : Apr 4, 2019, 7:14 PM IST

देहरादून: पूरे देश में लोकसभा चुनाव की तैयारियां चल रही हैं. सभा राजनीतिक वोटों की जुगत में एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. ऐसे में इटीवी भारत अपने पाठकों को उत्तराखंड की लोकसभी सीटों के इतिहास से लेकर सियासी समीकरणों के बारे में बता रहै है. इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट की.

टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट का सियासी समीकरण.


टिहरी गढ़वाल लोकसभा में टिहरी, उत्तरकाशी और देहरादून जनपद की 14 विधानसभाएं आती हैं. ये सीट अन्य लोकसभा सीटों के मुकाबले इसलिए खास है, क्योंकि इसका संबंध सीधे तौर पर टिहरी राजशाही परिवार से जुड़ा है. वो शाही परिवार जिसने कई सालों तक टिहरी गढ़वाल पर राज किया. आजादी के बाद से इस सीट पर 18 बार वोटिंग हुई है, जिसमें जनता ने 10 बार कांग्रेस को चुना, तो वहीं 7 बार बीजेपी ने यहां अपना कमल खिलाया. टिहरी गढ़वाल लोकसभी सीट की राजनीति अमूमन कांग्रेस और बीजेपी के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है. आइये आपको बताते हैं कब कौन टिहरी सीट से सांसद रहा-

टिहरी लोकसभा सीट से कब कौन रहा सांसद

साल पार्टी सांसद
1952 कांग्रेस कमलेंदुमति शाह
1957 कांग्रेस मानवेंद्र शाह
1962 कांग्रेस मानवेंद्र शाह
1967 कांग्रेस मानवेंद्र शाह
1971 कांग्रेस परिपूर्णानंद
1977 जनता दल त्रेपन सिंह नेगी
1980 कांग्रेस त्रेपन सिंह नेगी
1984 कांग्रेस ब्रह्म दत्त
1989 कांग्रेस ब्रह्म दत्त
1991 बीजेपी मानवेंद्र शाह
1996 बीजेपी मानवेंद्र शाह
1998 बीजेपी मानवेंद्र शाह
1999 बीजेपी मानवेंद्र शाह
2004 बीजेपी मानवेंद्र शाह
2007 कांग्रेस विजय बहुगुणा
2009 कांग्रेस विजय बहुगुणा
2012 बीजेपी माला राज्यलक्ष्मी शाह

टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट पर मौजूदा समय में बीजेपी की कब्जा है और रानी माला राज्य लक्ष्मी शाह यहां से सांसद हैं. माला राज्यलक्ष्मी शाह उत्तराखंड की पहली महिला लोकसभा सांसद भी हैं साथही वोटिहरी के पूर्व शाही परिवार के वंशज मानवेंद्र शाह की बहू हैं. मानवेंद्र शाह ने टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट से कांग्रेस और बीजेपी के टिकट पर आठ बार जीत हासिल की थी.

अब बात करते हैं 2019 के लोकसभा चुनाव में टिहरी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र

टिहरी लोकसभा के बड़े चेहरे

नाम पार्टी
माला राज्यलक्ष्मी शाह बीजेपी
प्रीतम सिंह कांग्रेस
गोपलमणि निर्दलीय

इनके अलावा बसपा और 7 अन्य निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनावी समर में उतर कर यहां के मुकाबले को और भी रोचक बनाने की जुगत में लगे हैं.

सामाजिक ताना-बाना

तीन जिलों में फैली टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट के सामाजिक ताने-बाने की बात करें तो यहां की 62 फीसदी आबादी गांवों में रहती है, जबकि 38 फीसदी शहरी क्षेत्रों में.

इस संसदीय क्षेत्र में लगभग 40 फीसदी राजपूत, 32 फीसदी ब्राह्मण,17 फीसदी एससी-एसटी, पांच फीसदी मुस्लिम, पांच फीसद गोर्खाली और एक फीसद अन्य मतदाता हैं.

जातीय समीकरण

  • राजपूत- 40 %
  • ब्राह्मण- 32%
  • एससी-एसटी-17%
  • मुस्लिम- 5%
  • गोर्खाली- 5 %
  • अन्य- 1%

इस इलाके में अनुसूचित जाति का आंकड़ा 17.15 प्रतिशत है, जबकि अनुसूचित जनजाति का हिस्सा 5.8 प्रतिशत है.

अब बात करते हैं यहां 2014 में हुए लोकसभा चुनाव की...साल 2014 में टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट पर कुल 13 लाख 52 हजार 845 मतदाता थे. जिनमें 7 लाख 12 हजार 39 पुरुष मतदाता जबकि 6 लाख 40 हजार 806 महिला शामिल थी.वहीं बात 2019 की करे तो यहां कुल मतदाताओं की संख्या 1477532 है. इस बार के चुनाव आयोग ने टिहरी गढ़वाल लोकसभा में 927 पोलिंग बूथ बनाएं हैं.

बात अगर टिहरी गढ़वाल लोकसभा के मुद्दों की करे तो यहां विस्थापन एक बहुत बड़ा मुद्दा रहा है. टिहरी ऐसी लोकसभा है जहां विकास और विस्थापन साथ-साथ चलते हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों में रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा ये वे जरूरी मुद्दे हैं जिन पर प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला हो सकता है.

मुद्दे जो रहेंगे खास

  • विस्थापन
  • रोजगार
  • स्वास्थ्य
  • शिक्षा

तमाम सियासी समीकरणों को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस बार टिहरी गढ़वाल लोकसभा हॉट सीट साबित हो सकती है. यहां एक ओर जहां रानी अपनी सियासी सत्ता बचाने के लिए मैदान में हैं तो वहीं दूसरी ओर विरासत में राजनीति की एबीसीडीसीखकर आए प्रीतम सिंह हैं जो रानी के गढ़ में सेंध लगाने के मंसूबे से चुनावी मैदान में हैं. इनके साथ ही कथावाचक गोपाल मणीके साथ अन्य निर्दलीय भी इस सीट के समीकरणों को और रोचक बना रहे हैं. ऐेसे में देखना दिलचस्प होगा कि राजघराने वाली इस सीट पर जनता किसे जीत का आशीर्वाद देकर सत्ता के सिंहासन पर बैठाती है.

देहरादून: पूरे देश में लोकसभा चुनाव की तैयारियां चल रही हैं. सभा राजनीतिक वोटों की जुगत में एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. ऐसे में इटीवी भारत अपने पाठकों को उत्तराखंड की लोकसभी सीटों के इतिहास से लेकर सियासी समीकरणों के बारे में बता रहै है. इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट की.

टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट का सियासी समीकरण.


टिहरी गढ़वाल लोकसभा में टिहरी, उत्तरकाशी और देहरादून जनपद की 14 विधानसभाएं आती हैं. ये सीट अन्य लोकसभा सीटों के मुकाबले इसलिए खास है, क्योंकि इसका संबंध सीधे तौर पर टिहरी राजशाही परिवार से जुड़ा है. वो शाही परिवार जिसने कई सालों तक टिहरी गढ़वाल पर राज किया. आजादी के बाद से इस सीट पर 18 बार वोटिंग हुई है, जिसमें जनता ने 10 बार कांग्रेस को चुना, तो वहीं 7 बार बीजेपी ने यहां अपना कमल खिलाया. टिहरी गढ़वाल लोकसभी सीट की राजनीति अमूमन कांग्रेस और बीजेपी के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है. आइये आपको बताते हैं कब कौन टिहरी सीट से सांसद रहा-

टिहरी लोकसभा सीट से कब कौन रहा सांसद

साल पार्टी सांसद
1952 कांग्रेस कमलेंदुमति शाह
1957 कांग्रेस मानवेंद्र शाह
1962 कांग्रेस मानवेंद्र शाह
1967 कांग्रेस मानवेंद्र शाह
1971 कांग्रेस परिपूर्णानंद
1977 जनता दल त्रेपन सिंह नेगी
1980 कांग्रेस त्रेपन सिंह नेगी
1984 कांग्रेस ब्रह्म दत्त
1989 कांग्रेस ब्रह्म दत्त
1991 बीजेपी मानवेंद्र शाह
1996 बीजेपी मानवेंद्र शाह
1998 बीजेपी मानवेंद्र शाह
1999 बीजेपी मानवेंद्र शाह
2004 बीजेपी मानवेंद्र शाह
2007 कांग्रेस विजय बहुगुणा
2009 कांग्रेस विजय बहुगुणा
2012 बीजेपी माला राज्यलक्ष्मी शाह

टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट पर मौजूदा समय में बीजेपी की कब्जा है और रानी माला राज्य लक्ष्मी शाह यहां से सांसद हैं. माला राज्यलक्ष्मी शाह उत्तराखंड की पहली महिला लोकसभा सांसद भी हैं साथही वोटिहरी के पूर्व शाही परिवार के वंशज मानवेंद्र शाह की बहू हैं. मानवेंद्र शाह ने टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट से कांग्रेस और बीजेपी के टिकट पर आठ बार जीत हासिल की थी.

अब बात करते हैं 2019 के लोकसभा चुनाव में टिहरी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र

टिहरी लोकसभा के बड़े चेहरे

नाम पार्टी
माला राज्यलक्ष्मी शाह बीजेपी
प्रीतम सिंह कांग्रेस
गोपलमणि निर्दलीय

इनके अलावा बसपा और 7 अन्य निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनावी समर में उतर कर यहां के मुकाबले को और भी रोचक बनाने की जुगत में लगे हैं.

सामाजिक ताना-बाना

तीन जिलों में फैली टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट के सामाजिक ताने-बाने की बात करें तो यहां की 62 फीसदी आबादी गांवों में रहती है, जबकि 38 फीसदी शहरी क्षेत्रों में.

इस संसदीय क्षेत्र में लगभग 40 फीसदी राजपूत, 32 फीसदी ब्राह्मण,17 फीसदी एससी-एसटी, पांच फीसदी मुस्लिम, पांच फीसद गोर्खाली और एक फीसद अन्य मतदाता हैं.

जातीय समीकरण

  • राजपूत- 40 %
  • ब्राह्मण- 32%
  • एससी-एसटी-17%
  • मुस्लिम- 5%
  • गोर्खाली- 5 %
  • अन्य- 1%

इस इलाके में अनुसूचित जाति का आंकड़ा 17.15 प्रतिशत है, जबकि अनुसूचित जनजाति का हिस्सा 5.8 प्रतिशत है.

अब बात करते हैं यहां 2014 में हुए लोकसभा चुनाव की...साल 2014 में टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट पर कुल 13 लाख 52 हजार 845 मतदाता थे. जिनमें 7 लाख 12 हजार 39 पुरुष मतदाता जबकि 6 लाख 40 हजार 806 महिला शामिल थी.वहीं बात 2019 की करे तो यहां कुल मतदाताओं की संख्या 1477532 है. इस बार के चुनाव आयोग ने टिहरी गढ़वाल लोकसभा में 927 पोलिंग बूथ बनाएं हैं.

बात अगर टिहरी गढ़वाल लोकसभा के मुद्दों की करे तो यहां विस्थापन एक बहुत बड़ा मुद्दा रहा है. टिहरी ऐसी लोकसभा है जहां विकास और विस्थापन साथ-साथ चलते हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों में रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा ये वे जरूरी मुद्दे हैं जिन पर प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला हो सकता है.

मुद्दे जो रहेंगे खास

  • विस्थापन
  • रोजगार
  • स्वास्थ्य
  • शिक्षा

तमाम सियासी समीकरणों को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस बार टिहरी गढ़वाल लोकसभा हॉट सीट साबित हो सकती है. यहां एक ओर जहां रानी अपनी सियासी सत्ता बचाने के लिए मैदान में हैं तो वहीं दूसरी ओर विरासत में राजनीति की एबीसीडीसीखकर आए प्रीतम सिंह हैं जो रानी के गढ़ में सेंध लगाने के मंसूबे से चुनावी मैदान में हैं. इनके साथ ही कथावाचक गोपाल मणीके साथ अन्य निर्दलीय भी इस सीट के समीकरणों को और रोचक बना रहे हैं. ऐेसे में देखना दिलचस्प होगा कि राजघराने वाली इस सीट पर जनता किसे जीत का आशीर्वाद देकर सत्ता के सिंहासन पर बैठाती है.

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टिहरी लोकसभा सीट का पूरा गुणा-भाग





राज दरबार से जनता दरबार तक...टिहरी लोकसभा सीट का पूरा गुणा-भाग 



देहरादून: पूरे देश में लोकसभा चुनाव की तैयारियां चल रही हैं. सभा राजनीतिक वोटों की जुगत में एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. ऐसे में इटीवी भारत अपने पाठकों को उत्तराखंड की लोकसभी सीटों के इतिहास से लेकर सियासी समीकरणों के बारे में बता रहै है. इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे टिहरी लोकसभा सीट की.

टिहरी लोकसभा में टिहरी, उत्तरकाशी और देहरादून जनपद की 14 विधानसभाएं आती हैं.ये सीट अन्य लोकसभा सीटों के मुकाबले इसलिए खास है, क्योंकि इसका संबंध सीधे तौर पर टिहरी राजशाही परिवार से जुड़ा है. वो शाही परिवार जिसने कई सालों तक गढ़वाल पर राज किया. आजादी के बाद से इस सीट पर 18 बार वोटिंग हुई है. जिसमें जनता ने 10 बार कांग्रेस को चुना, तो वहीं 7 बार बीजेपी ने यहां अपना कमल खिलाया.  टिहरी लोकसभी सीट की राजनीति अमूमन कांग्रेस और बीजेपी के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है. आइये आपको बताते हैं कब कौन टिहरी सीट से सासंद रहा.

टिहरी लोकसभा सीट से कब कौन रहा सांसद 

साल            पार्टी            उम्मीदवार

1952                       कांग्रेस     कमलेंदुमति शाह 

1957            कांग्रेस            मानवेंद्र शाह

1962            कांग्रेस            मानवेंद्र शाह

1967            कांग्रेस            मानवेंद्र शाह

1971            कांग्रेस            परिपूर्णानंद 

1977            जनता दल        त्रेपन सिंह नेगी

1980            कांग्रेस            त्रेपन सिंह नेगी

1984            कांग्रेस            ब्रह्म दत्त 

1989            कांग्रेस            ब्रह्म दत्त 

1991            बीजेपी            मानवेंद्र शाह



1996            बीजेपी            मानवेंद्र शाह

1998            बीजेपी            मानवेंद्र शाह

1999            बीजेपी            मानवेंद्र शाह

2004            बीजेपी            मानवेंद्र शाह

2007            कांग्रेस            विजय बहुगुणा

2009            कांग्रेस            विजय बहुगुणा

2012            बीजेपी            माला राज्यलक्ष्मी शाह

टिहरी लोकसभा  सीट पर मौजूदा समय में बीजेपी की कब्जा है और रानी माला राज्य लक्ष्मी शाह यहां से सांसद हैं.माला राज्यलक्ष्मी शाह उत्तराखंड की पहली महिला लोकसभा सांसद भी हैं. साथी ही वे टिहरी के पूर्व शाही परिवार के वंशज मानवेंद्र शाह की बहू हैं. मानवेंद्र शाह ने टिहरी लोकसभा सीट से कांग्रेस और बीजेपी के टिकट पर आठ बार जीत हासिल की थी. 

अब बात करते हैं 2019 के लोकसभा चुनाव में टिहरी संसदीय क्षेत्र 

टिहरी लोकसभा के बड़े चेहरे

माला राज्यलक्ष्मी शाह     बीजेपी

प्रीतम सिंह                    कांग्रेस

गोपलमणि                     निर्दलीय    

इनके अलावा बसपा और 7 अन्य निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनावी समर में उतर कर यहां के मुकाबले को और भी रोचक बनाने की जुगत में लगे हैं.    



सामाजिक ताना-बाना

तीन जिलों में फैली टिहरी लोकसभा सीट के सामाजिक ताने-बाने की बात करें तो यहां की 62 फीसदी आबादी गांवों में रहती है, जबकि 38 फीसदी शहरी क्षेत्रों में...

सामाजिक ताना-बाना

ग्राणीण आबादी-62 

शहरी आबादी-38 

इस संसदीय क्षेत्र में लगभग 40 फीसदी राजपूत, 32 फीसदी ब्राह्मण,17 फीसदी एससी-एसटी, पांच फीसदी मुस्लिम, पांच फीसद गोर्खाली और एक फीसद अन्य मतदाता हैं.

जातीय समीकरण

राजपूत- 40 %

ब्राह्मण- 32%

एससी-एसटी-17%

मुस्लिम- 5%

गोर्खाली- 5  %

अन्य- 1%

इस इलाके में अनुसूचित जाति का आंकड़ा 17.15 प्रतिशत है, जबकि अनुसूचित जनजाति का हिस्सा 5.8 प्रतिशत है.

सामान्य-77.05 %

अनुसूचित जाति - 17.15 %

अनुसूचित जनजाति -  5.8 %

अब बात करते हैं यहां 2014 में हुए लोकसभा चुनाव की... साल 2014 में टिहरी लोकसभा सीट पर कुल 13 लाख 52 हजार 845 मतदाता थे. जिनमें 7 लाख 12 हजार 39 पुरुष मतदाता जबकि 6 लाख 40 हजार 806 महिला शामिल थी.

साल 2014 में मतदाता

कुल मतदाता- 13, 52, 845 

पुरुष- 7,12,039 

महिला- 6,40,806

साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में इस संसदीय सीट पर  57.38 फीसदी वोट पड़े थे.

2014 में मतदान प्रतिशत

57.38%

वहीं बात 2019 की करे तो यहां कुल मतदाताओं की संख्या 1477532 है.   

2019 में मतदाता

कुल मतदाता-1477532  

महिला -691899  

पुरुष- 773527 

सर्विस वोटर 12057 

थर्ड जेंडर -49 

वहीं इस बार के चुनाव आयोग ने टिहरी लोकसभा में 927 पोलिंग बूथ बनाएं हैं

बात अगर टिहरी लोकसभा के मुद्दों की करे तो यहां विस्थापन एक बहुत बड़ा मुद्दा रहा है. टिहरी ऐसी लोकसभा है जहां विकास और विस्थापन साथ-साथ चलते हैं.  2019 के लोकसभा चुनावों में रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा ये वे जरूरी मुद्दे हैं जिन पर प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला हो सकता है.

मुद्दे जो रहेंगे खास

विस्थापन 

रोजगार 

स्वास्थ्य 

शिक्षा

तमाम सियासी समीकरणों को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस बार टिहरी लोकसभा हॉट सीट साबित हो सकती है. यहां एक ओर जहां रानी अपनी सियासी सत्ता बचाने के लिए मैदान में हैं तो वहीं दूसरी ओर विरासत में राजनीति का ककहरा सीख कर आए प्रीतम सिंह हैं जो कि रानी के गढ़ में सेंध लगाने के मंसूबे से चुनावी मैदान में हैं. तो कथावाचक गोपाल मणि के साथ अन्य निर्दलीय भी इस सीट के समीकरणों को और रोचक बना रहे हैं. ऐेसे में देखना दिलचस्प होगा कि राजघराने वाली इस सीट पर जनता किसे जीत आशार्वाद देकर सत्ता के सिंहासन पर बिठाती है    





 


Conclusion:
Last Updated : Apr 4, 2019, 7:14 PM IST
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